प्लास्टिक की थैलियां, बोतलें और अन्य चीजें न सिर्फ जमीन और पानी को दूषित कर रही हैं, बल्कि अब खबर आ रही है कि इनका असर हमारी सेहत पर भी पड़ रहा है.
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प्लास्टिक प्रदूषण आज पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है. प्लास्टिक की थैलियां, बोतलें और अन्य चीजें न सिर्फ जमीन और पानी को दूषित कर रही हैं, बल्कि अब खबर आ रही है कि इनका असर हमारी सेहत पर भी पड़ रहा है. हाल ही में किए गए एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने पाया है कि मनुष्यों के टेस्टिकल्स में माइक्रोप्लास्टिक के कण मौजूद हैं. यह खोज चिंताजनक है क्योंकि इससे पुरुषों की फर्टीलिटी यानी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ने की आशंका है।
'टॉक्सिकोलॉजिकल साइंसेज' जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में न्यू मैक्सिको यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 23 ह्यूमन टेस्टिकल और 47 कुत्तों के टेस्टिकुलर टिश्यू के नमूनों का विश्लेषण किया. अध्ययन के परिणाम चौंकाने वाले थे. शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी नमूनों में अलग-अलग प्रकार के माइक्रोप्लास्टिक मौजूद थे. पॉलीथीन सबसे आम प्रकार का माइक्रोप्लास्टिक था, जो प्लास्टिक बैग और बोतलों में पाया जाता है.
एक्सपर्ट की राय
अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता डॉ. जॉन यू का कहना है कि यह पहली बार है जब मानव फर्टीलिटी में माइक्रलास्टिक पाए गए हैं. हमें अभी तक यह पता नहीं है कि माइक्रोप्लास्टिक पुरुष फर्टीलिटी को कैसे प्रभावित करते हैं, लेकिन यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है.
5 मिलीमीटर से कम आकार
माइक्रोप्लास्टिक वो छोटे प्लास्टिक के टुकड़े होते हैं जो पांच मिलीमीटर से कम आकार के होते हैं. ये प्लास्टिक कचरे के टूटने या बड़े प्लास्टिक प्रोडक्ट्स के घिसने से बनते हैं। माइक्रोप्लास्टिक पर्यावरण में व्यापक रूप से पाए जाते हैं, और अब यह स्पष्ट है कि वे मानव शरीर में भी प्रवेश कर सकते हैं.
स्पर्म की क्वालिटी खराब
अध्ययन के निष्कर्ष से वैज्ञानिकों को यह जांच करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है कि माइक्रोप्लास्टिक स्पर्म की क्वालिटी और पुरुष फर्टीलिटी को कैसे प्रभावित करते हैं. साथ ही यह भी पता लगाया जाना चाहिए कि माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क को कैसे कम किया जा सकता है.