Adani Hindeburg: अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मसला, SC ने पूछा- भविष्य में निवेशकों के हितों को कैसे सुरक्षित रखा जाए
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Adani Hindeburg: अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मसला, SC ने पूछा- भविष्य में निवेशकों के हितों को कैसे सुरक्षित रखा जाए

Supreme Court on Adani-Hindenburg: कोर्ट ने निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के मद्देनजर मौजूदा व्यवस्था को बेहतर बनाने के सुझाव देने के लिए एक कमेटी का गठन करने का भी संकेत दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत वो देश नहीं है, जो 90 के दशक में हुआ करता था. आज शेयर बाजार में सिर्फ संपन्न तबका ही निवेश नहीं करता, मध्यम वर्ग के निवेशकों की तादाद भी बहुत ज़्यादा है. 

Adani Hindeburg: अडानी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का मसला, SC ने पूछा- भविष्य में निवेशकों के हितों को कैसे सुरक्षित रखा जाए

Gautam Adani Networth: अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार में निवेशकों को हुए लाखों करोड़ के नुकसान पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और आरबीआई से पूछा है कि मौजूदा नियामक तंत्र को कैसे मजबूत किया जा सकता है ताकि भविष्य में निवेशकों के हित को सुरक्षित रखा जा सके. कोर्ट ने सेबी की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को सोमवार को इस बारे में बताने के लिए कहा है. यही नहीं, कोर्ट ने अपनी ओर से एक एक्सपर्ट कमेटी बनाने के संकेत भी दिए हैं, जो मौजूदा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सुझाव दे.

याचिकाओं में रखी मांग को कोर्ट ने नहीं दी तवज्जो

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच के सामने आज दो याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी थीं. वकील एमएल शर्मा की ओर से दायर याचिका में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हुए एंडरसन और उसके भारत में मौजूद सहयोगियों के खिलाफ जांच की मांग की गई थी. इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट के जरिये आपराधिक साजिश रची गई, ताकि अडानी के शेयरों में आर्टिफिशियल तरीके से गिरावट लाकर खुद शॉट सेलिंग के जरिये मुनाफा कमाया जा सके. वहीं, दूसरी ओर वकील विशाल तिवारी की ओर से दायर याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में जांच की मांग की गई थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोनों ही याचिकाओं में रखी मांगों को अहमियत नहीं दी. इसके बजाए कोर्ट ने इस पर विचार किया कि भविष्य में निवेशकों के हितों को कैसे सुरक्षित रखा जा सकता है .

निवेशकों को हुआ लाखों-करोड़ का नुकसान

सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि कैसे निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखा जाए. शॉर्ट सेलिंग अगर छोटे स्तर पर होती है तो कोई चिंता नहीं है. लेकिन जब ये बड़े स्तर पर हो, जैसा कि इस केस में हुआ तो निवेशकों को लाखों करोड़ का नुकसान होता है. आज पूंजी का प्रवाह देश के अंदर- बाहर निर्बाध तरीके से हो रहा है. सवाल ये है कि भविष्य में ऐसी स्थिति को रोकने के लिए हम सेबी से क्या अपेक्षा कर सकते हैं.

शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों में मध्यम वर्ग भी शामिल

कोर्ट ने निवेशकों के हितों को सुरक्षित रखने के मद्देनजर मौजूदा व्यवस्था को बेहतर बनाने के सुझाव देने के लिए एक कमेटी का गठन करने का भी संकेत दिया. चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत वो देश नहीं है, जो 90 के दशक में हुआ करता था. आज शेयर बाजार में सिर्फ संपन्न तबका ही निवेश नहीं करता, मध्यम वर्ग के निवेशकों की तादाद भी बहुत ज़्यादा है. ऐसे में मौजूदा तंत्र को मजबूत बनाने के लिए हम कमेटी के गठन पर भी विचार कर सकते हैं, जिसमें मार्केट एक्सपर्ट, बैकिंग सेक्टर के लोग और मार्गदर्शन के लिए रिटायर्ड जज शामिल हों.

SG सोमवार को कोर्ट को देंगे जानकारी

कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आप वित्त मंत्रालय के एक्सपर्ट से मशविरा करें और सोमवार को कोर्ट को बताएं कि मौजूदा नियामक व्यवस्था क्या है और इसमें क्या सुधार हो सकता है.

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