लैंसेट की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से 2022 के बीच के चार वर्षों में दुनिया भर में 86 दिन जानलेवा गर्मी वाले साबित हुए हैं. गर्मी बढ़ने के कारणों पर गौर करें तो ज्यादातर कारण इंसानों के ही पैदा किए हुए हैं.
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दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत सर्दियां आने के इंतजार में है. नवंबर आधा बीतने के बाद भी सर्दियां पूरी तरह आई नहीं हैं. इसके पीछे भी हर साल बढ़ रहा धरती का औसत तापमान है. ब्रिटिश जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट ने दुनिया का ध्यान इसी गर्मी की तरफ खींचा है. लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 दुनिया का अब तक का सबसे गर्म साल साबित हुआ है और अब गर्मी के जानलेवा दिनों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है.
लैंसेट की इस रिपोर्ट के मुताबिक 2018 से 2022 के बीच के चार वर्षों में दुनिया भर में 86 दिन जानलेवा गर्मी वाले साबित हुए हैं. गर्मी बढ़ने के कारणों पर गौर करें तो ज्यादातर कारण इंसानों के ही पैदा किए हुए हैं. गर्मी की वजह से 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की मौतों में 85% की बढ़ोतरी हुई है. बढ़ती गर्मी की वजह से 2021 में एयर कंडीशनर्स का इस्तेमाल इतना बढ़ गया था कि विश्व के एक तिहाई हिस्से में एसी चल रहे थे. लेकिन केवल एसी ने इस दौरान इतनी बिजली खपा ली जो भारत और ब्राजील की कुल बिजली खपत के बराबर है. लैंसेट की रिपोर्ट में आंकलन है कि गर्मी जानलेवा साबित हो रही है फिलहाल 1.14 डिग्री सेल्सियस की दर से हर साल औसत तापमान बढ़ रहा है.
औसत तापमान 2 डिग्री तक बढ़ा तो
- 2050 तक हम अपनी क्षमता का आधा ही काम कर पा रहे होंगे.
- 2050 तक 370 गुना बढ़ जाएंगी गर्मी से होने वाली मौतें.
- गर्मी की वजह से 50 प्रतिशत का लेबर लॉस यानी काम के घंटो का नुकसान होना तय.
डेंगू जैसी बीमारियां 37 प्रतिशत तक बढ़ जाएंगी
डेंगू का खतरा चार वर्षों में 43 प्रतिशत तक बढ़ गया है. गरीब देशों में डेंगू से होने वाली बीमारियों की तादाद पिछले 10 वर्षों में 37 प्रतिशत बढ़ गई. अगर गर्मी नहीं रुकी तो डेंगू जैसी मच्छर वाली बीमारियां और दूसरी संक्रामक बीमारियों की वजह से होने वाली मौतें बढ़ जाएंगी.
हर साल 264 बिलियन डॉलर का नुकसान
मौसम में हो रहे एक्स्ट्रीम बदलाव जैसे बहुत बारिश, सूखा, आग या बाढ़ की वजह से दुनिया को केवल एक साल में 2022 के दौरान 264 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलना पड़ा है. 1951 से 1960 के दौरान पहले दुनिया का 18% लैंड एरिया सूखे की चपेट में आया था, जबकि 2013 से 2022 के दस सालों में 47% एरिया पर सूखे की मार पड़ रही है. गर्मी की वजह से होने वाला नुकसान 863 बिलियन डॉलर का आंका गया है.