Lok Sabha Election 2024 Bhagalpur Seat: सिल्क सिटी भागलपुर के क्या हैं चुनावी मुद्दे? देखें यहां के जातीय समीकरण
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Lok Sabha Election 2024 Bhagalpur Seat: सिल्क सिटी भागलपुर के क्या हैं चुनावी मुद्दे? देखें यहां के जातीय समीकरण

Bhagalpur Lok Sabha Seat Profile: ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो भागलपुर शहर से 40 किलोमीटर दूर विक्रमशिला विश्वविद्यालय भग्नावशेष है. यहां 8वीं और 9वीं शताब्दी में राजा धर्मपाल ने विक्रमशिला केंद्र विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. यहां बौद्ध धर्म, व्याकरण, संस्कृत और तंत्र विद्या की शिक्षा दी जाती थी. 

भागलपुर सीट

Bhagalpur Lok Sabha Seat Profile: लोकसभा चुनाव से पहले हम आपको बिहार की सीटों के चुनावी मुद्दों की जानकारी दे रहे हैं. इस कड़ी में आज भागलपुर सीट की जानकारी दे रहे हैं. भागलपुर शहर बिहार का दक्षिण पूर्व में बसा एक जिला है गंगा नदी के किनारे शहर बसा हुआ है तो पूरा जिला गंगा और कोसी के किनारे हैम  कोसी नदी की बात करें तो कोसी मधेपुरा खगड़िया से आकर नवगछिया के रास्ते कुर्सेला के संगम में जाकर मिल जाती है. जो करीब 37 किलोमीटर का क्षेत्र है. इधर गंगा पटना, बक्सर ,मुंगेर से होकर सुल्तानगंज से भागलपुर में प्रवेश करती है. कूल 75 किलोमीटर की दूरी पूरी होती है और गंगा भागलपुर से निकलकर झारखंड के साहिबगंज में प्रवेश कर जाती है. भागलपुर जिला 2569 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ है. भागलपुर के पूर्वी हिस्से में झारखंड बॉर्डर है जो पीरपैंती मिर्जाचौकी बॉर्डर है. दक्षिण पूर्वी हिस्से में सनहौला गोड्डा बॉर्डर है. दक्षिण हिस्से में बांका जिला बॉर्डर. पूर्वोत्तर में कटिहार जिला,  उत्तर में मधेपुरा और पूर्णिया जिला,  उत्तर पश्चिम में खगड़िया और पश्चिम में मुंगेर जिला है. 

भागलपुर का प्राचीन इतिहास

भागलपुर जिले में कुल 7 विधानसभा है. सुल्तानगंज विधानसभा बांका लोकसभा का हिस्सा है. यहां तीन अनुमंडल है 17 प्रखंड 242 पंचायत व 1,515 गांव है. ऐतिहासिक महत्व की बात करें तो भागलपुर शहर से 40 किलोमीटर दूर विक्रमशिला विश्वविद्यालय भग्नावशेष है. यहां 8वीं और 9वीं शताब्दी में राजा धर्मपाल ने विक्रमशिला केंद्र विश्वविद्यालय की स्थापना की थी. यहां बौद्ध धर्म, व्याकरण, संस्कृत और तंत्र विद्या की शिक्षा दी जाती थी. विक्रमशिला विश्विद्यालय में विश्व के पहले कुलपति बने थे जिनका नाम आतिश दीपांकर था. स्थापना काल के लगभग 400 साल बाद 12वीं शताब्दी में मुस्लिम आक्रमणकारी बख्तियार खिलजी ने विश्वविद्यालय को नष्ट कर दिया था.  

सिल्क सिटी के नाम से मशहूर है ये शहर

व्यवसाय की बात करें तो यहां सिल्क का कारोबार वर्षों से चल रहा है भागलपुर जिला सिल्क सिटी के नाम से भी जाना जाता है. जिले नाथनगर, चंपानगर क्षेत्र में करीबन 70 हजार से एक लाख परिवार सिल्क व्यवसाय से जुड़ा हुआ है.  हजारों घरों में पावर रूम लगे हुए हैं.  यहां तसर सिल्क और रेशम की साड़ियां,  कुर्ते समेत कई सारे कपड़े बनाए जाते हैं जिसकी देश-विदेश तक डिमांड है सिल्क का कारोबार भागलपुर से फैला है.

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भागलपुर के जातीय समीकरण

भागलपुर की जनसंख्या 30 लाख 37 हजार 766 है. इनमे से पुरुष की संख्या 16 लाख 15 हजार 663 है. तो महिला की संख्या 14 लाख 22 हजार 103 है. शहरी जनसंख्या 19.83 फीसदी है. जनसंख्या घनत्व 1182 है. भागलपुर लोकसभा के मतदाता की बात करें तो 22 लाख 68 हजार 479 मतदाता है. पुरुष की संख्या 12 लाख एक हजार 467 है तो महिला वोटरों की संख्या 10 लाख 67 हजार 12 है. 2023 में कुल 50 हजार 625 वोटर जुड़े है. भागलपुर में जातीय समीकरण की बात करें तो 3 लाख से अधिक गंगोता समाज है. 2 लाख कुर्मी कुशवाहा है. यादव व मुस्लिम 30 फीसदी है यानी साढ़े 6 लाख के करीब है. अगड़ी जाती व वैश्य करीबन 5 लाख है. महादलित, दलित पिछड़ा- 3 लाख वोटर है. अन्य जातियों के वोटरों की संख्या करीब साढ़े 3 लाख है. 

इस क्षेत्र की बड़े चुनावी मुद्दे

क्षेत्र के मुद्दों की बात करें तो यहां सबसे खास मुद्दा हवाई सेवा का है. हवाई सेवा के लिए लंबे समय से डिमांड रही है. हर चुनाव में हवाई सेवा मुद्दा बनता है, इसको लेकर कई दफा धरना प्रदर्शन हुआ लोकसभा में मुद्दा उठाया गया लेकिन कोई काम नहीं हुआ. विक्रमशिला केंद्रीय विश्विद्यालय का मुद्दा भी विशेष रहा है. कहलगांव स्थित अतिप्राचीन विक्रमशिला विश्विद्यालय के भग्नावशेष के समीप केंद्रीय विश्विद्यालय के निर्माण के लिए 500 करोड़ रुपये केंद्र ने दिए हैं, लेकिन राज्य सरकार द्वारा जमीन चयन की प्रक्रिया में देरी हुई है. देश विदेश में साख बनाने वाला भागलपुरी सिल्क का कारोबार अब सिमट रहा है, आर्डर के अभाव, धागों के कीमतों में बढ़ोतरी व कोकून की खेती में कमी से सैकड़ों पावरलूम बन्द पड़ गए है. सिल्क का व्यवसाय कमजोर होता जा रहा है. 

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भागलपुर में रोजगार का मुद्दा चुनावी मुद्दों में है. जिले से 2 से ढाई लाख लोग शहर के बाहर व बिहार के बाहर दूसरे प्रदेशों में रोजगार करते है. बियाडा की जमीन पर उद्योग नहीं लगने व फैक्ट्रियां नहीं रहने के कारण भी लोगों को रोजगार नहीं मिल रहा है. भागलपुर शहरी व प्रखंड क्षेत्र में जाम की समस्या आम है. शहर के मुख्य सड़कों की चौड़ाई कम होने व बड़े बड़े वाहनों के शहर में बेतरतीब तरीके से चलने के कारण शहर का कई हिस्सा जाम से जूझता है. इसके साथ कहलगांव, सुल्तानगंज, नवगछिया व नारायणपुर बाजार का हिस्सा जाम से कराहता है. भागलपुर में बारिश होने के बाद जल जमाव की समस्या उत्पन्न होती है. नाला छोटा रहने के कारण इसका पानी सड़क पर आ जाता है जिससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. शहरी क्षेत्र में जलजमाव की समस्या मुख्य है.

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