Inspiring Story: ई-रिक्शा से भर रहीं हौंसलों में उड़ान, परिवार को पालने और पढ़ाई लिखाई में लगा रहीं जान
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Inspiring Story: ई-रिक्शा से भर रहीं हौंसलों में उड़ान, परिवार को पालने और पढ़ाई लिखाई में लगा रहीं जान

Nandini Struggle Story: जिस उम्र में सपने देखे जाते हैं, उस उम्र में नंदिनी पढ़ाई के साथ ई रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पाल रही हैं. नंदिनी का सपना डॉक्टर बनने का है. पढ़ाई में नंदिनी अपने सहपाठियों से पीछे नहीं है. कई मामलों में वह उनसे आगे है पर जिम्मेदारियों का बोझ...

ई रिक्शा चलाकर परिवार को संभाल रही हैं नंदिनी

Nandini's Emotional Story: अपना जमाना आप बनाते हैं अहल ए दिल, हम वो नहीं कि जिनको जमाना बना गया. जिगर मुरादाबादी का यह शे'अर किशनगंज की 16 साल की नंदिनी पर एकदम फिट बैठता है. इस उम्र में जहां नंदिनी जैसे लड़के और लड़कियां पढ़ाई लिखाई और अपने करियर बनाते हैं, वहीं नंदिनी के हिस्से में सपनों के बदले संघर्ष आया और अपना जज्बा दिखाते हुए नंदिनी पढ़ाई के साथ साथ आज हर बाधा पार करने की कोशिश करती दिखती हैं. किशनगंज शहर के वार्ड संख्या 31 में हवाई अड्डा चहारदीवारी के किनारे सरकारी जमीन पर टूटे—फूटे कच्चे घर में रह रही नंदिनी के पिता की आर्थिक तंगी ने उसे कम उम्र में ही जिम्मेदारियों का बोझ लेकर चलने पर मजबूर कर दिया. जब बच्चे स्कूल और कॉलेज टाइम के बाद खेलते हैं या फिर आराम करते हैं, तब नंदिनी ई रिक्शा लेकर सड़कों पर निकल पड़ती हैं.

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सुबह स्कूल और शाम को ई-रिक्शा चलाना नंदिनी की दिनचर्या है. रोजाना वह तीन से चार घंटे नंदिनी ई रिक्शा चलाती हैं. ऐसा नहीं है कि नंदिनी पढ़ाई में पीछे हैं. नंदिनी तो अपने साथ वाले स्टूडेंट्स से किसी भी स्पर्धा में कम नहीं हैं. नंदिनी का कहना है कि मेरे पास पढ़ाई के लिए समय कम है लेकिन मेरे सपने बहुत बड़े हैं. नंदिनी ने बताया कि पिता पर कर्ज का बोझ है. परिवार में चार बहन और एक भाई है. घर नहीं है तो परिवार सरकारी जमीन पर रहता है. 

नंदिनी पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहती है. अभी वह शहर के गर्ल्स हाई स्कूल में 11वीं में पढ़ती है. अपने खर्च से भाई बहनों को भी पढ़ा लिखाकर अपने पैरों पर खड़ा करवाना चाहती हैं. नंदिनी के लिए ई-रिक्शा चलाना सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि परिवार की मदद का जरिया है. यह काम आसान नहीं है. कई बार उसे ताने सुनने पड़ते हैं, तो कभी यात्रियों की बदतमीजी भी सहनी पड़ती है, लेकिन नंदिनी हर मुश्किल को मुस्कुराकर पार कर जाती हैं.

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नंदिनी की कहानी आज कई लोगों के लिए प्रेरणा बन गई है. उसकी लगन और मेहनत को देखकर कुछ लोग उसकी मदद के लिए आगे भी आए हैं. नगर परिषद अध्यक्ष इंद्रदेव पासवान ने कहा कि उनके संज्ञान में मामला आया है और तहसीलदार को निर्देश दिया गया है कि बच्ची को हरसंभव मदद दी जाए. वहीं किशनगंज अनुमंडल पदाधिकारी लतीफुर रहमान अंसारी ने कहा, सरकार द्वारा छात्रवृति योजना, साइकिल सहित कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. बच्ची को ये सारी सुविधाएं मिले, इसके लिए जरूर कोशिश की जाएगी.

नंदिनी आगे चलकर एक डॉक्टर बनना चाहती हैं और लोगों की सेवा को ही सपना बुनकर चल रही हैं. नंदिनी की प्राथमिकता में अपने सपने तो हैं ही, लेकिन परिवार को मुश्किलों से पार कराना भी शामिल है. नंदिनी का मानना है कि हालात चाहे जितनी भी कठिन हों, हिम्मत और दृढ़ निश्चय हो तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता.

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