फिटनेस आइकन अनिल कदसूर की 45 की उम्र में हार्ट अटैक से मौत, हर दिन चलाते थे 100 km साइकिल
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फिटनेस आइकन अनिल कदसूर की 45 की उम्र में हार्ट अटैक से मौत, हर दिन चलाते थे 100 km साइकिल

फिटनेस आइकन और बेंगलुरु के प्रसिद्ध साइकिलिस्ट अनिल कदसूर का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 45 वर्षीय कदसूर ने प्रतिदिन 100 किलोमीटर साइकिल चलाने का रिकॉर्ड हासिल किया था.

फिटनेस आइकन अनिल कदसूर की 45 की उम्र में हार्ट अटैक से मौत, हर दिन चलाते थे 100 km साइकिल

फिटनेस आइकन और बेंगलुरु के प्रसिद्ध साइकिलिस्ट अनिल कदसूर का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. 45 वर्षीय कदसूर ने लगातार 42 महीनों तक प्रतिदिन 100 किलोमीटर साइकिल चलाने का रिकॉर्ड हासिल किया था. उनकी इस उपलब्धि ने साइकिलिंग समुदाय को इतना प्रेरित किया कि कई साइकिलिस्ट उनसे मिलने के लिए खड़े रहते थे.

31 जनवरी को सोशल मीडिया पर अनिल कदसूर ने खुशी से बताया था कि उन्होंने 42 महीने लगातार 100 किलोमीटर प्रतिदिन साइकिल चलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया है. उसी रात अचानक उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल ले जाया गया. दुर्भाग्य से, अगली सुबह उनका निधन हो गया.

2.25 लाख किलोमीटर से ज्यादा चलाई साइकिल
एक दशक से ज्यादा का साइकिलिंग अनुभव रखने वाले कदसूर ने 2.25 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर तय किया, जो किसी भी साइकिलिस्ट को अपनी सीमाएं लांघने के लिए प्रेरित करता है. उनसे हाथ मिलाना ही अपने आप में कई लोगों के लिए एनर्जी और पॉजिटिविटी लेने जैसा था.

नए साइकिलिस्टों का बढ़ाते थे हौसला
कदसूर बेंगलुरु के शुरुआती लाइफस्टाइल साइकिलिस्टों में से एक थे. उनकी खासियत उनका विनम्र स्वभाव था. वे नए साइकिलिस्टों का हौसला बढ़ाते थे और उन्हें सलाह देते थे. अपने सीधे संपर्क या एक्टिविटी ऐप के माध्यम से उन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरित किया. उनके करीबी लोग उन्हें 'एकलव्य' का 'द्रोणाचार्य' कहते थे. कदसुर के पास छह फिक्सी साइकिलें थीं, जिन्हें वे बारी-बारी से चलाते थे. उन्होंने अपनी सवारी के जरिए फिक्सी (फिक्स्ड-गियर साइकिल) को घर-घर का नाम बना दिया.

रोज 100 km साइकिल चलाने का शौक
उनकी खास पहचान 100 किलोमीटर रोजाना साइकिल चलाने का उनका शौक था. इसकी शुरुआत अगस्त 2022 में हुई थी, जब एक साइकिलिंग क्लब ने उस महीने में 10 लगातार दिनों में 100 किलोमीटर साइकिल चलाने की चुनौती दी थी. कई साइकिलिस्टों ने क्लब द्वारा दिए गए पदक को हासिल करने के लिए ऐसा किया, लेकिन कदसुर रुक नहीं पाए और रोजाना 100 किलोमीटर साइकिल चलाते रहे.

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