खतरे में है 1700 गेस्ट टीचर्स की नौकरी,जानें क्या है कारण
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खतरे में है 1700 गेस्ट टीचर्स की नौकरी,जानें क्या है कारण

Guest Teachers: अपनी नौकरी खतरे में देखते हुए पिछले दिनों गर्दनीबाग में शिक्षकों ने धरना भी दिया लेकिन इसका असर शिक्षा विभाग पर नहीं पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर अतिथि शिक्षक अब शिक्षा विभाग से मानवीय आधार पर अपनी नौकरी को रिन्यूअल दूसरे शब्दों में कहें तो सेवा विस्तार की मांग कर रहे हैं.

खतरे में है 1700 गेस्ट टीचर्स की नौकरी,जानें क्या है कारण

पटनाः Guest Teachers: शिक्षा विभाग की लगातार मीटिंग के बाद अब राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली तेज कर दी है. इसी का परिणाम ये है कि कुछ विश्वविद्यालयों को स्थाई शिक्षक मिले हैं, लेकिन शिक्षा विभाग की सख्ती और राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग की तेजी के कारण उन शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ गई है, जो पिछले कुछ सालों से अस्थाई तौर से गेस्ट फैकल्टी के रूप में छात्रों को पढ़ा रहे थे.

कॉलेजों में थी शिक्षकों की कमी
अपनी नौकरी खतरे में देखते हुए पिछले दिनों गर्दनीबाग में शिक्षकों ने धरना भी दिया लेकिन इसका असर शिक्षा विभाग पर नहीं पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर अतिथि शिक्षक अब शिक्षा विभाग से मानवीय आधार पर अपनी नौकरी को रिन्यूअल दूसरे शब्दों में कहें तो सेवा विस्तार की मांग कर रहे हैं. बिहार के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों की कमी थी और इसी की भरपाई के लिए गेस्ट फैकल्टी की बहाली होने लगी है. 

सभी अतिथि शिक्षकों की नौकरी खत्म
साल 2018 से राज्य के 9 विश्वविद्यालयों में गेस्ट फैकल्टी की नियुक्ति शुरू हुई थी. एक प्रोफेसर की नियुक्ति में जिन शैक्षणिक योग्यताओं और मापदंडों का पालन करना होता है उन सभी मापदंडों के तहत ही शिक्षा विभाग ने अतिथि शिक्षकों की बहाली की जानी शुरू हुई. जिसके बाद अब तक पूरे बिहार में 1700 से अधिक अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है. पटना यूनिवर्सिटी में 15 जुलाई तक 143 अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति होनी है,पहले से काम कर रहे 83 पुराने अतिथि शिक्षकों की ही नौकरी रिन्यूअल हुई है. दूसरी ओर पटना विश्वविद्यालय में ही भूगर्भशास्त्र विभाग में काम कर रहे सभी अतिथि शिक्षकों की नौकरी खत्म कर दी गई है.

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शिक्षा विभाग नहीं है मजबूर
हालांकि शिक्षा विभाग इनकी नौकरी को पक्की करने के लिए कानूनी रूप से मजबूर नहीं है. नियमों के मुताबिक, बिहार में अतिथि शिक्षकों की सर्विस 11 महीने की होती है और विभाग जरूरत के मुताबिक या तो इन्हें हटा दे या फिर इनकी नौकरी रिन्यूअल कर दे. शिक्षा विभाग ने भी कहा है कि ,नियमों के तहत इन्हें बहाली किया गया है लेकिन आगे की कार्रवाई भी नियम के अनुसार ही होगी. यानि ये शिक्षा विभाग पर निर्भर करेगा कि 1700 की संख्या में काम कर रहे अब ये शिक्षक सेवा में रहेंगे या बाहर हो जाएंगे. पटना विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर अनिल कुमार ने इस मामले में नियमों का हवाला दिया है. अतिथि शिक्षकों की मांग मानने के लिए शिक्षा विभाग बाध्य नहीं है लिहाजा इसमें विभाग अतिथि शिक्षकों दोनों मिलकर बीच का रास्ता निकाल सकते हैं. हालांकि इन सबके बीच अच्छी खबर ये है कि, बिहार में अतिथि शिक्षकों की जगह अब स्थाई शिक्षक विश्वविद्यालयों को मिलने लगे हैं.

रिपोर्ट- प्रीतम कुमार

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