Ghazwa E Hind Row: गजवा-ए-हिंद क्या है, देवबंद का फतवा क्या भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसा रहा?
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Ghazwa E Hind Row: गजवा-ए-हिंद क्या है, देवबंद का फतवा क्या भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसा रहा?

Darul Uloom Deoband News: यूपी के सहारनपुर में मौजूद दारुल उलूम देवबंद गजवा-ए-हिंद का समर्थन कर एक बार फिर विवादों में है. इसकी स्थापना 1866 में हुई थी. यह पहले भी अपने फैसलों और नजरिए को लेकर विवादों में आ चुका है. अब भारत के खिलाफ बच्चों को उकसाने वाले फतवे को लेकर बैन की मांग होने लगी है. 

Ghazwa E Hind Row: गजवा-ए-हिंद क्या है, देवबंद का फतवा क्या भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसा रहा?

Ghazwa-e-Hind Deoband: 'गजवा-ए-हिंद' शब्द आपने जरूर सुना होगा. पाकिस्तानी कट्टरपंथी या आतंकवादी इसकी बात किया करते हैं लेकिन अब भारत में ही मौजूद इस्लामी शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र दारुल उलूम देवबंद (Darul Uloom Deoband) की वेबसाइट पर 'गजवा-ए-हिंद' के कॉन्सेप्ट को सही ठहराया गया है. इस अवधारणा में कहा गया है कि भारत पर हमला करके देश को गजवा-ए-हिंद बनाना है यानी भारत को पूरी तरह इस्लामिक देश बना देना है. इसमें कहा जाता है कि एक भी 'काफिर' यानी गैर-इस्लामी शख्स नहीं बचना चाहिए. यही नहीं, गजवा-ए-हिंद के मकसद के लिए जो लड़ेगा, ये उन्हें 'शहीद' कहते हैं. यही वजह है जब भारत में हमले के दौरान आतंकी मार दिए जाते हैं तो वे शहादत कहकर गर्व करते हैं. 

कहां है दारुल उलूम?

इस्लामिक जगत का यह वैचारिक संगठन देश की राजधानी दिल्ली से महज 150 किमी की दूरी पर है. प्लेन से जा रहे हैं तो देहरादून एयरपोर्ट पर उतरकर आना होगा. ट्रेन से देवबंद रेलवे स्टेशन उतरना होगा. सहारनपुर में सड़क मार्ग से यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. अब सवाल पूछा जा रहा है कि देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी शैक्षणिक संस्था गजवा-ए-हिंद की अवधारणा को अगर सही ठहरा रही है तो इसके मायने क्या हैं? यह सवाल अहम है क्योंकि इस संस्था की विचारधारा न सिर्फ भारत में बल्कि कई देशों में फैलाई और पढ़ाई जाती है. 

भारत के खिलाफ जंग के लिए उकसा रहे?

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. उसका कहना है कि बच्चों के मन में भारत के खिलाफ नफरत घोला जा रहा है. बच्चों को भारत के खिलाफ युद्ध के लिए उकसाया जा रहा है. आयोग ने सहारनपुर प्रशासन से कहा है कि इस मामले में देशद्रोह के तहत एक्शन होना चाहिए और 72 घंटे के अंदर होना चाहिए. सवाल यह है कि क्या यह कोई गलती थी या फिर जानबूझकर देश की सबसे बड़ी इस्लामी शिक्षा की संस्था दारुल उलूम गजवा-ए-हिंद का नारा बुलंद कर रही है? 

NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा है कि गजवा-ए-हिंद भारत के खिलाफ 'एक्ट ऑफ टेरर' है. यह भारत पर आक्रमण की बात करता है. हमने इसका संज्ञान लिया और सहारनुपर के जिला प्रशासन से ऐक्शन लेने को कहा है. उन्होंने कहा कि देवबंद मदरसे का पूरे दक्षिण एशिया में प्रभाव है. करोड़ों बच्चे पढ़ रहे हैं और अगर उन्हें फतवे में यह पढ़ाया जाएगा कि भारत पर आक्रमण करते हुए अगर तुम मारे जाते हो तो सर्वोच्च बलिदानी कहे जाओगे तो यह बहुत गंभीर बात है. एक पुस्तक के हवाले से भारत पर हमले को वैध बनाने की कोशिश हो रही है. 

'दारुल उलूम में अलगाववादी...'

वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने कहा, 'भारत में हिंदुओं को खत्म कर शरिया लागू करना ये सब जायज है... ये दारुल उलूम देवबंद कह रहा है. दारुल उलूम में घुसपैठिए और अलगाववादी कई बार पकड़े जा चुके हैं. इस संस्था ने कई बार आतंकियों का केस लड़ा है. हमारी पीआईएल तीन तलाक, हलाला के खिलाफ जो आई, उसका दारुल उलूम ने विरोध किया यानी जितनी इस्लामिक कुरीतियां हैं उसका दारुल उलूम समर्थन करता है जबकि भारत की संस्कृति, परंपरा और सोच का विरोध करता है... ऐसी संस्था को भारत में चलने क्यों दिया जा रहा है?'

उधर, सहारनपुर के डीएम दिनेश चंद्र सिंह ने कहा है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने इस प्रकरण में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं. मैंने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, सहारनुपर को कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. 

'देश विरोधी विचारधारा को कुचलना होगा'

हिंदू धर्मगुरु स्वामी चक्रपाणि ने कहा है कि राष्ट्र हित में जितनी जल्दी हो सके, ऐसे संस्थानों पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है क्योंकि 'सितम को देखते रहना सितम से कम नहीं होता है. मेरा दावा है कि कातिल गवाहों में भी होते हैं.' अगर PFI, सिमी उभरी थी तो उसके पीछे भी ऐसी संस्थाओं का ही समर्थन था. ये बौद्धिक स्तर पर समर्थन कर रहे थे. अब फतवा जारी किया गया तो सच्चाई सामने आ गई. इस तरह देश विरोधी विचारधारा को कुचलने की जरूरत है. 

देवबंद को बदनाम कर रहे

उधर, इंडियन यूनियन मुस्लिम के नेता मोहम्मद अतीक ने कहा है कि फतवा, फतवा, फतवा... ये इसीलिए हो रहा है जिससे दारुल उलूम देवबंद को बदनाम किया जाए. मुसलमानों की जो मजहबी शिनाख्त है उसको खत्म करने की जो साजिशें चल रही हैं, ये उसी का हिस्सा है. दो साल पहले भी ऐसा प्रॉपगेंडा शुरू किया गया था कि दारुल उलूम की वेबसाइट बंद की जाए. इस पर अवैध फतवे होते हैं लेकिन ये सिर्फ देवबंद को बदनाम करने की साजिश है. 

'अब प्रतिबंध जरूरी है'

विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, 'भारत पर आक्रमण करना इस्लाम की नीति है. जो भी इसके लिए जान देता है उसे बलिदानी माना जाता है. उसको जन्नत नसीब होगी. सहारनपुर का देवबंद मात्र एक मदरसा नहीं है, यह मदरसों की जननी है. भारत, पाक, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में इससे जुड़े मदरसे चलते हैं. आतंकियों को पालने का काम यही मानसिकता करती है. इस तरह युवाओं को भड़काने और आतंकवाद की राह पर झोंकने का काम जो हो रहा है यह भारत पर आक्रमण का षड्यंत्र है. इस तरह के अनेक फतवे इन्होंने पहले भी जारी किए हैं. इस पर प्रतिबंध जरूरी है.'

भाजपा प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने कहा कि देवबंद को भारत के संविधान में विश्वास नहीं है. ये भारत को पाकिस्तान के हवाले करना चाहते हैं. भारत का तालिबानीकरण देश कभी स्वीकार नहीं करेगा. 

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में दारुल उलूम देवबंद एक मदरसा होने के साथ ही देश में मदरसों को संचालित करने वाली सबसे बड़ी इस्लामिक संस्था है. इस विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था ने हाल में अपनी वेबसाइट के माध्यम से एक फतवा जारी कर गजवा ए हिंद को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध करार दिया है. इसकी काफी आलोचना की जा रही है. सोशल मीडिया पर देवबंद के फतवे को देखते हुए इसे प्रतिबंधित करने की मांग तेज हो गई है.

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