26 साल कैद में रहने के बाद अब 'पवनसुत हनुमान' को मिलेगी आजादी, जानकर दंग रह जाएंगे
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26 साल कैद में रहने के बाद अब 'पवनसुत हनुमान' को मिलेगी आजादी, जानकर दंग रह जाएंगे

जंजीरों से जकड़े भगवान हुनुमान जी का मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के गुंडी गाव स्थित श्री रंगनाथ स्वामी जी के मंदिर की है. यहां 1994 में मूर्ति की चोरी हुई थी, तब चोरों ने भगवान श्री रामानुज स्वामी और हनुमान जी की अष्टधातु की बेसकीमती मूर्ति चुरा ली थी.

(फाइल फोटो)

आराः भोजपुर जिले में आज संकट हरण पवनसुत हनुमान खुद संकट में फंस गए हैं. 26 साल कैद में रहने के बाद अब जाकर 'आजादी' की कवायद शुरू की गई है. माता सीता की खोज में समुद्र पार जाने वाले हनुमान आज भोजपुर पुलिस की गिरफ्त में हैं. करीब 26 वर्षों से उनकी अष्टधातु की पावन मूर्ति भोजपुर जिले के कृष्णागढ़ थाना के माल खाने में रखी है. लगभग 26 वर्षों में उनको कोई जमानतदार नहीं मिल सका है. ये वाकया सुनने में भले ही अटपटा लग रहा हो, लेकिन सच्चाई यही है. 

जंजीरों से जकड़े भगवान हुनुमान 
जंजीरों से जकड़े भगवान हुनुमान जी का मामला भोजपुर जिले के बड़हरा प्रखंड के गुंडी गाव स्थित श्री रंगनाथ स्वामी जी के मंदिर की है. यहां 1994 में मूर्ति की चोरी हुई थी, तब चोरों ने भगवान श्री रामानुज स्वामी और हनुमान जी की अष्टधातु की बेसकीमती मूर्ति चुरा ली थी. बाद में आरा के नगर थाना क्षेत्र के सिंगही गांव के बगीचा में हनुमान जी की मूर्ति पुलिस के द्वारा बरामद कर ली गई थी.  लेकिन रामानुज स्वामी जी भगवान की मूर्ति आज तक बरामद नहीं हो सकी है. जिसकी खोज आज भी भोजपुर पुलिस कर रही है. हनुमान जी की मूर्ति बरामदगी के बाद उनका मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 42 लाख रुपये किया गया था. तब आरा सिविल कोर्ट की ओर से मूर्ति की जमानत के लिए उतने रुपए का ही जमानतदार मांगा जा रहा था लेकिन कोई भी इतने रुपए का जमानतदार बनने को तैयार नहीं हुआ. तब से अपने जमानत की बाट जोह रहे हनुमान जी कैद में हैं. 

थाने के माल खाने में कैद हैं हनुमान
बाद में काफी प्रयास करने के बाद मूर्ति की सुरक्षा की गारंटी के बाद इसे थाने से रिलीज करने की बात आई. इसके लिए भी कोई तैयार नहीं हुआ है. इस कारण आज हनुमान जी की मूर्ति कृष्णा गढ़ थाने के माल खाने में कैद है. ऐसे में कहना गलत नहीं होगी कि प्रभु श्री राम के अनन्य भक्तों और अपने भक्तों को एक अदद जमानतदार का इंतजार है. इस संबंध में कृष्णागढ़ थानाध्यक्ष अरविंद कुमार ने बताया कि माल खाने में जब्त हनुमान जी की मूर्ति को रिलीज कराने के लिए आवेदन फ़ाइल करना होगा. इसके बाद पुलिस की और से जांच प्रतिवेदन समर्पित की जाएगी. तब कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद जमानत संभव है.

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पटना महावीर मंदिर ट्रस्ट की तरफ से मूर्ति को छुड़ाने की कोशिश शुरू
अब जब मामला उजागर हुआ है तब 26 वर्षों से कैद में हनुमान जी को बाहर निकालने की कवायद पटना महावीर मंदिर ने शुरु की है. कृष्णागढ़ थाने में बीते 26 वर्षों से कैद हनुमान जी के धातु की मूर्ति को छुड़ाने के लिए अब पटना के महावीर मंदिर न्यास समिति ने सराहनीय पहल की है. महावीर मंदिर न्यास के सचिव आचार्य कुणाल किशोर ने गुरुवार को भोजपुर पुलिस अधीक्षक से फोन पर बात कर जमानत की पेशकश की है. कानूनन मूर्ति को थाने से छुड़ाने के लिए कोर्ट से अनुमति लेनी होगी और जमानत की राशि 42 लाख रुपये जमा करना होगा. आचार्य कुणाल किशोर ने हनुमान जी की मूर्ति वापस आने पर भोजपुर पुलिस की ओर से उनकी सुरक्षा सुनिश्चित होने पर जमानत का प्रस्ताव रखा है. जिसकी प्रसंसा हो रही है. 

तीन बार हो चुकी है इस मंदिर में चोरी
हालांकि अब तक तीन बार हो चुकी है इस मंदिर में चोरी. जो सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. वर्तमान में गुंडी के रंगनाथ मंदिर के कर्ताधर्ता डॉ बबन सिंह ने बताया कि मंदिर में पहली चोरी 1969 में हुई थी. उस दौरान चोरों ने गोदाम्बा, रंगनाथ भगवान, राम और जानकी की मूर्ति चुराई थी. उसके बाद चोरों ने दूसरी चोरी करीब दस साल के बाद किया, जिसमें गरुड़ जी, शतकोप स्वामी और बर्बर मुनि स्वामी की प्रतिमा चोरी हुई. वहीं चोरों ने एक बार फिर से सन 1994 में तीसरी बार चोरी की घटना को अंजाम दिया. इस चोरी में चोरों ने अष्टधातु की बेशकीमती हनुमान जी और रामानुज स्वामी की मूर्ति को चुरा लिया लेकिन ग्रेनाइट की सभी मूर्ति अभी भी मंदिर में ही है, हालांकि अभी तक ग्रेनाइट की मूर्ति को कभी चोरों ने अपना निशाना नहीं बनाया है.

बता दें कि भोजपुर जिले के आदर्श ग्राम गुंडी में 1840 में बना दक्षिण भारत शैली पर आधारित मंदिर ये मंदिर अपने आप मे सुदंरता का मिशाल है, जिसे देखने के लिए दूर दराज से भी लोग आते हैं. मंदिर के बारे में डॉक्टर युगल किशोर सिंह उर्फ बबन सिंह ने बताया कि मंदिर का निर्माण 1840 में हुआ था.  जिसे चौधरी बाबु विष्णु देव नारायण सिंह ने बनवाया था. इस मंदिर को बनाने के लिए उत्तरप्रदेश के चुनारगढ़ के पत्थर भी लाये गए थे जिससे बना ऐतिहासिक मंदिर आज भोजपुर जिले के लिए एक मिसाल है. इस मंदिर का निर्माण केवल पत्थरों से कराया गया है.  उसके बाद सभी मूर्तियां को मद्रास से लाया गया था. 

बहरहाल अब देखना ये अहम होगा कि कब भगवान हनुमान जी को जमानत मिलेगा और कब वो अपने स्थान पर पुनः स्थापित होंगे?

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