Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद अब राजनीतिक दल जीत के लिए हर पैंतरे अजमाने को तैयार हैं. इसी कड़ी में राज्य के बिहार के बाहुबलियों और अपराधियों के लिए भी राजनीति में प्रवेश का द्वार खुल गया है.
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Patna: Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद अब राजनीतिक दल जीत के लिए हर पैंतरे अजमाने को तैयार हैं. इसी कड़ी में राज्य के बिहार के बाहुबलियों और अपराधियों के लिए भी राजनीति में प्रवेश का द्वार खुल गया है. इसी कड़ी में राजद, जदयू और कांग्रेस सभी बाहुबलियों को अपने यहां पर लाने के लिए तैयार हैं. इसी कड़ी में आइये जानते हैं उन बाहुबलियों के बारें में जो इस बार भी चुनावों में सबकी पसंद बने हुए हैं
पप्पू यादव
हाल में ही पप्पू यादव कांग्रेस में शामिल हुए हैं.90 के दशक में सीमांचल के इलाकों में पप्पू यादव के नाम का आतंक था. वो 17 साल तक जेल में रहे हैं. उनके ऊपर हत्या, किडनैपिंग, मारपीट, बूथ कैपचरिंग, आर्म्स एक्ट जैसे कई मामले दर्ज हैं. उनके ऊपर माकपा नेता और विधायक अजीत सरकार और उनके एक साथी असफुल्ला खान तथा ड्राइवर की गोलीमार कर हत्या करने के आरोप भी लगे थे. 2008 में उनके ऊपर ये आरोप साबित भी हो गए थे और कोर्ट ने उन्हें सजा भी सुनाई थी. बाद में उन्होंने पटना हाई कोर्ट में अपील की थी. इसके बाद उन्हें राहत मिली थी. सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया गया था.
आनंद मोहन
आनंद मोहन करीब 16 साल तक जेल में रहे हैं. उनके और पप्पू यादव के बीच लड़ाई आज भी लोगों के जुबान पर है. उनका नाम 1994 में शुक्ला मर्डर के बाद गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की हत्या में आया था. इस मामले में उन्हें फांसी की सजा हुई थी, जिसे बाद में बदलकर उम्र कैद कर दिया गया था. पिछले साल ही नीतीश सरकार ने कानून में बदलाव करके उन्हें रिहा किया गया. उनकी पत्नी लवली आनंद इस बार शिवहर से चुनाव लड़ सकती हैं.
अशोक महतो
जातीय नरसंहार के लिए कुख्यात अशोक महतो इस बार लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी कुमारी अनीता को उतार सकते हैं. अपसढ़ नरसंहार में भी अशोक महतों का नाम आता है. इसमें 2000 की 11 मई की रात के 11 बजे एक परिवार की बेरहमी से हत्या कर गई थी. दरअसल, नुनुलाल सिंह के परिवार के 15 लोग उस समय छत पर सो रहे थे. इस दौरान करीब 60 लोगों ने उनके ऊपर गोलियां चालानी शुरू कर दी है. इसमें 8 मिनट में 300 राउंड से ज्यादा फायरिंग की गई थी. इसमें जो भी बच गए थे, उन्हें तलवार से काट दिया गया था. इसमें 11 लोगों की मौत हुई थी.