Madhya Pradesh BJP Candidate List: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पांचवीं सूची जारी की है, इस लिस्ट में महिलाओं, एससी और एसटी समाज को जगह देकर संदेश देने की कोशिश की है वो सिर्फ बात में यकीन नहीं करती. इस लिस्ट के जरिए सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है.
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मध्य प्रदेश की राजनीति में क्या कमल एक बार फिर खिलेगा. इसके लिए 3 दिसंबर का इंतजार करना है. इन सबके बीच बीजेपी ने उम्मीदवारों की पांचवीं लिस्ट जारी कर दी है. इस सूची को अगर आप ध्यान से देखें तो महिला शक्ति, अनुसूचित समाज और अनुसूचित जनजाति समाज को खास जगह मिली है. पार्टी ने 12 महिलाओं, 16 एससी और 17 एसटी उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है. इस लिस्ट में कई कद्दावर चेहरों को जगह मिली है जिनका अपने समाज में पकड़ है. पार्टी को उम्मीद है कि राज्य सरकार के कामकाज, पीएम नरेंद्र मोदी की छवि और जुझारू उम्मीदवारों के जरिए जादुई आंकड़ों को हासिल किया जा सकेगा.
उम्मीदवारों की सूची
इस लिस्ट में प्रत्याशियों के चयन के जरिए बीजेपी ने यह संदेश देने की कोशिश है कि सामाजिक न्याय की बात उनके लिए सिर्फ किताबों के पन्नों तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर उसे उतारने की वो कोशिश भी करते हैं, महिला शक्ति को पर्याप्त सम्मान, अनुसूचित समाज को सम्मान और अनुसूचित जनजाति का खास ख्याल रखा गया है. नरेंद्र मोदी ने हाल ही में चिट्ठी के जरिए यह संदेश भी दिया था कि किस तरह से बीजेपी सरकार ने बीमारू का टैग हटा दिया और यह सिर्फ और सिर्फ इसलिए संभव हो सका क्योंकि यहां पर डबल इंजन की सरकार है.
BJP releases a list of 92 candidates for the Madhya Pradesh elections pic.twitter.com/7Zp2raGBPU
— ANI (@ANI) October 21, 2023
मध्य प्रदेश में जातीय समीकरण
विंध्य इलाके में 29 फीसद सवर्ण, 14 फीसद ब्राह्मण
एसटी समाज की आबादी करीब 23 फीसद
मालवा-निमाण के साथ महाकौशल इलाके में एसटी समाज की आबादी सबसे अधिक
मध्य प्रदेश में करीब 10 फीसद मुस्लिम आबादी, मालवा-निमाड़ इलाके में दबदबा
एससी मतदाताओं की संख्या करीब 16 फीसद
एसटी समाज के लिए 47 और एससी समाज के लिए 35 सीटें रिजर्व
एमपी में कुल 230 सीट
मध्य प्रदेश में विधानसभा की कुल 230 सीटें हैं, सरकार बनाने और बचाए रखने के लिए कम से कम 116 विधायकों की जरूरत होती है. अगर 2018 के नतीजों को देखें तो कांग्रेस और बीजेपी के विधायकों के बीच अंतर बहुत अधिक नहीं था लेकिन संख्या बल कांग्रेस के पक्ष में था. जोड़तोड़ के जरिए कमलनाथ सरकार बनाने में कामयाब भी रहे थे. यह बात अलग है कि उसी जोड़तोड़ के जरिए बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई थी. कांग्रेस के नेताओं ने सत्ताहरण का नाम भी दिया था. बीजेपी की इस सूची के जरिए यह समझने की कोशिश करेंगे कि किस तरह पार्टी के रणनीतिकारों ने जमीनी हकीकत को समझते हुए उम्मीदवारों का चयन किया है.