दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) आयुष्मान कार्ड धारकों को मुफ्त में इलाज दे रहा है लेकिन दिल्ली के रहने वाले आयुष्मान कार्ड धारकों को इसका कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है.
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दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) आयुष्मान कार्ड धारकों को मुफ्त में इलाज दे रहा है लेकिन दिल्ली के रहने वाले आयुष्मान कार्ड धारकों को इसका कोई फायदा नहीं मिल पा रहा है. एम्स में आने वाले कुल मरीजों में से लगभग 30 प्रतिशत दिल्ली वाले होते हैं लेकिन दिल्ली सरकार ने आयुष्मान कार्ड को मान्यता नहीं दी है लिहाजा दिल्ली वालों को एम्स में इलाज करवाने के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं.
एम्स में इमरजेंसी, जनरल वार्ड में एडमिशन और ओपीडी में इलाज के कोई पैसे नहीं लगते लेकिन अगर मरीज एडमिट होता है और उसे किसी तरह के टेस्ट या सर्जरी करवानी हो तो उसे सब्सिडाइज्ड रेट्स पर कीमत चुकानी होती है. किडनी ट्रांसप्लांट हो या घुटनों का प्रत्यारोपण (Knee Replacement) इस तरह की सर्जरी को आयुष्मान कार्ड होल्डर एम्स में मुफ्त करवा सकता है.
इन दो राज्यों में भी आयुष्मान कार्ड की मान्यता नहीं
दिल्ली के अलावा, पश्चिम बंगाल और ओडिशा ने भी आयुष्मान कार्ड को मान्यता नहीं दी है. लिहाजा ये मरीज भी दिल्ली के एम्स में फ्री इलाज नहीं करवा सकते. इसके अलावा राजस्थान और तेलंगाना के आयुष्मान कार्ड होल्डर केवल अपने राज्य में योजना के तहत इलाज करवा सकते हैं. बाकी सभी राज्यों से आने वाले मरीजों के पास यदि आयुष्मान कार्ड होल्डर हैं तो एम्स ने उनकी सुविधा के लिए आयुष्मान केंद्र अस्पताल में ही खोल दिया है.
23 हजार से ज्यादा लोगों का हुआ इलाज
एम्स में सर्जरी के प्रोफेसर वीरेंद्र बंसल के मुताबिक एम्स में आयुष्मान योजना के इस साल 23 हजार से ज्यादा लोगों का इलाज हो चुका है. इस समय 300 से ज्यादा आयुष्मान कार्ड धारक एम्स में भर्ती हैं जिनका मुफ्त इलाज चल रहा है. सबसे ज्यादा कैंसर के मरीजों को इस योजना के तहत फायदा मिला है. 5179 कैंसर मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के तहत मुफ्त किया गया है. इन सबके अलावा, नेत्र रोग के 4275, मेडिसिन में 3000 से ज्यादा, आर्थोपेडिक्स में 2260 और न्यूरोसर्जरी में 2 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज मुफ्त हुआ है.
4 किडनी ट्रांसप्लांट भी आयुष्मान योजना के तहत हुए
4 किडनी ट्रांसप्लांट इस साल आयुष्मान योजना के तहत किए गए. एम्स में ये काम 2 लाख रुपये में हो गया. आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख तक के काम के कोई पैसे नहीं लगते. जबकि प्राइवेट अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट का खर्च 10 से 20 लाख रुपये के बीच आ जाता है. इसी तरह घुटना ट्रांसप्लांट, हिप ट्रांसप्लांट और दिल की एक हजार से ज्यादा सर्जरी की गई है.
एम्स की मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. निरुपमा मदान के मुताबिक आयुष्मान कार्ड धारक को अस्पताल में भर्ती होने के बाद डॉक्टर सर्जरी की तारीख दे देते हैं. जिसके बाद मरीज आयुष्मान सेंटर जा सकता है. एम्स में आयुष्मान कार्ड बनाए भी जाते हैं. अगर पहले से कार्ड है तो उसके साथ राशन कार्ड और मरीज के आईडी कार्ड की फोटो कॉपी लेकर सेंटर पर जमा करवा सकते हैं. कई बार 1 से 2 दिन में अप्रूवल आ जाता है और सर्जरी हो जाती है. इलाज के बाद 1 साल तक की दवाएं भी इस योजना के तहत फ्री मिल जाती हैं.
आयुष्मान कार्ड किसके लिए फायदेमंद?
कच्चे मकान में रहने वाले, गांव में रहने वाले, भूमिहीन, अनुसूचित जाति या जनजाति वाले लोग, गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोग, ऐसे लोग जिनके परिवार में 16 से 60 वर्ष की आयु का कोई कमाने वाला ना हो – आयुष्मान कार्ड योजना का फायदा उठा सकते हैं. इस कार्ड से सरकारी के साथ साथ प्राइवेट अस्पताल में भी 5 लाख तक का इलाज हर साल फ्री करवा सकते हैं.