हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है. इस बीमारी में लाखों लोगों के जीवन में अपनी जगह बना रही है, जो सेहत के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है.
Trending Photos
हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है. इस बीमारी में लाखों लोगों के जीवन में अपनी जगह बना रही है, जो सेहत के लिए एक महत्वपूर्ण खतरा पैदा करता है. यदि हाई ब्लड प्रेशर पर ध्यान न दिया जाए तो यह दिल की बीमारी और स्ट्रोक जैसी गंभीर जटिलताओं का कारण बन सकता है. WHO द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, विश्व स्तर पर हर साल अनुमानित 75 लाख मौतें (सभी मौतों का लगभग 12.8%) हाई ब्लड प्रेशर से संबंधित मानी जाती हैं.
ब्लड प्रेशर को बढ़ाने वाले कई फैक्टर हमारे नियंत्रण में हैं. जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर हमारी लाइफस्टाइल में परिवर्तन एक ग्रुप द्वारा संचालित होता है. आइए जानें कि हाई ब्लड प्रेशर के पांच परिवर्तनीय रिस्क फैक्टर कारक क्या हैं.
अनहेल्दी डाइट
हाई ब्लड प्रेशर के लिए सबसे प्रमुख रिस्क फैक्टर में से एक अनहेल्दी डाइट है. ज्यादा सोडियम और चीनी का सेवन हाई ब्लड प्रेशर से जुड़ा हुआ है. इस जोखिम से निपटने के लिए नमक व चीनी का सेवन कम करने और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों को चुनने की सलाह दी जाती है.
शारीरिक व्यायाम की कमी
गतिहीन जीवनशैली हाई ब्लड प्रेशर का प्रमुख कारण है. दूसरी ओर, नियमित व्यायाम से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में लाभ सिद्ध होता है. अपनी डेली लाइफस्टाइल में शारीरिक गतिविधि को शामिल करना आपकी दिल की सेहत पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है.
धूम्रपान और तंबाकू का सेवन
जब हाई ब्लड प्रेशर की बात आती है तो धूम्रपान और तंबाकू का उपयोग सबसे बड़ा अपराधी हैं. तम्बाकू में मौजूद हानिकारक कैमिकल ब्लड वैसेल्स को संकुचित कर सकते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है.
शराब का ज्यादा सेवन
अत्यधिक शराब के सेवन का हाई ब्लड प्रेशर से सीधा संबंध है. जब शराब के सेवन की बात आती है तो विशेषज्ञ शराब पीने की स्वस्थ आदतों को परिभाषित करते हुए संयम बरतने की सलाह देते हैं. ब्लड प्रेशर को सुरक्षित सीमा के भीतर बनाए रखने के लिए शराब का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए.
तनाव
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य हाई ब्लड प्रेशर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. इस रिस्क फैक्टर से निपटने के लिए, व्यक्तियों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ जैसे संगठनों के मार्गदर्शन के बाद, विश्राम तकनीकों का पता लगाने, दिमागीपन का अभ्यास करने और जरूरत पड़ने पर मानसिक स्वास्थ्य सहायता लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.