Allahabad High Court News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरखपुर ट्रायल कोर्ट का 43 साल पुराना फैसला पलटते हुए हत्या के दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है.
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Allahabad High Court Judgement: करीब 46 साल, गोरखपुर में हत्या का एक मामला दर्ज हुआ था. अगले ही दिन, सात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई. ट्रायल कोर्ट में मुकदमा चला. 1981 में, ट्रायल कोर्ट ने पांच आरोपियों को दोषी करार दिया, दो को सभी आरोपों से बरी कर दिया. उस फैसले को 43 साल बाद, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पलट दिया है. उन दो आरोपियों को भी दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. HC ने गोरखपुर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को निर्देश दिया है कि वे दोनों दोषियों की गिरफ्तारी और जेल सुनिश्चित करें. यह मामला 22 सितंबर, 1978 का है. गोरखपुर में गंगा नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी गई थी. अगले दिन घुघुली थाने में सात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुआ. पुलिस ने जांच के बाद सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की. ट्रायल कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई.
21 जनवरी, 1981 को गोरखपुर के एडिशनल सेशंस जज ने फैसला सुनाया. अयोध्या, सनहू, छांगुर, लखन और राम जी को आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत दोषी करार दिया गया. इन पांचों को उम्रकैद की सजा हुई थी. उसी फैसले में जज ने प्यारे और छोटकू को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. सरकार ने हाई कोर्ट में अपील की. जस्टिस राजीव गुप्ता और जस्टिस शिव शंकर प्रसाद की बेंच ने सुनवाई के बाद 7 मई 2024 को फैसला सुनाया है.
HC ने पाया कि ट्रायल कोर्ट ने सबूतों की ठीक से पड़ताल नहीं की थी. हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का निष्कर्ष कि अभियोजन पक्ष आरोपी-प्रतिवादियों के खिलाफ उचित संदेह से परे अपने मामले को साबित करने में सफल नहीं हुआ है, कायम नहीं रह सकता. HC के मुताबिक, अभियोजन पक्ष ने जो सबूत दिए हैं, उससे आरोपी-प्रतिवादियों का अपराध पूरी तरह साबित होता है. हाई कोर्ट ने फैसले में कहा, 'आरोपी-प्रतिवादी प्यारे सिंह और छोटकू को बरी करने का फैसला रद्द किया जाता है.'