PCOS Symptoms: पीसीओएस के बारे में पिछले कुछ सालों से काफी ज्यादा बातें हो रही है, ये एक ऐसी परेशानी है जिससे कई महिलाओं की जिंदगी पर असर पड़ा है, इसे सही तरीके से समझकर जरूरी उपाय करने चाहिए.
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Polycystic Ovary Syndrome: पीसीओएस महिलाओं की एक कॉमन परेशानी है पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम कहा जाता है. WHO के मुताबिक ग्लोबल पॉपुलेशन में से 8 से 13 फीसदी वूमेन में पीसीओएस पाया गया थी, इसके अलावा 70 फीसदी मामले अनडाइग्नोज रहे. भारत की बात करें 10 फीसदी महिलाओं को ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इस प्रॉब्लम को केस स्टडी से समझा जा सकता है
बॉडी में आते हैं ऐसे बदलाव
डॉ. शैलेश देसाई (Dr. Shailesh Desai) ने इस मिसाल देते हुए बताया, "23 साल की रिया जो एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती है, उसने एनुअल रूटीन हेल्थ चेकअप कराया. रिपोर्ट में पाया गया कि उनका ब्लड शुगर लेवल हाई है जिसके बाद वो फिजीशियन से कंसल्ट करने गई. उन्होंने वहां अपनी मेडिकल हिस्ट्री बताई. उसने इर्रेगुलर मेंस्ट्रुअल साइकिल और एक महीने में 5 किलो वजन बढ़ा हुआ पाया. ऐसा लगने लगा कि रातों रात उनके कपड़े फिट नहीं हो रहे हैं."
डॉ. शैलेश ने आगे बताया, "महिला ये भी जानकारी दी कि उन्होंने अपने अतीत में मुंहासे की समस्याओं का अनुभव किया था जो मेडिकल ट्रीटमेंट बंद करने के बाद बढ़ती जा रही थी और फिर से शुरू हो रही थी. जैसा कि सलाह दी गई थी, स्त्री रोग विशेषज्ञ ने टेस्ट की एक हाई सीरीज बताई जिसमें ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH), फॉलिकल-स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH), और फ्री टेस्टोस्टेरोन शामिल थे. इन टेस्ट से पीसीओएस सिंड्रोम का डाइग्नोसिस हो गया. सोनोग्राफी में ओवरी पर कई तरल पदार्थ से भरे सिस्ट की पहचान की गई. इन चीजों ने उसकी जिंदगी के साइकोसोशल आस्पेक्ट्स में डर पैदा कर दिया."
पीसीओएस पेशेंट के लिए डाइट
डॉ. शैलेश देसाई के मुताबिक हमें ब्रोकोली, फूलगोभी, स्प्राउट्स, बीन्स, दाल, बादाम, शकरकंद, कद्दू जैसे हाई फाइबर वाले फूड्स खाने चाहिए जो पाचन को धीमा कर देते हैं और इंसुलिन रिसिस्टेंस का मुकाबला करते हैं. इसके अलावा टमाटर, पालक, जैतून का तेल, ब्लूबेरी और स्ट्रॉबेरी जैसी चीजें, ओमेगा -3 फैटी एसिड से भरपूर फैट्टी फिश जैसे साल्मन और सारडाइन पीसीओएस में सूजन से निपट सकते हैं.
इन चीजों से बना लें दूरी
पीसीओएस का सामना करने वाली महिलाओं को कुछ खाने पीने की चीजों से परहेज करना चाहिए जिनमें मफिन, डेसर्ट, पेस्ट्री, पास्ता नूडल्स, फ्राइज़ के साथ फास्ट फूड, मार्गेरीन, रेड मीट, प्रॉसेस्ड मीट, सोडा जैसे पेय पदार्थ आदि शामिल हैं जिनमें हाई कार्बोहाइड्रेट और लो फाइबर होता है.
लाइफस्टाइल में लाएं ऐसे चेंजेज
पीसीओएस के मरीजों को अपनी डेली लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव लाना चाहिए, जिसमें रोजाना की एक्सरसाइस, लो शुगर डाइट और लो इंफ्लेमेशन डाइट लेनी चाहिए जो वेट लॉस में मदद कर सके. जब वजन कम होगा तो महिलाएं बेहतर ओव्यूलेशन को एक्सपीरिएंस कर सकेंगी. इसके अलावा आपको योग और मेडिटेशन जैसी स्ट्रेस कम करने वाली टेकनीक को भी अपना चाहिए जिससे दिमाग शांत रहे और एंग्जाइटी कम हो सके. साथ ही आपको अपने फिजीशियन से संपर्क करना चाहिए ताकि पीसीओएस को सही तरीके से मैनेज किया जा सके.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.