Research on Chili: दुनिया के 25% लोग रोज खाते हैं मिर्च, इसके तीखेपन की ये है वजह!
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Research on Chili: दुनिया के 25% लोग रोज खाते हैं मिर्च, इसके तीखेपन की ये है वजह!

Chili: मिर्च का इंसानों के भोजन का हिस्सा बनने का सबसे पहला प्रूफ मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले मिलता है. वहीं वर्ष 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस के नई दुनिया की तलाश तक मिर्च दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात थी.

मिर्च

Why are chilies hot: मिर्च से आप अच्छे से परिचित होंगे. वैसे तो इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होता है, लेकिन मसालेदार खानों की वजह से भारत में इसका यूज सबसे अधिक होता है. यहां का लगभग हर घर इसका इस्तेमाल करता ही है. वहीं, दुनिया के चश्मे से देखें तो विश्व की 25 फीसदी आबादी फिलहाल रोजाना मिर्च खाती है. तीखेपन की वजह से ही यह ज्यादा उपयोग में लाई जाती है. जीनस कैप्सिकम (परिवार सोलानेसी) मिर्च दुनिया के सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक है, जो हजारों व्यंजनों में इस्तेमाल होता है और कभी-कभी इसे एक अलग व्यंजन के रूप में भी खाया जाता है. 

वर्ष 1492 के बाद होने लगा था इसका इस्तेमाल 

मिर्च और तीखापन पर कई रिसर्च हो चुके हैं. इस पर शोध बहुविषयक (multidisciplinary) विज्ञान का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत करता है. पिछले कुछ दशकों में कई शोधकर्ताओं ने इस सबसे अनोखी और वांछनीय मौखिक संवेदना के बारे में विशिष्ट जानकारी प्रदान की है. इनमें से कुछ जानकारी हैरान करने वाली है. अगर इसके इतिहास की बात करें तो वर्ष 1492 में क्रिस्टोफर कोलंबस के नई दुनिया की तलाश तक मिर्च दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए अज्ञात थी. कई मूल सिद्धांतों ने दक्षिण अमेरिका के विभिन्न हिस्सों को उस स्थान के रूप में चिह्नित किया जहां से मिर्च आई थी. एक फाईलोजेनेटिक विश्लेषण में पाया गया कि मिर्च का संबंध पश्चिमी से उत्तर-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के एंडीज के साथ एक क्षेत्र से है. ये पुरानी मिर्च जंगली ‘‘छोटे लाल, गोल, बेरी जैसे फल’’ थे.

16वीं सदी में यूरोप पहुंची मिर्च

मिर्च का इंसानों के भोजन का हिस्सा बनने का सबसे पहला प्रूफ मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले मिलता है. 16वीं शताब्दी में मिर्च यूरोप पहुंची. वर्तमान में, मिर्च की पांच घरेलू प्रजातियां है. खायी जाने वाली प्रजातियों में कैप्सिकम एनम, सी चिनेंस, सी फ्रूटसेन्स, सी बैकाटम और सी प्यूब्सेंस हैं. सबसे अधिक किस्मों वाली प्रजाति सी. एन्युम है, जिसमें न्यू मैक्सिकन जलपीनो और बेल मिर्च शामिल हैं. इसके बजाय हैबनेरोस और स्कॉच बोनट सी. चिनेंस से, जबकि टबैस्को मिर्च सी. फ्रूटसेन्स संबंधित हैं. साउथ अमेरिकन अजीज सी बैकाटम हैं, जबकि पेरूवियन रोकोटो और मैक्सिकन मंजानो सी प्यूब्सेंस हैं. मौजूदा समय में वैश्विक बाजार के लिए सालाना 30 लाख टन से अधिक मिर्च का उत्पादन किया जाता है जो कि चार अरब डॉलर से अधिक का कारोबार है.

मिर्च जलन क्यों पैदा करती है?

तीखापन भोजन में कैप्साइसिन के कारण होने वाली जलन है। जब हम मसालेदार खाना खाते हैं, तो कैप्साइसिन हमारे मुंह में टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स को उत्तेजित करता है और एक प्रतिक्रिया को बढ़ाता है. टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स का उद्देश्य थर्मोरेसेप्शन यानी गर्मी का पता लगाना है. इसका मतलब है कि वे हमें जलन वाले भोजन का सेवन करने से रोकने वाले हैं. जब टीआरपीवी1 रिसेप्टर्स कैप्साइसिन के जरिये सक्रिय होता है, तो हमें जो अनुभूति होती है, वह पानी के क्वथनांक के आसपास, कुछ गर्म होने की भावना से जुड़ी होती है. हालांकि, यह दर्द हमारे भ्रमित तंत्रिका रिसेप्टर्स के एक भ्रामक दुष्प्रभाव से ज्यादा कुछ नहीं है. मसालेदार भोजन के बारे में वास्तव में ‘‘हॉट’’ कुछ भी नहीं है.

सभी मिर्च समान नहीं होती

हर मिर्च का तीखापन अलग-अलग होता है. फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने 1912 में मिर्च के तीखेपन को मापने के लिए एक क्राइटीरिया सेट किया था. स्कोविल हीट यूनिट्स (एसएचयू) में मापा गया यह पैमाना मिर्च खाने वाले लोगों द्वारा अनुभव की जाने वाली कैप्साइसिनोइड संवेदनशीलता पर आधारित है. मानक स्कोविल पैमाने पर कैरोलिना मिर्च (एसएचयू जीरो के साथ) सबसे नीचे है. जलपीनो मिर्च 2,500 से 10,000 तक कहीं भी हो सकती है, तुलनात्मक रूप से, टबैस्को मिर्च 25,000 से 50,000 इकाइयों के बीच होती है, और हैबनेरोस मिर्च 100,000 से 350,000 के बीच होती है. वहीं दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कैरोलिना रीपर का तीखापन 22 लाख यूनिट तक हो सकता है. बीयर स्प्रे (दो प्रतिशत कैप्साइसिन) का तीखापन 33 लाख यूनिट और शुद्ध कैप्साइसिन स्कोविल का तीखापन 16 लाख तक हो सकता है.

(इनपुट – भाषा)

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