समाज से लड़कर सच किया सपना, कुदरत से हारी, पिता के साथ बाढ़ में बह गई 26 साल की अवॉर्ड विनिंग साइंटिस्ट
Advertisement
trendingNow12413601

समाज से लड़कर सच किया सपना, कुदरत से हारी, पिता के साथ बाढ़ में बह गई 26 साल की अवॉर्ड विनिंग साइंटिस्ट

Telangana Flood: रविवार की सुबह-सुबह, उनके पिता मोतीलाल ने भारी बारिश के बीच उनको हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर छोड़ने का फैसला किया. वे दोनों पड़ोसी महबूबाबाद जिले के मरीपेडा पहुंच गए थे और अकरू वागु पुल पर चढ़ गए, जो पहले से ही ओवरफ्लो था. 

समाज से लड़कर सच किया सपना, कुदरत से हारी, पिता के साथ बाढ़ में बह गई 26 साल की अवॉर्ड विनिंग साइंटिस्ट

Indian Scientist: तेलंगाना के महबूबाबाद जिले में रविवार सुबह आई भयंकर बाढ़ 26 साल की अवॉर्ड विनिंग एग्रीकल्चर साइंटिस्ट डॉ. नूनावथ अश्विनी और उनके पिता को भी बहाकर ले गई. अश्विनी अपने गांव से पहले साइंटिस्ट थीं. आमतौर पर उनके गांव में लड़कियों के लिए दो ही काम माने जाते थे-पहला जल्दी शादी और दूसरा घर संभालना. लेकिन इन सारी बातों को दरकिनार करते हुए अश्विनी को सिर्फ अपना सपना नजर आता था और उन्होंने इसे हासिल करके ही दम लिया. 

दरअसल, रविवार सुबह वह अपनी गाड़ी से हैदराबाद जा रही थीं, जहां वह हादसे की शिकार हो गईं. उनके बड़े भाई एन हरी ने कहा, 'हमने परिवार के बेहद प्यारे सदस्य को खो दिया. वह बहुत ही महत्वाकांक्षी और होशियार थी. अपने सपने पूरे करने की राह पर बढ़ रही थी.'

प्लांट ब्रीडिंग में की थी पीएचडी

अश्विनी ने प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स में पीएचडी की हुई थी. वह छत्तीसगढ़ के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बायोटिक स्ट्रेस मैनेजमेंट में बतौर साइंटिस्ट काम कर रही थीं. उनको अप्रैल में रायपुर में हुई एग्रीकल्चर कॉन्फ्रेंस में यंग साइंटिस्ट का अवॉर्ड मिला था. 

अश्विनी ने अश्वरावपेट स्थित प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना स्टेट एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बीएससी, दिल्ली स्थित इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टिट्यूट से एमएससी की थी. 

अकैडमिक्स में हमेशा रहीं अव्वल

परिवार के सदस्यों ने बताया कि अपनी अकैडमिक जर्नी में वह हमेशा अव्वल और दर्जनों रिसर्च पेपर्स की लेखिका या सह-लेखिका रहीं.

हरि ने कहा, 'दो साल पहले उन्होंने बतौर साइंटिस्ट जॉइन किया था. उनके सामने एक शानदार करियर था. लेकिन उसके पास जिंदगी कम थी.' अश्विनी का परिवार खम्मम जिले के सिंगरेनी मंडल के गंगाराम थांडा का रहने वाला है. मंगलवार को पोस्टमॉर्टम के बाद पिता-बेटी का शव परिवारवालों को सौंप दिया गया. उनकी अंतिम यात्रा में शरीक होने ना सिर्फ गांववाले बल्कि आसपास के इलाकों से भी लोग आए थे. 

सोमवार को वापस ड्यूटी पर आना था

पिछले हफ़्ते अश्विनी अपने भाई अशोक कुमार की सगाई समारोह में शामिल होने के लिए घर गई थीं. उन्हें रविवार को रायपुर वापस लौटना था और सोमवार को ड्यूटी पर आना था.

रविवार की सुबह-सुबह, उनके पिता मोतीलाल ने भारी बारिश के बीच उनको हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर छोड़ने का फैसला किया. वे दोनों पड़ोसी महबूबाबाद जिले के मरीपेडा पहुंच गए थे और अकरू वागु पुल पर चढ़ गए, जो पहले से ही ओवरफ्लो था. 

आखिरी बार भाई को किया था फोन

अश्विनी ने आखिरी बार अपने भाई अशोक को घबराकर फोन किया और बताया कि कार डूब रही है और उसमें गर्दन तक पानी भरा हुआ है. हरि ने बताया, "जब अशोक ने कुछ देर बाद वापस फोन किया तो दोनों के मोबाइल फोन नहीं मिल रहे थे." उन्हें बचाने के लिए पहुंचे मारीपेडा पुलिस स्टेशन के अधिकारियों ने कहा कि शायद उन्होंने पुल के ऊपर से बह रहे पानी और धाराओं की ताकत का गलत अनुमान लगाया. एक अधिकारी ने बताया, "हमें कुछ घंटों बाद अश्विनी का शव पास के एक खेत में मिला, जबकि मोतीलाल का शव सोमवार को नीचे की ओर मिला." 

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news