एक नई स्टडी में दावा किया है कि कॉफी पीने से डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है, यहां तक कि अगर व्यक्ति को दिल की बीमारी 'एट्रियल फाइब्रिलेशन' (AF) हो तो भी.
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कॉफी पीने का शौक सिर्फ नींद भगाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आपके दिमाग की सेहत के लिए भी फायदेमंद हो सकती है. स्विट्जरलैंड के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ज्यूरिख के शोधकर्ताओं ने एक नई स्टडी में दावा किया है कि कॉफी पीने से डिमेंशिया का खतरा कम हो सकता है, यहां तक कि अगर व्यक्ति को दिल की बीमारी 'एट्रियल फाइब्रिलेशन' (AF) हो तो भी.
रिसर्च में 2,413 प्रतिभागियों को शामिल किया गया, जिनमें से सभी एट्रियल फाइब्रिलेशन (AF) से पीड़ित थे. यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें दिल की धड़कन असामान्य रूप से तेज या अनियमित हो जाती है. एट्रियल फाइब्रिलेशन को अक्सर डिमेंशिया और याददाश्त से जुड़ी समस्याओं का कारण माना जाता है.
शोध का परिणाम
शोध के नतीजों के मुताबिक, जो लोग रोजाना पांच कप तक कॉफी पीते हैं, उनकी कॉग्निटिव फंक्शंस बेहतर पाई गईं. इन प्रतिभागियों ने मेमोरी, ध्यान और प्रोसेसिंग स्पीड से जुड़े टेस्ट में 11% बेहतर स्कोर किया. शोधकर्ताओं ने पाया कि इन लोगों की दिमागी उम्र औसतन 6.7 साल कम थी, यानी वे ज्यादा सतर्क और तेज दिमाग वाले थे. रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ कि नियमित रूप से कॉफी पीने वाले प्रतिभागियों में सूजन के लेवल 20% तक कम पाए गए. सूजन के ये मार्कर्स अल्जाइमर और एट्रियल फाइब्रिलेशन से जुड़े होते हैं.
दिल के मरीज भी पी सकते हैं कॉफी
शोध के प्रमुख लेखक प्रो. जर्ग एच. बीयर ने बताया कि कॉफी के फायदे पहले से ही साबित हैं, लेकिन हमारी रिसर्च दिखाती है कि यह एट्रियल फाइब्रिलेशन के कारण होने वाले मेंटल खतरे को भी कम कर सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि कॉफी का सीमित मात्रा में सेवन दिल के मरीजों के लिए नुकसानदायक नहीं है.
सावधानी और आगे की स्टडी की जरूरत
हालांकि, शोधकर्ताओं ने इस बात पर जोर दिया कि यह स्टडी केवल एक पीरियण डेटा पर आधारित है. यह साबित करने के लिए कि कॉफी लंबे समय तक मानसिक गिरावट को रोक सकती है, और अधिक गहन और विस्तारित रिसर्च की जरूरत है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.