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स्टार कास्ट: ब्रैड पिट, सांद्रा बुलक, जोई किंग, ब्रायन टायरी हेनरी, एंड्रयू कोजी, हिरोयूकी सनाडा, आरोन टेलर जॉनसन, माइकल शनॉन आदि
निर्देशक: डेविड लीच
स्टार रेटिंग: 2.5
कहां देख सकते हैं: थिएटर्स में
डेविड लीच हॉलीवुड के रोहित शेट्टी हैं, स्टंट के बादशाह. खुद पांच बार ब्रैड पिट के बॉडी डबल के तौर पर काम कर चुके हैं, कई मूवीज में स्टंट डायरेक्टर रहे हैं. सो फिल्में भी वो वही डायरेक्टर करते हैं, जिनमें बला की स्पीड और हैरतअंगेज स्टंट होता है. बुलेट ट्रेन से बेहतर इस जमीन पर किसकी स्पीड है? ऐसे में उनका ये आइडिया अच्छा था कि द बर्निंग ट्रेन की तर्ज पर सारा एक्शन बुलेट ट्रेन में हो, जिन लोगों ने बुलेट ट्रेन को नहीं देखा, सफर नहीं किया, उनके लिए ये रोमांचक हो सकता है. लेकिन क्लाइमेक्स में ये बुलेट ट्रेन पटरी से उतरती दिखती है.
बुलेट ट्रेन से उम्मीदें इसलिए भी बढ़ जाती हैं क्योंकि इसके डायरेक्टर डेविड लीच इससे पहले डैडपूल टू और फास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की एक मूवी 2019 में डायरेक्ट कर चुके हैं. ब्रैड पिट के वो पसंदीदा स्टंटमैन हैं, उन्हीं को अपने बॉडी डबल के तौर पर पसंद करते आए हैं. यूं कहानी उन्होंने जापानी उपन्यास (जो अंग्रेजी में बुलेट ट्रेन के नाम से छपी थी) से ली है.
कहानी है उन पांच मशहूर कांट्रेक्ट किलर्स की, जो एक साथ जापान की एक बुलेट ट्रेन में सवार हैं, जो टोकियो से क्योटो जा रही है. उन्हीं में से एक लेडी बग (ब्रैड पिट) को केवल इतना काम करना था कि एक ब्रीफकेस ट्रेन से लेकर किसी भी स्टेशन पर उतर जाना था, लेकिन ये इतना आसान नहीं था. हर हत्यारे का मकसद वही ब्रीफकेस था. हर पंद्रह से बीस मिनट के अंदर लेडी बग हर हत्यारे से मिलता है और कहानी का प्लॉट बदल जाता है. जिनमें से दो जुड़वां भाई हैं लेमन (ब्रायन) और टैंगरीन (आरॉन), जापानी बाप-बेटे हैं किमूरा (एंड्रयू कोजी) और द एल्डर (हिरोयूकी सनाडा), द वोल्फ (बैड बनी) है, हॉरनेट (जैजी) है और सबसे खास प्रिंस है (जोई किंग).
डायरेक्टर ने ये ध्यान रखा है कि हर एक के करेक्टर पर कहीं ब्रैड पिट भारी ना पड़ जाए, इसलिए सभी को पर्याप्त समय दिया है और हर एक के किरदार को मजबूती से रचा है, बीच बीच में फन डॉयलॉग्स की भी फुलझड़ियां हैं, जो इस एक्शन के बीच भी आपको हंसने पर मजबूर करती हैं. ब्रैड पिट ने यूं किसी पर हावी होने की कोशिश नहीं की, लेकिन उनका यही कूल किरदार पूरी मूवी पर छा जाता है, उनके अभिनय पर एक खास किस्म की परिवक्वता आ गई है. इस मूवी मे तो वो वैसे भी कर्मा की बाते करते हैं.
फिल्म में एक और खास चीज है, वो है सस्पेंस, शुरू से यही सस्पेंस रहता है कि व्हाइट डैथ कौन है और कब ट्रेन के अंदर आएगा. ट्रेन में उसका बेटा कौन है, ये सस्पेंस हर नए किरदार के साथ और बढ़ता जाता है, ऐसे में आपकी उम्मीदें भी बढ़ जाती हैं कि क्लाइमेक्स दमदार होगा, लेकिन ना तो व्हाइट डैथ का किरदार और ना ही क्लाइमेक्स आपकी चरम पर पहुंच चुकी उम्मीदों पर खरा उतरा. ट्रेन की फाइटिंग में किसी ट्रेन के स्टाफ या यात्री का ऐतराज ना जताना भी अखरता है, ना ही कोई सिक्योरिटी का बंदा अंदर या किसी स्टेशन पर नहीं दिखता है.
हालांकि स्टंट सीन आपको निराश नहीं करते, दो बुलेट ट्रेन की आमने सामने की टक्कर, बुलेट टेन का पटरी से उतरकर बिखरने का सीन, उसकी छत पर लड़ाई की सीन आदि काफी रोमांचक बन पड़े हैं. यूं भी लगता है कि डायरेक्टर के मन में इंडिया था, तभी तो बुलेट ट्रेन पर मूवी बनाई, भारतीयों को इसका इंतजार है, ट्रेन का आखिरी स्टेशन क्योटो रखा, जो वाराणसी के चलते भारत में चर्चा में है, फिल्म में कर्मा की बात होती है, इतना ही नहीं कुमार सानू का गाना तुम देना साथ मेरा...ओ हम नवाज की धुन वाला एक अंग्रेजी गीत भी आखिर में मूवी में दिखाया जाता है. अब किसने किससे लिया होगा, वो पता नहीं.
कुल मिलाकर केवल एक एक्शन और सस्पेंस की मूवी देखनी हो, ब्रैड पिट के फैन हैं तो ये एक टाइमपास मूवी है, लेकिन अगर आप डैडपूल और फास्ट एंड फ्यूरियस से तुलना करते हैं तो आप निराश हो सकते हैं.
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