Assembly Bypolls: जिन विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है उनमें रायगंज, राणाघाट दक्षिण, बागदा व मानिकतला (पश्चिम बंगाल), बद्रीनाथ व मंगलौर (उत्तराखंड), जालंधर पश्चिम (पंजाब), देहरा, हमीरपुर व नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश), रुपौली (बिहार), विक्रावंडी (तमिलनाडु) और अमरवाड़ा (मध्यप्रदेश) शामिल है.
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लोकसभा चुनाव नतीजे आने और एनडीए सरकार बनने के बाद एक बार सियासी जंग की बारी है. 7 राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर 10 जुलाई को उपचुनाव हो रहा है. 22 जुलाई को बजट सत्र शुरू होने जा रहा है. उसको देखते हुए ये उपचुनाव दोनों ही पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है. दोनों ही पक्षों में जिसके भी हक में परिणाम जाएंगे वो उसके लिए मोरल बूस्टर का काम करेंगे. आइए जानते हैं कहां हो रहे ये उपचुनाव और किसकी कहां लगी है प्रतिष्ठा? इन सीटों पर मतगणना 13 जुलाई को होगी.
पंजाब (1 सीट): पंजाब की जालंधर पश्चिम विधानसभा सीट पर बुधवार को हो रहे उपचुनाव को मुख्यमंत्री भगवंत मान के लिए अग्निपरीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है, जिन्होंने लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के खराब प्रदर्शन के बाद उपचुनाव में जीत के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है. जालंधर पश्चिम एक आरक्षित विधानसभा क्षेत्र है. यहां ‘आप’, कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवारों के बीच बहुकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं.
जालंधर पश्चिम विधानसभा उपचुनाव में जीत मान के लिए जरूरी है क्योंकि हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में ‘आप’ का प्रदर्शन खराब रहा था और पार्टी पंजाब की 13 लोकसभा सीटों में से महज तीन पर जीत दर्ज कर पाई थी. मान पिछले दो साल अपनी सरकार द्वारा दी गई मुफ्त बिजली और मोहल्ला क्लीनिक जैसी सुविधाओं के नाम पर मतदाताओं से पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं.
यहां तक कि मान ने जालंधर में किराये पर एक घर ले लिया और अपने परिवार के साथ वहां रहने चले गए. उन्होंने कहा कि वह उपचुनाव के बाद भी यह घर अपने पास रखेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि वह हफ्ते में दो दिन दोआबा और माझा क्षेत्र के लोगों से मिलकर उनके रोजमर्रा के काम पूरे करवाएंगे.
जालंधर पश्चिम सीट शीतल अंगुरल के ‘आप’ विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद खाली हो गई थी. पंजाब में सत्तारूढ़ ‘आप’ ने मोहिंदर भगत को मैदान में उतारा है, जो पूर्व मंत्री और भाजपा के पूर्व विधायक भगत चुन्नी लाल के बेटे हैं. भगत पिछले साल भाजपा छोड़ ‘आप’ में शामिल हो गए थे. भगत समुदाय से जुड़े भगत ने 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा के टिकट पर जालंधर पश्चिम सीट से किस्मत आजमाई थी. हालांकि, उन्हें दोनों ही बार हार का सामना करना पड़ा था. मान ने भगत के विधायक चुने जाने पर उन्हें अपनी सरकार में मंत्री बनाने के भी संकेत दिए हैं.
वहीं, कांग्रेस ने सुरिंदर कौर पर दांव लगाया है, जो जालंधर की पूर्व वरिष्ठ उप-महापौर और पांच बार की नगर निगम पार्षद हैं. वह रविदासिया समुदाय से जुड़ी एक प्रमुख दलित नेता हैं. दूसरी ओर, भाजपा ने शीतल अंगुरल को मैदान में उतारा है, जो मार्च में ‘आप’ छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे. अंगुरल सियालकोटिया रविदासिया समुदाय से ताल्लुक रखते हैं.
इसी तरह, सुखबीर बादल के नेतृत्व वाले शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने सुरजीत कौर को टिकट दिया था, लेकिन पार्टी ने बाद में उनसे समर्थन वापस ले लिया. शिअद ने जालंधर पश्चिम उपचुनाव में बसपा उम्मीदवार बिंदर कुमार का समर्थन करने की घोषणा भी कर दी. हालांकि, बादल के खिलाफ बगावत करने वाले शिअद नेताओं का एक समूह उपचुनाव में कौर का समर्थन कर रहा है.
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पश्चिम बंगाल (4 सीट): लोकसभा में ममता बनर्जी की टीएमसी ने बीजेपी को पिछली बार से कम सीटों पर समेट दिया. अब टीएमसी की कोशिश है कि चारों सीटों पर जीत हासिल कर प्रदेश में कोई विकल्प न छोड़ा जाए. जबकि बीजेपी इनमें से कुछ सीटों को जीतकर अपने कार्यकर्ताओं में संदेश देना चाहती है कि ममता का विकल्प सिर्फ और सिर्फ बीजेपी ही है. बंगाल में रायगंज, रानाघाट दक्षिण, बगड़ा और मनिकतला सीटों में उपचुनाव हो रहे हैं. पश्चिम बंगाल में 2021 के विधानसभा चुनावों में टीएमसी ने मानिकतला सीट पर कब्जा जमाया था, जबकि भाजपा ने रायगंज, राणाघाट दक्षिण और बगदाह में जीत हासिल की थी. हालांकि, भाजपा विधायक बाद में पार्टी छोड़कर टीएमसी में चले गए थे. फरवरी 2022 में टीएमसी विधायक साधन पांडे की मृत्यु के कारण मानिकतला विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है.
टीएमसी ने पांडे की पत्नी सुप्ती को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है. सत्तारूढ़ पार्टी ने रायगंज से कृष्णा कल्याणी और रानाघाट दक्षिण से मुकुट मणि अधिकारी को अपना प्रत्याशी बनाया है. भाजपा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ के अध्यक्ष कल्याण चौबे को मानिकतला, मनोज कुमार विश्वास को राणाघाट दक्षिण, बिनय कुमार विश्वास को बगदाह और मानस कुमार घोष को रायगंज से चुनाव मैदान में उतारा है.
हिमाचल प्रदेश (3 सीट): हिमाचल में लोकसभा की चारों सीट जीतकर बीजेपी लोकसभा में अपना दमखम दिखा चुकी है. ऐसे में देहरा, हमीरपुर और नालागढ़ विधानसभा उपचुनाव जीतकर उस जीत के सिलसिले को जारी रखना चाहती है. जबकि कांग्रेस इसे लोकल बनाम केंद्र बनाकर अपनी सरकार की स्थिति को और मजबूत करना चाहेगी. ये सीटें तीन निर्दलीय विधायकों-होशियार सिंह (देहरा), आशीष शर्मा (हमीरपुर) और के एल ठाकुर (नालागढ़) के 22 मार्च को सदन की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद रिक्त हुई थीं. इन विधायकों ने 27 फरवरी को हुए राज्यसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में मतदान किया था. वे अगले दिन ही भाजपा में शामिल हो गए थे लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने तीन जून को उनके इस्तीफे मंजूर किए थे. इन सीटों को रिक्त घोषित किया गया था, जिससे उपचुनाव कराने की आवश्यकता पड़ी. भाजपा ने तीनों निर्दलीय विधायकों को उनके निवार्चन क्षेत्रों से ही उम्मीदवार बनाया है.
वहीं, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खु की पत्नी कमलेश ठाकुर को देहरा से प्रत्याशी बनाया है. पार्टी ने हमीरपुर से एक बार फिर पुष्पिंदर वर्मा पर दांव लगाया है, जबकि नालागढ़ से हरदीप सिंह बाबा को टिकट दिया गया है, जो भारतीय राष्ट्रीय व्यापार संघ की हिमाचल इकाई के पांच बार के कांग्रेस अध्यक्ष हैं.
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मध्य प्रदेश (1 सीट): मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है. यह उपचुनाव ऐसे समय में हो रहा है, जब कुछ सप्ताह पहले ही भाजपा ने लोकसभा चुनाव में प्रदेश की सभी सीटों पर जीत दर्ज की. अमरवाड़ा उपचुनाव में कुल नौ उम्मीदवार मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला कांग्रेस और सत्तारूढ़ भाजपा के बीच होने की संभावना है. अमरवाड़ा छिंदवाड़ा जिले में आता है. यह कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ का गृह क्षेत्र है. तीन बार के कांग्रेस विधायक कमलेश शाह 19 अप्रैल को छिंदवाड़ा में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले 29 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे. बाद में उन्होंने राज्य विधानसभा से इस्तीफा दे दिया, जिससे उपचुनाव की जरूरत पड़ी.
उत्तराखंड (2 सीट): बद्रीनाथ और मंगलौर सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं. मंगलौर सीट पर भी त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलेगा. पिछले वर्ष अक्टूबर में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक सरवत करीम अंसारी के निधन के कारण उपचुनाव की जरूरत हुई है. मुस्लिम और दलित बहुल मंगलौर सीट पर भाजपा कभी जीत नहीं दर्ज कर पाई है. इस सीट पर पहले या तो कांग्रेस या फिर बसपा का कब्जा रहा है. इस बार बसपा ने अंसारी के बेटे उबेदुर रहमान को कांग्रेस उम्मीदवार काजी मोहम्मद निजामुद्दीन के खिलाफ मैदान में उतारा है. गुज्जर नेता और भाजपा उम्मीदवार करतार सिंह भड़ाना भी मैदान में हैं.
वहीं, बद्रीनाथ विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए भी मतदान होगा. इस वर्ष मार्च में कांग्रेस विधायक राजेंद्र भंडारी के इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने के बाद यह सीट खाली हो गई थी. बद्रीनाथ में भाजपा के राजेंद्र भंडारी और कांग्रेस उम्मीदवार लखपत सिंह बुटोला के बीच सीधा मुकाबला होगा.
बिहार (1 सीट): रुपौली सीट पर एक बार फिर एनडीए बनाम महागठबंधन की लड़ाई है. नीतीश कुमार और तेजस्वी ये सीट जीतकर एक दूसरे पर वर्चस्व दिखाना चाहेंगे.
तमिलनाडु (1 सीट): तमिलनाडु की विक्रवांडी सीट से द्रमुक विधायक ए पुघाझेंडी का गत छह अप्रैल को निधन होने के कारण यह सीट रिक्त हो गई थी इसलिए यहां उपचुनाव हो रहा है. द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) प्रत्याशी अन्नियूर शिवा, पट्टाली मक्कल काची (पीएमके) उम्मीदवार सी अंबुमणि और नाम तमिलर काची (एनटीके) प्रत्याशी के अबिनय के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं. विपक्षी दल अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) और उसकी सहयोगी देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कषगम (डीएमडीके) ने उपचुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी पीएमके और नाम तमिलर काची (एनटीके) चुनाव में सत्तारूढ़ द्रमुक को शिकस्त देने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं.