Bihar Liquor Ban Survey: आखिर सर्वे के पीछे क्यों पड़े नीतीश कुमार? जाति के बाद अब शराबबंदी पर घर-घर जाकर पूछा जाएगा
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Bihar Liquor Ban Survey: आखिर सर्वे के पीछे क्यों पड़े नीतीश कुमार? जाति के बाद अब शराबबंदी पर घर-घर जाकर पूछा जाएगा

Bihar Alcohol Ban: नीतीश कुमार बार-बार सर्वे पर क्यों जोर दे रहे हैं? नीतीश ने जातिगत जनगणना के बाद अब शराबबंदी पर हाऊस-टू-हाऊस सर्वे की बात कही है. इसकी क्या जरूरत है?

Bihar Liquor Ban Survey: आखिर सर्वे के पीछे क्यों पड़े नीतीश कुमार? जाति के बाद अब शराबबंदी पर घर-घर जाकर पूछा जाएगा

Nitish Kumar On Liquor Ban: जातिगत सर्वे के बाद बिहार (Bihar) में अब शराबबंदी (Alcohol Ban) पर भी नया सर्वे होगा. सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा कि शराबबंदी का हाऊस-टू-हाऊस सर्वे किया जाएगा. फिर से पता लगाया जाएगा कि कितने लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया? शराबबंदी के पक्ष में कितने लोग हैं? शराबबंदी के बारे में लोग क्या सोचते हैं? ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या नीतीश सरकार का फोकस विकास, पढ़ाई और हेल्थ जैसी चीजों पर नहीं, बल्कि पूरी तरह से एक के बाद एक सर्वे पर है. उनकी सरकार में पहले भी शराबबंदी पर सर्वे हो चुका है. खुद नीतीश कुमार इसका जिक्र कर चुके हैं. लेकिन अब हाऊस-टू-हाऊस सर्वे की क्या जरूरत है? क्या नीतीश कुमार काम करने में कम और बार-बार गिनाने पर ज्यादा जोर दे रहे हैं.

जातिगत जनगणना की तरह शराबबंदी पर भी सर्वे

बता दें कि नीतीश सरकार ने आज से 7 साल पहले पहले बिहार में शराबबंदी लागू की थी. नीतीश कुमार ने कहा कि आप लोग ठीक ढंग से एक बार फिर शराबबंदी का सर्वे कीजिए. हम तो कहेंगे एक-एक घर में जाइए और पता करिए कि शराबबंदी का क्या असर पड़ा है. हमने जातिगत जनगणना कराई, जिसमें एक-एक घर जाकर सारी जानकारी ली गई.

शराबबंदी पर एक और सर्वे की जरूरत क्या है?

सीएम नीतीश कुमार ने आगे कहा कि जातिगत जनगणना की तरह एक-एक घर में जाकर शराबबंदी पर ठीक तरह से सर्वे करें. सर्वे से पता चल जाएगा कि कौन-कौन से लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं और कौन-कौन इसके खिलाफ हैं. हमें इससे ये भी पता लग जाएगा कि कितने लोग इसके हक में हैं.

बिहार में कितने लोग छोड़ चुके हैं शराब?

नीतीश कुमार ने बताया कि 2018 में एक सर्वे कराया था. उसमें पता चला था कि बिहार में 1 करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ा है. फिर 2023 में हुए सर्वे से मालूम हुआ कि 1 करोड़ 82 लाख लोगों ने शराब को त्याग दिया है. सर्वे से यह भी सामने आया कि 99 फीसदी महिलाएं और 92 प्रतिशत पुरुष चाहते हैं कि शराबबंदी रहे. शराबबंदी को लेकर हर दिन हमारे पास रिपोर्ट आती है. शराबबंदी कानून को नहीं मानने वाले और नियमों का उल्लंघन करने वाले बहुत सारे लोग पकड़े जा रहे हैं.

बार-बार एक ही चीज के सर्वे पर बेवजह खर्च क्यों?

सवाल यही है कि अब नीतीश कुमार जब खुद कह रहे हैं कि 2018 और 2023 दोनों का सर्वे उनके पास है. ये भी पता है कि कितने लोग शराब छोड़ चुके हैं. कितने लोग शराबबंदी के पक्ष में हैं और कितने नहीं, ये भी मालूम है. हर दिन उनके पास शराबबंदी से जुड़ी रिपोर्ट भी आती है. तो फिर क्यों नीतीश कुमार अब हाऊस-टू-हाऊस सर्वे के पीछे पड़े हैं. बार-बार एक ही चीज का सर्वे करने से क्या आंकड़े बदल जाएंगे? इसकी वजह से सरकारी खजाने पर पड़ने वाले बोझ की जिम्मेदारी किसकी है? इस तरह के सर्वे में लगने वाली सरकारी मशीनरी का क्या कहीं और इस्तेमाल नहीं हो सकता है.

जाति जनगणना में आया था 500 करोड़ का खर्च

बता दें कि बिहार में हुए जातिगत सर्वे में 500 करोड़ खर्च आया था. 1 जून 2022 को नीतीश कुमार ने ऐलान किया था कि बिहार में सभी पार्टियां जाति आधारित सर्वे के लिए राजी हैं. इसीलिए बिहार कैबिनेट ने इसको मंजूरी दे दी है और सर्वे के लिए 500 करोड़ आवंटित किए हैं. फिर जनवरी से अप्रैल तक दो फेज में जाति वाला सर्वे बिहार में किया गया था. अगर अब फिर से हाऊस-टू-हाऊस सर्वे होगा तो ये 500 करोड़ कहां से आने वाले हैं? क्या स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दूसरी चीजों पर खर्च नहीं हो सकते हैं.

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