Maharashtra: राजभवन में सुबह की शपथ से आजाद मैदान में शाम की शपथ तक... कितने ताकतवर हुए देवेंद्र फडणवीस?
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Maharashtra: राजभवन में सुबह की शपथ से आजाद मैदान में शाम की शपथ तक... कितने ताकतवर हुए देवेंद्र फडणवीस?

Devendra Fadnavis Oath Ceremony: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में प्रचंड जीत के 12 दिन बाद गुरुवार शाम को मुंबई के आजाद मैदान में आयोजित भव्य समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. इसके साथ ही पांच साल पहले राजभवन में अहले सुबह हुए फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह की यादें और इस बीच बदले हालात की चर्चा भी शुरू हो गई.

Maharashtra: राजभवन में सुबह की शपथ से आजाद मैदान में शाम की शपथ तक... कितने ताकतवर हुए देवेंद्र फडणवीस?

Maharashtra New CM Devendra Fadnavis: महाराष्ट्र में भाजपा के पहले सीएम रहे देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार शाम को मुंबई के आजाद मैदान में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन की प्रचंड जीत के 12 दिन बाद भव्य समारोह में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने देवेंद्र फडणवीस को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

पीएम नरेंद्र मोदी समेत देश के सभी क्षेत्रों के गणमान्य लोगों की मौजूदगी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान समेत कई केंद्रीय मंत्रियों, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू समेत भाजपा और एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ ही धार्मिक, राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और मनोरंजन जगत की नामचीन हस्तियां फडणवीस के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुईं. 

मुख्यमंत्री पद की शपथ के बाद देवेंद्र फडणवीस ने क्या कहा और किया?

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "पिछले ढ़ाई वर्षों में हमने महाराष्ट्र के विकास के लिए काम किया है और आगे भी हम महाराष्ट्र के विकास के लिए ही काम करेंगे. हम अब नहीं रुकेंगे, दिशा और गति वही है केवल हमारी भूमिकाएं बदल गई हैं... हम महाराष्ट्र की बेहतरी के लिए फैसले लेंगे. हम उन कामों को पूरा करना चाहते हैं जिनका जिक्र हमने अपने घोषणापत्र में किया था..." 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले फैसले के तौर पर पुणे निवासी चंद्रकांत शंकर कुर्हाड़े के बोन मैरो ट्रांसप्लांट में आर्थिक सहायता के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से 5 लाख रुपये की राशि मंजूर करने वाली फाइल पर दस्तखत किए. इसके बाद अपने दोनों उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार के साथ मिलकर कैबिनेट की पहली बैठक में कई अहम फैसले भी किए. 

देवेंद्र फडणवीस की सियासी सूझबूझ और बढ़ती ताकत का शानदार प्रदर्शन

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 से पहले महायुति के बीच सीटों का समझौता, चुनाव के दौरान सघन प्रचार अभियान, प्रचंड बहुमत के साथ गठबंधन की जीत, नतीजे के पहले और बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा के साथ ही महायुति में बैलेंस, धैर्य और शांति के साथ तमाम तरह की आंतरिक और बाहरी राजनीति का जवाब और आखिर में भाजपा आलाकमान के साथ ही एकनाथ शिंदे को भी साधने के बाद मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर देवेंद्र फडणवीस ने अपनी सियासी सूझबूझ और बढ़ती ताकत का शानदार प्रदर्शन किया.

अचानक ताजा हुई पांच साल पहले राजभवन में अहले सुबह ली शपथ की याद

चारों तरफ तारीफों, बधाइयों और शुभकामनाओं के केंद्र बने देवेंद्र फडणवीस के सामने स्वाभाविक तौर पर पांच पहले 23 नवंबर, 2019 को राजभवन में अहले सुबह राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के सामने शपथ ग्रहण करने की वो तस्वीर भी सामने आई, जिसके बाद उन्हें एक के बाद एक लगातार कई राजनीतिक झटके खाने पड़े थे. हालांकि, उन्होंने पूरी समझदारी, विनम्रता और साहस के साथ अपने बुरे दौर का सामना किया और उससे निकलकर इस शानदार जश्न तक पहुंचे. आइए, जानते हैं कि राजभवन में सुबह की शपथ से आजाद मैदान में शाम की शपथ तक देवेंद्र फडणवीस कितने ताकतवर हुए हैं.

महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री फडणवीस को 2019 में लगी सियासी चोट

साल 2014 से 2019 तक महाराष्ट्र के सबसे युवा मुख्यमंत्री रहे देवेंद्र फडणवीस ने कई उपलब्धियां हासिल कीं. लेकिन 2019 में उनके लिए चुनौतियां बढ़ गईं. विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना गठबंधन की जीत के बाद उद्धव ठाकरे की सीएम बनने की जिद के चलते फडणवीस ने एनसीपी के अजित पवार के साथ गठबंधन किया और जल्दबाजी में अहले सुबह राजभवन पहुंच गए. दोनों नेताओं ने सीएम और डिप्टी सीएम के तौर पर शपथ भी ले ली. हालांकि, उनकी सरकार महज 80 घंटे ही चल पाई. इससे फडणवीस की राजनीतिक ताकत को गहरी चोट लगी. 

पहले विपक्ष के नेता रहे, फिर उम्मीदों के उलट उपमुख्यमंत्री बनकर वापसी

इसके बाद फडणवीस लगभग ढाई साल तक विपक्ष के नेता बनकर आगे की रणनीति बनाते रहे. साल 2022 में शिवसेना के विभाजन के साथ भाजपा ने महाराष्ट्र में सत्ता तो वापस हासिल कर ली, लेकिन उम्मीदों के उलट फडणवीस मुख्यमंत्री की जगह उपमुख्यमंत्री बनाए गए. उन्होंने विनम्रता से आलाकमान का निर्देश स्वीकार किया और चुपचाप काम करते रहे. बाद में उन्होंने एनसीपी नेता अजित पवार को दोबारा अपने पाले में लाकर राजनीतिक ताकत बढ़ा ली. हालांकि, लोकसभा चुनाव 2024 में  2019 में जीती 23 सीटों में से केवल नौ सीटें जीतने के बाद उन्होंने इस्ताफे की पेशकश भी करनी पड़ी.

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आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को फडणवीस ने कैसे एक साथ साधा?

इन सब चुनौतियों के बीच देवेंद्र फडणवीस ने हार नहीं मानी और आरएसएस के साथ घनिष्ठ संबंधों को फिर से जिंदा किया. आरएसएस के मुख्यालय नागपुर की एक सीट से विधायक होने और शीर्ष नेतृत्व समेत कई पदाधिकारियों के नजदीकी होने का उन्हें विधानसभा चुनाव के दौरान प्रचार अभियान में मदद मिली. साथ ही शानदार नतीजे के बाद आरएसएस ने मुख्यमंत्री के रूप में उनकी वापसी के लिए भाजपा पर दबाव भी डाला. इसके अलावा, फडणवीस ने पीएम मोदी समेत भाजपा की टॉप लीडरशीप का भी भरोसा जीतने की कोशिश की.

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किन सधे कदमों से महाराष्ट्र के सबसे ताकतवर मौजूदा राजनेता बने फडणवीस?

देश की आर्थिक और मनोरंज की राजधानी मुंबई में बॉलीवुड और कॉरपोरेट जगत के भी पसंदीदा नेता बने रहे फडणवीस ने नतीजे के बाद भी बेहद सधे हुए कदम बढ़ाए. नतीजे के दिन जीत का पूरा क्रेडिट पीएम मोदी और महायुति-भाजपा की पूरी टीम को दिया. मां के साथ बातचीत के ऑडियो समेत उनके कई पुराने मोटिवेशनल वीडियो वायरल हुए, सीएम पोस्ट को लेकर कोई बयान नहीं दिया, ब्राह्मण जाति की पहचान को मुद्दा नहीं बनने दिया, अपनी बेदाग और विनम्र छवि को आगे रखा और विपक्ष पर सर्जिकल स्ट्राइक के साथ ही अपनी पार्टी और महायुति की अंदरुनी लॉबीइंग के तीरों को भी सलीके से भोथरा कर महाराष्ट्र के सबसे ताकतवर मौजूदा राजनेता के तौर पर खुद को स्थापित कर लिया.

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