Ashutosh Gowariker Film: आशुतोष गोवारिक का नाम लगान के लिए भारतीय फिल्म इतिहास में हमेशा दर्ज रहेगा. लेकिन दुखद है कि इसके बाद वह कोई मार्के की फिल्म नहीं बना पाए. हालांकि उन्हें शाहरुख खान, ऋतिक रोशन और प्रियंका चोपड़ा जैसे सितारों के साथ काम करने का मौका मिला.
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Hrithik Roshan In Mohenjo Daro: लगान (2001) और जोधा अकबर (2008) जैसी सफल फिल्मों के बाद निर्देशक आशुतोष गोवारिकर का करियर व्हाट्स योर राशि (2009) और खेलें हम जी जान से (2010) के साथ डगमगा गया था. मगर 2016 में आई मोहेंजो दारो ने उसे पूरी तरह पटरी से ही उतार दिया. फिल्म की तीखी आलोचना हुई. मोहेंजो दारो पीरियड फिल्म थी. जिसे गोवारिकर ने लिखा तथा निर्देशित किया था. ऋतिक रोशन, पूजा हेगड़े, कबीर बेदी, अरुणोदय सिंह तथा शरद केलकर की फिल्म में मुख्य भूमिकाएं थी. आशुतोष का ड्रीम प्रोजेक्ट था. लगान की शूटिंग के दौरान ही आशुतोष ने इस फिल्म का सपना देखा था, जो लगभग 15 साल बाद पूरा हुआ. लेकिन फिल्म फ्लॉप हो गई. 115 करोड़ में बनी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सिर्फ 108 करोड़ का ही कलेक्शन कर पाई. मतलब जो लगा, वह वापस भी नहीं आया.
सबसे महंगे ऋतिक
जोधा अकबर के बाद आशुतोष गोवारिकर की ऋतिक रोशन के साथ यह दूसरी फिल्म थी. गोवारिकर ने जब मोहेंजो दारो की स्क्रिप्ट लिखी तो यह काफी बड़ी थी. लगभग 300 पेज. ऋतिक ने स्क्रिप्ट देखी तो उनका पहला रिएक्शन यही था कि इतनी बड़ी स्क्रिप्ट. आशुतोष ने काफी रिसर्च करके, काफी टाइम लगाकर स्क्रिप्ट को तैयार किया था. वह हर हाल में ऋतिक को ही इस फिल्म में लेना चाहते थे. ऐसे में आशुतोष को स्क्रिप्ट एडिट करनी पड़ी. उन्होंने स्क्रिप्ट को कांट-छांटकर 80 पेज का किया. तब जाकर ऋतिक ने फिल्म को हां कहा. अकेले ऋतिक की इस फिल्म में फीस 68 करोड़ रुपये थी, जो उस समय उस समय बॉलीवुड में किसी स्टार द्वारा ली गई सबसे मोटी रकम थी. यानी मेकिंग में जितना पैसा लगा, उसमें से लगभग आधा तो ऋतिक की फीस में ही चला गया था. यह फिल्म ईसा पूर्व 2016 में सिंधु घाटी सभ्यता में एक लव और एक्शन स्टोरी थी. जिसमें लोगों को मजा नहीं आया. फिल्म का वीएफएक्स भी बहुत कमजोर था.
काम नहीं आया रिसर्च
आशुतोष गोवारिकर के दिमाग में यह फिल्म बनाने का आइडिया तब से था जब से उन्होंने लगान बनाई थी. लगान की शूटिंग के दौरान वह भुज, गुजरात की कई जगहों पर घूमे. तब से सिंधु घाटी सभ्यता को लेकर उनके दिमाग में कई जिज्ञासाएं थी. इन घाटियों में कौन लोग रहते थे, कैसे थे, क्या करते थे? आखिर यह सभ्यता नष्ट कैसे हुई? इस फिल्म की रिसर्च के लिए उन्होंने कई आर्कियोलॉजिस्ट से बात की, जो इस सभ्यता के रिसर्च वर्क में जुड़े हुए थे. इन्हीं सब रिसर्च के साथ एक लव स्टोरी का ताना बाना बुनकर उन्होंने फिल्म तैयार की थी. लेकिन दर्शकों को यह फिल्म पसंद नहीं आई. साथ ही ऐतिहासिक गड़बड़ियां दिखाने के लिए आशुतोष गोवारिकर की समीक्षकों तथा इतिहासकारों द्वारा काफी आलोचना की गई. इस पर आशुतोष का जवाब था कि रिसर्च के दौरान उन्हें जो जानकारियां मिली थी, उसी के आधार पर उन्होंने फिल्म बनाई.
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