Custodian Properties: कस्टोडियन प्रॉपर्टीज को मौजूदा रहवासियों के नाम करने की मांग अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है. जहां एक तरह भाजपा इसे हिंदू और सिख समुदाय के लिए न्याय बता रही है, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक स्टंट करार दे रहा है.
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जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद अब एक और बड़ा मुद्दा गरमाने लगा है. भाजपा प्रवक्ता अंकुर शर्मा ने मांग की है कि पाकिस्तान चले गए लोगों की कस्टोडियन प्रॉपर्टीज को उनमें रह रहे हिंदू और सिख समुदाय के लोगों के नाम किया जाए. उन्होंने कस्टोडियन विभाग को पूरी तरह खत्म करने की भी मांग उठाई है. इस मुद्दे को लेकर अब राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है.
1947 में जब भारत का बंटवारा हुआ, तब जम्मू-कश्मीर से कई लोग पाकिस्तान चले गए. उनके पीछे छूट गई संपत्तियों को ‘कस्टोडियन प्रॉपर्टीज’ घोषित कर दिया गया और इनकी देखरेख के लिए कस्टोडियन विभाग बनाया गया. लेकिन जो लोग इन संपत्तियों में दशकों से रह रहे हैं, उन्हें अब तक मालिकाना हक नहीं दिया गया है. भाजपा प्रवक्ता एडवोकेट अंकुर शर्मा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते हुए कहा कि जो लोग ‘टू नेशन थ्योरी’ को मानते हुए पाकिस्तान चले गए थे, उनका अब इन संपत्तियों पर कोई अधिकार नहीं बनता. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार इन प्रॉपर्टीज को इनके मौजूदा रहवासियों के नाम कर दे.
अंकुर शर्मा ने कहा कि 2,56,846 कस्टोडियन प्रॉपर्टीज का मालिकाना हक उन लोगों को दिया जाए, जो दशकों से इनमें रह रहे हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस ने हमेशा पाकिस्तान की विचारधारा को समर्थन दिया और कस्टोडियन प्रॉपर्टीज पर रह रहे लोगों को हक नहीं मिलने दिया. अंकुर शर्मा ने आरोप लगाए कि ये तीनों पार्टियों हमेशा पाकिस्तान के गुण गान गति रही हैं और उन्हें जम्मू की भोली भाली जनता से कोई लगाव नहीं है. लेकिन अब केंद्र में मोदी सरकार है जिन्होंने पहले धारा 370 हटाई, फिर पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों को मालिकाना हक दिया और अब कस्टोडियन प्रॉपर्टीज का निपटारा किया जाना चाहिए.
'कस्टोडियन विभाग को पूरी तरह से खत्म किया जाए, क्योंकि इसकी अब कोई जरूरत नहीं है' अंकुर शर्मा ने कहा कि जम्मू में करीब 10 लाख लोग जिनमें हजारों आर्थिक रूप से कमजोर हिंदू और सिख परिवार कस्टोडियन संपत्तियों में रह रहे हैं. अगर उन्हें इनका मालिकाना हक मिल जाता है, तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और पाकिस्तान में रह रहे पूर्ववर्ती मालिकों का स्टेक पूरी तरह खत्म हो जाएगा.
16 अगस्त 2024 के आदेश
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने 16 अगस्त 2024 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें 1947, 1965 और 1971 के विस्थापितों और पश्चिमी पाकिस्तानी शरणार्थियों को मालिकाना हक देने का प्रावधान किया गया था. एडवोकेट अंकुर शर्म ने कहा कि यह पहला कदम था और अब सरकार को अगले चरण में स्थानीय अलॉटीज़ को भी इन संपत्तियों का मालिकाना हक देना चाहिए. इसके लिए उमर अब्दुल्लाह सरकार का टेस्ट है कि वो कितनी हिंदुओं, सीखों और खास तौर पर जम्मू के लोगों के बारे में सोचती है. उन्होंने कहा कि यह फैसला जम्मू-कश्मीर के किसानों, मध्यम वर्ग, वंचित और हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए बहुत बड़ा साबित होगा.
अंकुर शर्मा ने कस्टोडियन विभाग को "राज्य के खजाने पर बोझ" करार दिया. उन्होंने कहा कि इस विभाग का संचालन खर्च बहुत अधिक है, लेकिन इसकी आय बहुत कम है. "यह विभाग सिर्फ सरकार के लिए एक अतिरिक्त बोझ बन चुका है और इसे खत्म किया जाना चाहिए," उन्होंने कहा.
भाजपा की इस मांग पर नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कड़ा रुख अपनाया और कहा कि यह फैसला सरकार करेगी, न कि कोई नेता. नेशनल कॉन्फ्रेंस के वरिष्ट नेता और पूर्व MLC शेख बशीर ने कहा,"भाजपा हमेशा हमें पाकिस्तानी विचारधारा से जोड़ने की कोशिश करती है, लेकिन हम इससे डरने वाले नहीं हैं. भाजपा सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए इस मुद्दे को उठा रही है."
राजनीतिक विवाद तेज, सरकार के अगले कदम पर नजर
कस्टोडियन प्रॉपर्टीज को मौजूदा रहवासियों के नाम करने की मांग अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है. जहां एक तरह भाजपा इसे हिंदू और सिख समुदाय के लिए न्याय बता रही है, जबकि विपक्ष इसे राजनीतिक स्टंट करार दे रहा है. अब देखना होगा कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और केंद्र सरकार इस पर क्या फैसला लेती है.