Explained: स्पेस के लिए सेना का महामिशन? भारत पहली बार कर रहा 'अंतरिक्ष अभ्यास'; ISRO और DRDO भी जुड़े
Advertisement
trendingNow12510556

Explained: स्पेस के लिए सेना का महामिशन? भारत पहली बार कर रहा 'अंतरिक्ष अभ्यास'; ISRO और DRDO भी जुड़े

Antariksha Abhyas 2024: अंतरिक्ष में तेजी से सैटेलाइट्स और स्पेसक्राफ्ट्स की भीड़ बढ़ रही है. धरती से परे, भारत के रणनीतिक हितों को सुरक्षित रखने के मकसद से डिफेंस स्पेस एजेंसी ने अपनी तरह का पहला 'अंतरिक्ष अभ्यास' कराया है.

Trending Photos

Explained: स्पेस के लिए सेना का महामिशन? भारत पहली बार कर रहा 'अंतरिक्ष अभ्यास'; ISRO और DRDO भी जुड़े

India Space Force: 2024 की शुरुआत तक, 28 हजार से ज्यादा सैटेलाइट्स पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे थे. यह पिछले साल की तुलना में लगभग 6.8% ज्यादा है. इस साल कई देशों की ऑफिशियल स्पेस एजेंसियों से इतर प्राइवेट कंपनियों ने भी तमाम सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजे. भारत, अमेरिका, चीन समेत कई देश चंद्रमा और मंगल पर मिशन भेजने की तैयारी में हैं. एलन मस्क जैसे आंत्रप्रेन्योर्स की वजह से प्राइवेट स्पेस टूरिज्म ने भी जोर पकड़ा है. अंतरिक्ष अब सिर्फ रिसर्च का एरिया नहीं रहा, एक रणनीतिक क्षेत्र बन गया है. अंतरिक्ष में भारत के हित सुरक्षित रहें, उसी मकसद से रक्षा मंत्रालय ने तैयारी शुरू कर दी है.

सोमवार से नई दिल्ली में अपनी तरह का पहला अभ्यास शुरू हुआ. 'अंतरिक्ष अभ्यास - 2024' नाम के इस कार्यक्रम की अहमियत इस बात से समझ‍िए कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान खुद पहले दिन यहां मौजूद थे. यह 'अंतरिक्ष अभ्यास' क्या है और कैसे भारत अंतरिक्ष में अपने रणनीतिक हितों की सुरक्षा का खाका खींच रहा है, आइए समझते हैं.

'अंतरिक्ष अभ्यास 2024' क्या है?

रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि 'अंतरिक्ष अभ्यास - 2024' को 'हेडक्वार्टर्स इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ' की डिफेंस स्पेस एजेंसी आयोजित करा रही है. यह अभ्यास युद्ध के दौरान अंतरिक्ष-आधारित संपत्तियों और सेवाओं से जुड़े बढ़ते खतरों से निपटने के लिए है.

fallback
सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने 'अंतरिक्ष अभ्यास' की शुरुआत की.

अंतरिक्ष अभ्यास 2024 में कौन-कौन शामिल?

सेना के अधिकारियों के साथ-साथ डिफेंस स्पेस एजेंसी और उससे जुड़ी इकाइयों के अधिकारी 'अंतरिक्ष अभ्यास 2024' में हिस्सा ले रहे हैँ. हेडक्वार्टर्स इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के मातहत आने वाली स्पेशलिस्ट शाखाएं जैसे डिफेंस साइबर एजेंसी, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी और स्ट्रैटीजिक फोर्सेज कमांड भी इस अभ्यास में सक्रिय रूप से भागीदारी करेंगे. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के प्रतिनिधि भी 'अंतरिक्ष अभ्यास 2024' में हिस्सा लेंगे.

क्यों हो रही ऐसी एक्सरसाइज?

अंतरिक्ष तेजी से भीड़भाड़ वाला, प्रतिस्पर्धात्मक और वाणिज्यिक होता जा रहा है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, अपनी तरह के पहले अभ्यास से अंतरिक्ष में राष्ट्रीय रणनीतिक उद्देश्यों को सुरक्षित करने और सैन्य अभियानों में भारत की अंतरिक्ष क्षमता को एकीकृत करने में मदद मिलने की उम्मीद है.

सीडीएस ने क्या कहा?

रक्षा मंत्रालय के बयान में सीडीएस जनरल अनिल चौहान के हवाले से कहा गया, 'अंतरिक्ष को कभी अंतिम सीमा माना जाता था, लेकिन अब यह भारत की रक्षा और सुरक्षा तंत्र का महत्वपूर्ण संबल है. अंतरिक्ष अन्वेषण और बढ़ती सैन्य क्षमताओं की अपनी समृद्ध विरासत के साथ, भारत अंतरिक्ष-आधारित क्षमताओं के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिहाज से अच्छी स्थिति में है.'

सीडीएस चौहान ने कहा कि अंतरिक्ष में राष्ट्रीय हितों को सुरक्षित करने के लिए सैन्य नेतृत्व ISRO, DRDO और शिक्षा जगत के साथ तालमेल बिठाकर नवाचार, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों और अत्याधुनिक प्रणालियों के विकास को बढ़ावा दे. (एजेंसी इनपुट्स)

तमाम खबरों पर नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहां पढ़ें Hindi News Today और पाएं Breaking News in Hindi हर पल की जानकारी. देश-दुनिया की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार. जुड़े रहें हमारे साथ और रहें अपडेटेड!

Trending news