Waqf Act Amendment Bill : वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है, अब क्या बदलने वाला है जिस पर भड़के हुए हैं कुछ मौलाना
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Waqf Act Amendment Bill : वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है, अब क्या बदलने वाला है जिस पर भड़के हुए हैं कुछ मौलाना

Waqf Act amendment: एक बार वक्फ प्रॉपर्टी (Waqf property) विवाद ने इतना तूल पकड़ लिया था कि बीजेपी नेता हरनाथ सिंह यादव ने निजी विधेयक पेश करते हुए वक्फ एक्ट 1995 को खत्म करने की मांग कर दी थी. 

Waqf Act Amendment Bill : वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है, अब क्या बदलने वाला है जिस पर भड़के हुए हैं कुछ मौलाना

Waqf Board Properety: केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड पर लगाम लगाने जा रही है. वक्फ बोर्ड एक्ट संशोधन बिल (Waqf Board Amendment Bill) संसद में पेश हो सकता है. बीते कुछ सालों में वक्फ बोर्ड से जुड़ी खबरों की बाढ़ सी आ गई थी. मामला अदालत की चौखट से निकलकर लोकतंत्र के मंदिर यानी संसद पहुंच गया. हर सिक्के के दो पहलू होते हैं. एक ओर वक्फ बोर्ड की मनमानियों के चर्चे हैं, दूसरी ओर इसके पैरोकार संशोधन होने पर आर-पार की चेतावनी दे रहे हैं. कुछ कट्टरपंथी तो इतना भड़के हैं कि मानो ईंट से ईंट बजा देने की धमकी दे रहे हों. ऐसे में आइए बताते हैं कि वक्फ प्रॉपर्टी क्या होती है? और सरकार अपने बिल में ऐसा क्या संसोधन करने जा रही है कि बवाल मचा है. 

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में वक्फ एक्ट में 40 बदलाव पर चर्चा हो चुकी है. इसके साथ ये भी कहा गया है कि अगर 'वक्फ बोर्ड' किसी भी प्रॉपर्टी पर दावा करता है तो उसका अनिवार्य तौर पर वेरिफिकेशन होगा. वहीं अगर किसी प्रॉपर्टी को लेकर वक्फ बोर्ड और किसी व्यक्ति या संस्था के बीच विवाद चल रहा है तो उसका भी वेरीफिकेशन कराया जाएगा. पूरे देश में वक्फ एक्ट के विरोध की वजह उसकी वो धारा है जिसे लोग संविधान विरोधी बता रहे हैं. दरअसल वक्फ एक्ट का एक सेक्शन  कहता है कि इसके फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती. 

क्या होता है 'वक्फ'...वक्फ प्रॉपर्टी? 

'वक्फ' की बात करें तो ये अरबी भाषा का शब्द है. कोई भी मुसलमान अपनी जमीन, मकान या कोई भी कीमती चीज वक्फ को दान कर सकता है. यही वक्फ प्रापर्टी बन जाती है. आगे वक्फ प्रॉपर्टी की देखभाल और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक वक्फ बोर्ड से जुड़े लोगों की होती हैं. देश के पहले PM नेहरू ने 1954 में वक्फ एक्ट बनाया. 1995 में नए कानून से हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति मिली थी. आज उत्तर प्रदेश से लेकर तमिलनाडु तक करीब 30 वक्फ बोर्ड हैं.

वक्फ बोर्ड एक्ट की बात करे तो पहले भी 1995 और 2013 में इसमें संशोधन हो चुका है. भारत सरकार और रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड देश का तीसरा सबसे बड़ा 'जमींदार' यानी जमीनों का मालिक है.

एक अनुमान के मुताबिक देश में मुस्लिम वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख से ज्यादा प्रॉपर्टी है. वक्फ संपत्तियों संबंधी दावों को लेकर देश में तकरीबन हर राज्य में ही विवाद की स्थिति है. 

सरकार क्यों कर रही संशोधन?

दरअसल वक्फ बोर्ड को अभी अधिकार दिया गया है कि वह किसी भी संपत्ति की जांच कर सकता है और अगर किसी संपत्ति पर अपना दावा कर दे तो इसे पलटना मुश्किल हो जाता है. वक्फ एक्ट के सेक्शन 85 में कहा गया है कि बोर्ड के फैसले को सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में चुनौती भी नहीं दी जा सकती. इस प्रस्तावित संशोधन का प्रमुख उद्देश्य वक्फ बोर्ड की शक्तियों और उनके द्वारा संपत्तियों के वर्गीकरण को नियंत्रित करना है.

2013 में मनमोहन सिंह की UPA-2 सरकार ने 1995 के बेसिक वक्फ एक्ट में संशोधन करके वक्फ बोर्डों को सर्वशक्तिमान बना दिया था. तब बीजेपी ने आरोप लगाया था कि वक्फ बोर्डों को संपत्ति छीनने की असीमित शक्तियां देने के लिए अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसे किसी भी अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. साफ है कि एक धार्मिक संस्था को असीमित ताकत दी गई, जिसने वादी के पैरों में ऐसी बेड़ियां डाल दीं कि वो बेचारा अदालत से इंसाफ मांगने भी नहीं जा सकता था.

देश की किसी भी अन्य धार्मिक संस्था के पास इतनी ताकत आज भी नहीं है, जितनी वक्फ बोर्ड अधिनियम, 1995 की धारा 3 (Waqf act 1995 section 3) में वक्फ बोर्ड को दी गई हैं. इस धारा 3 के मुताबिक अगर वक्फ 'सोचता' है कि भूमि किसी मुस्लिम की है तो यह वक्फ की संपत्ति है. वक्फ को इस बारे में कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है कि उन्हें क्यों लगता है कि जमीन उनके स्वामित्व में आती है.

सरकार का कहना है कि संशोधन के बाद बोर्ड किसी भी जमीन पर गलत दावा नहीं कर पाएगा इसलिए भविष्य में शायद ही जमीन विवाद से जुड़ा ऐसा कोई मामला सामने आएगा. कुछ मौलाना इसी बात का विरोध कर रहे है कि उनके धार्मिक मसलों में दखल देने का हक किसी को नहीं है.

मुस्लिमों की रहनुमाई का दावा करने वाले असदुद्दीन ओवैसी और कुछ मौलानाओं के साथ-साथ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग भी वक्फ बोर्ड एक्ट में संशोधन की खबर सुनकर खफा हैं. 

देशभर की सुर्खियों में रहे चर्चित मामले

आरोप है कि वक्फ बोर्ड गलत तरीकों से दूसरे की संपत्ति पर दावा जता देता है, ऐसे में जमीन के असली मालिक से सिर के ऊपर से छत हट जाती है और वो बेघर हो जाता है. संशोधन की बात इसलिए क्योंकि वक्फ को लेकर बने कुछ कानून भी अब सवालिया घेरे में हैं. बीते साल फरवरी, 2023 में अल्पसंख्यक मामलों जुड़े मंत्रालय ने लोकसभा में बयान दिया था कि मुस्लिमों की संस्था वक्फ बोर्ड के पास दिसंबर, 2022 तक कुल 8,65,646 अचल संपत्ति थी.

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हाल के कुछ सालों में वक्फ बोर्ड की संपत्ति के दावों को लेकर कई विवाद हुए हैं. अब कई राज्यों में वक्फ बोर्डों पर ये आरोप भी लगा है कि वो गलत तरीके से सरकार या अन्य संपत्तियों पर अपना दावा जता रहे हैं, जो कतई ठीक नहीं. ऐसे ही कई मामलों की सुनवाई अदालतों में चल रही है. सोमवार पांच अगस्त (5 August) को UP मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर सुनवाई टल गई. ये याचिका अब अगले हफ़्ते सुनी जाएगी.

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जिस जगह हाथ रख दिया वो जमीन वक्फ की?

तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने 2023 में एक पूरे गांव पर ही अपना मालिकाना हक जता दिया था. बोर्ड ने राज्य के 18 गांवों में 389 एकड़ जमीन का मालिक होने का दावा किया था. उन्होंने ये भी कह दिया था कि वक्फ बोर्ड की मंजूरी के बिना गांव वाले अपनी जमीन नहीं बेच सकते. उन्हें अपनी ही जमीन बेचने के लिए वक्फ बोर्ड से NOC (अनापत्ति प्रमाण पत्र) लाने को कहा गया था. कावेरी नदी के किनारे बसे तिरुचेंथराई गांव में 1500 साल पुराना सुंदेश्वर मंदिर भी. ऐसे में गांववाले भौंचक्के रह गए थे कि वक्फ कैसे उनके पूरे गांव पर अपना दावा जता सकता है. वहीं 2022 में तेलंगाना में एक मस्जिद की प्रापर्टी को लेकर ऐसा ही विवाद सामने आय़ा था.  

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भारत में कोर्ट में चल रहे मामले

यूं तो वक्फ प्रापर्टी (Waqf Property) का विवाद आजादी मिलने से पहले लंदन तक पहुंचा था. वहां चार जजों की बेंच ने वक्फ को ही अवैध करार दे दिया था. हालांकि तबके उस  फैसले को ब्रिटिश भारत की सरकार ने नहीं माना था. मुसलमान वक्फ वैलिडेटिंग एक्ट 1913 लाकर वक्फ बोर्ड को बचा लिया गया.

यूपी में भी जब वक्फ बोर्ड ने बड़े पैमाने पर संपत्तियों पर दावा जताया तो बवाल मच गया. फौरन योगी सरकार ने आदेश जारी करते हुए कहा कि वक्फ की सभी संपत्तियों की जांच कराई आगे चलकर बात इलाहाबाद हाईकोर्ट तक पहुंची.

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