Bowel Cancer Vaccine: जल्द ही पेट के कैंसर से होने वाली मौतों के मामलों में गिरावट देखा जा सकता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जल्दी ही मार्केट में एक ऐसी जबरदस्त वैक्सीन की एंट्री होने वाली है, जो बाउल कैंसर को लगभग पूरी तरह खत्म कर देगा. दिलचस्प बात यह है कि इसमें भारतीय मूल के ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. टोनी ढिल्लों की अहम भूमिका रही है.
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Bowel Cancer vaccine Trial: बाउल कैंसर के लिए बनायी गई वैक्सीन ग्लोबल ट्रायल के लिए पूरी तरह से तैयार है. यदि इस वैक्सीन के सभी ट्रायल सफल होते हैं, तो यह भारतीयों के लिए बहुत ही गर्व का विषय होगा. क्योंकि बाउल कैंसर की वैक्सीन के ट्रायल को लीड करने वाले डॉक्टरों में पंजाब से ब्रिटेन के मिडनहेड में बसे डॉ. टोनी ढिल्लों की अहम भूमिका है.
इंग्लैंड के रॉयल सर्रे एनएचएस हॉस्पिटल ट्रस्ट (Royal Surrey NHS Hospital Trust) में बतौर कंस्लटेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट कार्यरत 53 साल के डॉ. टॉनी ढिल्लन ने बताया कि, वह इस वैक्सीन पर पिछले 5 सालों से ऑस्ट्रेलिया के टिम प्रिंस के साथ मिलकर काम कर रहे थे. वैक्सीन के इफेक्टिनेस के बारे में बताते हुए उन्होंने आगे कहा कि यह वैक्सीन बाउल कैंसर से पीड़ित हर मरीज के लिए नहीं होगी. बल्कि ऐसे सिर्फ 15 प्रतिशत मरीज ही इसके लिए योग्य होंगे जो कैंसर के सब-टाइप से पीड़ित हो.
इस कंपनी ने किया वैक्सीन डिजाइन
बाउल कैंसर को हराने के लिए तैयार की गई प्रभावकारी वैक्सीन को ऑस्ट्रेलिया की क्लिनिकल-स्टेज इम्यूनो-ऑन्कोलॉजी कंपनी इमुजीन द्वारा डिजाइन किया गया है. बाउल कैंसर के लिए तैयार की गई वैक्सीन ग्लोबल ट्रायल की तैयार है. इसके फेस 2 ट्रायल में यूके और ऑस्ट्रेलिया के 10 केंद्रों पर 44 मरीज हिस्सा लेंगे. इस ट्रायल के एक वर्ष तक चलने की उम्मीद है.
कैसे दी जाएगी मरीज को वैक्सीन डोज?
डॉ. टोनी ढिल्लों ने बताया कि वैक्सीन की डोज मरीज को सर्जरी से पहले दो हफ्ते के दौरान 3 डोज दी जाएगी. यह वैक्सीन बॉडी के इम्यून सिस्टम को एक्टिवेट करके कैंसर को खत्म कर देगा. हमारा मानना है कि जब मरीज ऑपरेशन रूम में जाएगा तो उसके बॉडी से लगभग पूरा कैंसर खत्म हो चुका होगा. वहीं कुछ लोगों में इस वैक्सीन से कैंसर पुरी तरह से खत्म हो सकता है. इसी को प्रूफ करने के लिए हम वैक्सीन का फाइनल ट्रायल करने जा रहे हैं.
कितना खतरनाक है बाउल कैंसर?
WHO के अनुसार, बाउल कैंसर दूसरा सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है. 2020 में लगभग दुनियाभर में 9,30,000 मौतों की वजह ये कैंसर रहा है. अगर इसकी वैक्सीन तैयार हो जाए तो काफी लोगों की जान बच सकती है.
डॉ. टोनी ढिल्लों का भारत से रिश्ता
डॉ. टोनी ढिल्लों का जन्म इंग्लैंड के मिडहेडन (Maidenhead) में हुआ था. लेकिन इनके दादा 1950 में जालंधर,पंजाब से इंग्लैंड में बसे थे. जहां वह कुछ समय तक साउथहॉल में रहें और फिर मेडहेडन में बसने चले गए. यहां वह एक प्राइवेट फैक्ट्री में काम करते थे.