Jitanram Manjhi Vs Kumar Sarvjeet: एनडीए का नैया पार कराएंगे मांझी या सर्वजीत जलाएंगे गया में लालटेन
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Jitanram Manjhi Vs Kumar Sarvjeet: एनडीए का नैया पार कराएंगे मांझी या सर्वजीत जलाएंगे गया में लालटेन

Gaya Lok Sabha Seat: गया लोकसभा सीट की बात करें तो यह पिछले 50 साल से आरक्षित रही है. 1967 में इस सीट को आरक्षित घोषित किया गया था. इस सीट के आरक्षित होने से पहले कांग्रेस का कब्जा था. उसके बाद 1971 के चुनाव में ही यह सीट जनसंघ के खाते में चली गई.

जीतनराम मांझी बनाम कुमार सर्वजीत

Gaya Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण के मतदान के लिए चुनाव प्रचार अब खत्म हो गया है. पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होने वाला है और इसके लिए आज 17 अप्रैल को चुनाव प्रचार खत्म हुआ है. पहले चरण में बिहार की जिन सीटों पर मतदान होने हैं, उनमें जमुई, नवादा, औरंगाबाद और गया लोकसभा सीटें शामिल हैं. गया लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से एनडीए प्रत्याशी और हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतनराम मांझी और राजद प्रत्याशी कुमार सर्वजीत के बीच मुख्य मुकाबला है. जीतनराम मांझी के पक्ष में पीएम मोदी और नीतीश कुमार गया लोकसभा क्षेत्र में रैली कर चुके हैं तो राजद की ओर से पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख मुकेश साहनी भी कुमार सर्वजीत के पक्ष में आवाज बुलंद कर चुके हैं. अब देखना है कि गया की जनता जीतनराम मांझी के पक्ष में ईवीएम की बटन दबाती है या फिर कुमार सर्वजीत के पक्ष में.

पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2019 की बात करें तो जीतनराम मांझी तब महागठबंधन की ओर से उम्मीदवार थे और एनडीए की ओर से यह सीट जेडीयू के खाते में दी गई थी. जेडीयू ने तब विजय कुमार मांझी को प्रत्याशी बनाया था. विजय कुमार मांझी ने गया लोकसभा सीट पर जीतनराम मांझी को करारी मात दी थी. विजय कुमार मांझी को 4,67,007 वोट मिले थे तो जीतनराम मांझी को 3,14,581 लोगों ने वोट दिया था. इस तरह विजय कुमार मांझी ने जीतनराम मांझी को 1,52,426 वोटों से हराया था. 

गया लोकसभा सीट की बात करें तो यह पिछले 50 साल से आरक्षित रही है. 1967 में इस सीट को आरक्षित घोषित किया गया था. इस सीट के आरक्षित होने से पहले कांग्रेस का कब्जा था. उसके बाद 1971 के चुनाव में ही यह सीट जनसंघ के खाते में चली गई. जनसंघ से यह सीट जनता पार्टी के खाते में चली गई और उसके बाद यहां से लगातार 2 बार कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी हुए. उसके बाद यह सीट जनता दल की हो गई. उसके बाद भाजपा प्रत्याशी यहां से चुने गए तो बाद में राजद ने भी यह सीट भाजपा से छीन ली. उसके बाद भाजपा ने यह सीट राजद से छीन ली और 2019 तक यह सीट एनडीए के कब्जे में रही.

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गया लोकसभा सीट की खास बात यह है कि पिछले 3 चुनाव से यह सीट मांझी जाति के उम्मीदवार को ही जीत दिलाती आ रही है. इस क्षेत्र में सबसे अधिक मांझी समाज के मतदाता हैं. कुल 17 लाख मतदाताओं में अकेले 2.5 से अधिक वोट मांझी समाज का है तो करीब 5 लाख वोटर एससी/एसटी समाज से हैं. इसके अलावा अल्पसंख्यक, भूमिहार और राजपूत के साथ यादव और वैश्य भी यहां बड़ी भूमिका निभाते हैं.

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