कॉफी दुनिया में सबसे ज्यादा पिए जाने वाले बेवरेज में से एक है. इसके नुकसान और फायदों पर लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन आज की न्यू जनरेशन कॉपी को काफी पसंद करती है.
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कॉफी दुनिया में सबसे ज्यादा पिए जाने वाले बेवरेज में से एक है. इसके नुकसान और फायदों पर लंबी चर्चा हो सकती है लेकिन इस बात को बिलकुल नहीं झुठलाया जा सकता है कि न्यू जनरेशन कॉपी को काफी पसंद करती है. आमतौर पर लोग एस्प्रेसो, कैपेचीनो और लाटे कॉफी का नाम ज्यादा लेते हैं. लेकिन, क्या आपको पता है कि इनमें क्या अंतर होता है. तो चलिए जानते हैं.
एस्प्रेसो कॉफी: यह सबसे बेसिक कॉफी है. इसे ब्लैक कॉफी के नाम से भी जाना जाता है. इसमें दूध नहीं होता है. यह स्ट्रॉन्ग और कंसन्ट्रेटेड होती है, जिसे हाई प्रेशर वाले हॉट वॉटर में हाई प्रेशर के साथ मिलाया जाता है. इस प्रोसेस से कॉफी में स्ट्रॉन्ग टेस्ट डेवलप होता है. फिर, इसके ऊपर क्रीमी फोम या क्रेमा डालकर इसे सर्व किया जाता है.
कैपेचीनो: कैपेचीनो भी काफी पॉपुलर कॉफी टाइप है. इसमें एस्प्रेसो को गर्म दूध में मिलाया जाता है. इसे बनाने के लिए पहले कप में एस्प्रेसो डाली जाती है. फिर, गर्म दूध को फ्रॉथिंग डिवाइस का इस्तेमाल करके झागदार बनाया जाता है. आखिर में दूध के झाग एस्प्रेसो के ऊपर डाले जाते हैं. कैपेचीनो में मलाईदार टेस्ट होता है.
लाटे: लाटे में भी एस्प्रेसो, गर्म दूध और दूध के झाग होते हैं. लेकिन, कैपेचीनो से अलग लाटे में दूध के झाग कम होते हैं. इसे बनाने का तरीका भी कैपेचीनो वाला ही है लेकिन ध्यान रखा जाता है कि इसमें दूध के झाग कम बने. इसमें ऊपर से फोम या क्रेमा डालने की जरूरत नहीं होती है. यह थोड़ी गाढ़ी होती है.
कॉफी बनाने के तरीके अलग-अलग
इस तरह से तीनों तरह की कॉफी में एस्प्रेसो ही बेस है लेकिन उन्हें बनाने के तरीके और उनमें मिलाए जाने वाले दूध तथा फोम की मात्रा में अंतर बनता है. इसी से टेस्ट में भी बदलाव आता है. लखनऊ में बरिस्ता कैफे चलाने वाले प्रवीण कुमार ने बताया कि अच्छी कॉफी बनाना एक आर्ट है और इसमें अच्छे टेस्ट के लिए एक्सपर्टीज की जरूरत है, जो हमारे पास है.