मानसून के इस सीजन में खराब खानपान के कारण उल्टी-दस्त जैसी समस्या आम हो जाती हैं. हालांकि कई बार उल्टियां हाजमे की गड़बड़ी नहीं, बल्कि एक गंभीर बीमारी के कारण भी हो सकती हैं.
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मानसून के इस सीजन में खराब खानपान के कारण उल्टी-दस्त जैसी समस्या आम हो जाती हैं. हालांकि कई बार उल्टियां हाजमे की गड़बड़ी नहीं, बल्कि साइक्लिक सिंड्रोम के कारण भी हो सकती हैं. उत्तर प्रदेश के कानपुर में दो ऐसे ही मामले सामने आए, जहां माता-पिता अपने बच्चे को आ रही उल्टियों को पेट की बीमारी और आंत्रशोथ मानकर इलाज करा रहे थे पर असल में उनके बच्चों को साइक्लिक वोमेटिंग सिंड्रोम के चलते बार-बार उल्टियां आ रहीं थीं. इसमें बच्चे को माइग्रेन की शुरुआती स्टेज के कारण उल्टियां होती हैं पर माता-पिता उसे हाजमे की गफलत समझ लेते हैं.
शुरुआत सिरदर्द से होती है और दो-तीन दिन में बच्चे को बार-बार उल्टियां आनी शुरू हो जाती हैं. न्यूरोलाजी विभाग की रिपोर्ट की माने तो बीते एक साल में इस सिंड्रोम के 223 मरीज रिपोर्ट हुए जिसमें 119 बच्चे रहे जिन्हें माइग्रेन की दवा दी गई तो उनका सिरदर्द रुक गई. जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग के हेड डॉ. आलोक वर्मा ने बताया कि साइक्लिक वोमेटिंग सिंड्रोम के केस बच्चों में ज्यादा दिख रहे हैं. वयस्कों में भी है पर कम हैं इसलिए बार-बार मतली हो रही है तो उसे पेट रोग से जोड़कर ही देखना जरूरी नहीं है. सिंड्रोम में माइग्रेन की दवाएं ही कारगर होती हैं.
साइक्लिक वोमेटिंग सिंड्रोम के लक्षण
साइक्लिक वोमेटिंग सिंड्रोम के कारण