यह हिंदुस्तान है और बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा..., मुसलमानों को लेकर ये क्या बोल गए जज साहब
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यह हिंदुस्तान है और बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा..., मुसलमानों को लेकर ये क्या बोल गए जज साहब

Justice Shekhar Kumar Yadav: सोशल मीडिया पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. जिसमें वो विश्व हिंदू परिषद के एक प्रोग्राम में मुसलमानों को लेकर विवादित बयान देते दिखाई दे रहे हैं. वीडियो सामने आने के बाद लोग उनको लेकर तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं. 

यह हिंदुस्तान है और बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा..., मुसलमानों को लेकर ये क्या बोल गए जज साहब

इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव ने कहा कि उन्हें यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि 'हिंदुस्तान, देश में रहने वाले बहुसंख्यक लोगों की इच्छा के अनुसार चलेगा. यह कानून है... हकीकत में कानून बहुसंख्यकों के मुताबिक काम करता है. इसे परिवार या समाज के संदर्भ में देखें... सिर्फ वही स्वीकार किया जाएगा जो बहुसंख्यकों के कल्याण और खुशी के लिए लाभकारी हो.' जस्टिस यादव का यह वीडियो सामने आते ही सोशल मीडिया पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाओं को दौर शुरू हो गया. 

तीन तलाक और हलाला अस्वीकार्य

बताया जा रहा है कि जस्टिस यादव को प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक कार्यक्रम बोल रहे थे. इस मौके पर उन्होंने मुस्लिम समुदाय का नाम लिए बिना जस्टिस ने कहा कि कई पत्नियां रखना, तीन तलाक और हलाला जैसी प्रथाएं 'अस्वीकार्य"'हैं. उन्होंने कहा,'अगर आप कहते हैं कि हमारा पर्सनल लॉ इसकी अनुमति देता है, तो इसे कबूल नहीं किया जाएगा. आप उस महिला का अपमान नहीं कर सकते जिसे हमारे शास्त्रों और वेदों में देवी के रूप में मान्यता दी गई है. 

4 पत्नियों पर भी दिया बड़ा 

जस्टिस यादव ने आगे कहा,'आप चार पत्नियां रखने, हलाला करने या तीन तलाक़ का अधिकार नहीं मांग सकते. आप कहते हैं, 'हमें तीन तलाक़ का अधिकार है और महिलाओं को भरण-पोषण नहीं देना है' लेकिन यह अधिकार काम नहीं करेगा. यूसीसी ऐसी चीज़ नहीं है जिसकी वकालत वीएचपी, आरएसएस या हिंदू धर्म करते हैं. देश की शीर्ष अदालत भी इसके बारे में बात करती है.'

समान संस्कृति के पालन की अपेक्षा नहीं लेकिन...

न्यायाधीश ने कबूल किया कि हिंदू धर्म में बाल विवाह और सती जैसी सामाजिक बुराइयां थीं, लेकिन राम मोहन राय जैसे सुधारकों ने इन प्रथाओं को खत्म करने के लिए संघर्ष किया. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू अन्य समुदायों से समान संस्कृति और परंपराओं का पालन करने की अपेक्षा नहीं करते हैं, लेकिन उनसे "निश्चित रूप से इस देश की संस्कृति, महान हस्तियों और इस भूमि के भगवान का अपमान न करने की अपेक्षा की जाती है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में हमें सिखाया जाता है कि छोटे से छोटे जानवर को भी नुकसान न पहुंचाएं, चींटियों को न मारें और यह सीख हमारे अंदर समाई हुई है. शायद इसीलिए हम सहिष्णु और दयालु हैं; जब दूसरे पीड़ित होते हैं तो हमें दर्द होता है लेकिन आपकी संस्कृति में, छोटी उम्र से ही बच्चों को जानवरों के वध के बारे में बताया जाता है. आप उनसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे सहिष्णु और दयालु होंगे?'

एक देश एक कानून होना चाहिए

राष्ट्रव्यापी समान नागरिक संहिता की उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने में समय लगा, लेकिन वह दिन दूर नहीं जब यह साफ हो जाएगा कि अगर एक देश है, तो एक कानून और एक दंडात्मक कानून होना चाहिए. जो लोग धोखा देने या अपना एजेंडा चलाने की कोशिश करते हैं वे लंबे समय तक नहीं टिकेंगे.'

'कठमुल्ला' पर भी कही बड़ी बात

जज ने कई विवादित बयान दिए, जिसमें 'कठमुल्ला' शब्द का इस्तेमाल करना भी शामिल है. चरमपंथियों को "कठमुल्ला" कहते हुए उन्होंने कहा कि देश को उनके बारे में सतर्क रहना चाहिए. जज ने कहा,'ये जो कठमुल्लाह है जो… ये सही शब्द नहीं है… लेकिन कहने में परहेज नहीं है क्योंकि वो देश के लिए बुरा है… देश के लिए खतरनाक है, खिलाफ़ है, जनता को भड़काने वाले लोग हैं… देश आगे ना बढ़े इस तरह के लोग हैं… उन्हें सावधान रहने की ज़रूरत है (लेकिन ये) कठमुल्ला... शब्द नहीं हो सकता... लेकिन मैं इसे कहने में संकोच नहीं करूंगा क्योंकि वे देश के लिए हानिकारक हैं. राष्ट्र के खिलाफ हैं और जो लोग जनता को भड़काते हैं, वे ऐसे लोग हैं जो नहीं चाहते कि देश प्रगति करे और हमें उनसे सावधान रहने की जरूरत है.'

गाय को लेकर भी दे चुके हैं बड़ा बयान

यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस शेखर कुमार यादव ने विवादित टिप्पणी की है. सितंबर 2021 में भी उन्होंने यह देखकर सुर्खियां बटोरीं कि 'वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि गाय एकमात्र ऐसा जानवर है जो ऑक्सीजन छोड़ता है.' उन्होंने संसद से गाय को राष्ट्रीय पशु बनाने और गोरक्षा को 'हिंदुओं का मौलिक अधिकार' घोषित करने का भी बात कही थी. 

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