पार्किंसंस डिजीज से जुड़ी इन अफवाहों पर न करें भरोसा, डॉक्टर ने बताया क्या है सच
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पार्किंसंस डिजीज से जुड़ी इन अफवाहों पर न करें भरोसा, डॉक्टर ने बताया क्या है सच

Myths and Facts About Parkinson's Disease: हमें लगता है कि पार्किंसंस डिजीज सिर्फ ओल्ड एज पर्सन्स को हो सकता है, लेकिन ये पूरी तरह सच नहीं है. इसके अलावा ऐसी कई सारे अफवाहें हैं जो हम इस बीमारी के बारे में सनते रहते हैं.

पार्किंसंस डिजीज से जुड़ी इन अफवाहों पर न करें भरोसा, डॉक्टर ने बताया क्या है सच

Some Common Misconceptions of Parkinson’s Disease: पार्किंसंस डिजीज एक प्रोग्रेसिव डिसऑर्डर है जो हमारे नर्वस सिस्टम ओर उन बॉडी पार्ट्स को नुकसान पहुंचाता है जो नर्व्स के जरिए कंट्रोल होती है, इसके लक्षण छीरे-छीरे नजर आते हैं, लेकिन बाद में परेशानी बढ़ सकती है.  मेट्रोपोलिस हेल्थ केयर की कंसल्टेंट पैथोलॉजिस्ट डॉ. लिंडा नजेरथ (Dr. Lynda Nazareth) पार्किंसंस डिजीज को लेकर कई ऐसे मिथक हैं जिनका सच जानना बेहद जरूरी है.

पार्किंसंस डिजीज से जुड़ी 10 अफवाहें

1. बीमारी के लक्षण सिर्फ झटके होते हैं

पार्किंसंस रोग एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिजीज है जो मोटर प्रणाली को प्रभावित करता है. सबसे आम और लक्षण कंपकंपी, कठोरता और संतुलन की समस्याएं हैं, सामान्य नॉन-मोटर लक्षण कब्ज, डिप्रेशन, चिंता, याददाश्त की कमी, नींद की गड़बड़ी और बाउल मूवमेंट में दिक्कतें हैं.

2. ये जानलेवा बीमारी है

इन रोगियों में मृत्यु का कारण पार्किंसंस डिजीज नहीं है. कई लोग ट्रॉमा के कारण गिर जाते हैं और भोजन की कमी जैसी जटिलताओं के कारण मौत के शिकार हो जाते हैं

3. इस बीमारी के हर मरीज को झटके लगते हैं

कंपकपी आना या झटका महसूस होना पार्किंसंस डिजीज के सबसे आम लक्षण है, लेकिन कई लोग नॉन मोटर सिंप्टम्स को फील करते हैं

4. पार्किंसंस ठीक हो सकता है

मौजूदा वक्त में पार्किंसंस रोग का कोई इलाज नहीं है. हलांकि कई ऐसे थेरेपीज हैं जिनकी मदद से इस बीमारी के लक्षणों को कम किया जा सकता है और लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ाई जा सकती है

5. पार्किंसंस डिजीज में अचानक झटका लगता है

हालांकि पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों में दिन के वक्त उतार-चढ़ाव हो सकता है लेकिन ये बीमारी बहुत धीरे-धीरे बढ़ती है. अगर कोई देखता है कि ऐसे लक्षण तेजी से नजर आ रहे हैं, तो मरीज को न्यूरोलॉजिस्ट के पास ले जाना चाहिए क्योंकि उसे कोई और बीमारी हो सकती है

6. ये बीमारी सिर्फ बुजुर्गों को होती है

पार्किंसंस डिजीज के मरीजों के लिए उम्र एक अहम रिस्क फैक्टर है, हालांकि, युवा रोगियों के एक छोटे समूह में भी पार्किंसंस डिजीज को डाइग्नोज किया किया गया है.

7. दवा से हालात बिगड़ सकते हैं

एंटी पार्किंसंस डिजीज वाली दवाओं और बीमारी बढ़ने के बीच कोई संबंध नहीं है.  ऐसे कई अध्ययन हैं जो साबित करते हैं कि पार्किंसंस रोग में इस्तेमाल किया जाने वाली लेवोडोपा दवा इसके लक्षणों से राहत देने में मदद करता है और इसका कारण नहीं बनता है.

8. लक्षण न नजर आए, तो सब ठीक है

ऐसा माना जाता है कि अगर पार्किंसंस डिजीज के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो इसका मतलब सबकुछ ठीक है, लेकिन जरूरी नहीं है कि ऐसा हो. कई बार बीमारी फ्लक्चुएट करती रही है, कुछ दिन हालात सामान्य नजर आते हैं, तो कुछ दिनों के लिए स्थिति बिगड़ सकती है.

9. दवा के अलावा कुछ और काम नहीं करता

ये बात सच नहीं है कि सिर्फ दवाओं के जरिए पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है. आप चाहें को फिजिकल एक्टिविटीज, एक्सरसाइज से भी हालात बेहतर हो सकते हैं

10. डॉक्टर बीमारी के सटीक आउटलुक देते हैं

इस बात में कोई शक नहीं कि बीमारी को समझने के लिए डॉक्टर्स सबसे सही इंसान होते हैं, लेकिन अलग-अलग तरह के लक्षणों और बीमारी की गंभीरता की वजह से कई बार इसे समझना मुश्किल हो सकता है. हर पेशेंट की कंडीशन जुदा-जुदा हो सकती है, जो बीमारी को जटिल बनाती है.

Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.

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