Saroj Khan Life: ज्यादा पुरानी बात नहीं है जब बॉलीवुड में कोरियोग्राफर सरोज खान की तूती बोलती थी. लेकिन वह भी समय था जब उन्होंने बहुत गरीबी में दिन गुजारे. सरोज खान उन पुराने दिनों को कभी नहीं भूलीं और उन लोगों को भी, जिन्होंने मुश्किल दौर में उनकी मदद की.
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Choreographer Saroj Khan Career: बॉलीवुड की सबसे कामयाब कोरियोग्राफर सरोज खान के पिता अविभाजित भारत में कराची में रहने वाले एक रईस हिंदू कारोबारी थे. मगर विभाजन के समय जब वह मुंबई आए तो उनके पास सिर्फ एक चटाई थी. यहां माहिम में 1948 में सरोज का जन्म हुआ और तीन साल की उम्र से ही उन्होंने फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था. उनकी तीन बहनें और एक भाई था, जिनकी देखभाल सरोज के ही जिम्मे थी. उनके पिता तभी गुजर गए, जब सरोज ने होश भी नहीं संभाला था. बैकग्राउंड डांसर के रूप में काम करते हुए करीब 12 साल की उम्र में सरोज उस दौर के दिग्गज नृत्य निर्देशक बी. सोहनलाल की सहायक बन गईं. लेकिन गरीबी से पीछा नहीं छूटा.
भजिये ब्रेड से चलाया काम
अपने जीवन पर बनी एक डॉक्युमेंट्री ‘द सरोज खान स्टोरी’ में खुद उन्होंने बताया कि घर में सुबह खाने को होता था तो शाम का पता नहीं रहता था. उनकी मां स्टोव पर एक बर्तन में पानी भर कर ढंक देती थीं और बच्चों से कहती थीं कि सो जाओ, जब पक जाओगा तो जगा दूंगी. सरोज के अनुसार उनका एक पड़ोसी मलाबार हिल्स में रहता था, जो भजिये का स्टॉल लगाता था. दिन भर के कारोबार के बाद वह बचा हुआ भजिया और ब्रेड मां को दे दिया करता. मां इंकार करती थीं तो वह भला आदमी कहता था कि तुम भूख बर्दाश्त कर सकती हो, मगर बच्चों ने क्या गुनाह किया है. सरोज कहती थीं कि हम भाई-बहन प्याज के भजिये और ब्रेड खाकर बड़े हुए.
कर्ज के साथ आशीर्वाद
अपने गरीबी के दिनों को ही याद करते हुए सरोज खान ने डॉक्युमेंट्री में बताया है कि शानदार एक्टर शशि कपूर की एक फिल्म में वह ग्रुप डांसर थीं. उस दिनों उनके पास एक पैसा तक नहीं था. शशि कपूर स्टार थे. सरोज के अनुसार, ‘मैं शशिजी के पास गई. वह अपने मेकअप रूम में थे. थोड़ी देर पहले ही हमारा ग्रुप डांस खत्म हुआ था. मैंने उनके सामने खड़े होकर सीधे कह दिया कि कल दीवाली है और मेरे घर में कुछ भी नहीं है. यहां से पैसा सात दिन बाद मिलेगा. मेरी बात सुन कर उन्होंने अपने अंदाज में कहा मेरे पास सरोजजी इस वक्त दो सौ रुपये है, आप ले लीजिए. और उन्होंने तुरंत वह रुपये मुझे दे दीजिए’ सरोज ने कहा कि उन दो सौ रुपयों से मेरी कितनी मदद हुई, कोई सोच नहीं सकता. लेकिन मैंने वह दो सौ रुपये शशि जी को कभी नहीं लौटाए. मैं चाहती थी कि उनका यह कर्ज, यह आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ बना रहे. 1990 के दौर से सरोज खान के करियर ने रफ्तार पकड़ी और अगले डेढ़ दशक तक वह बॉलीवुड की सबसे कामयाब कोरियोग्राफर रहीं. कई बीमारियों से घिर जाने के बाद 2020 में मुंबई में उनका निधन हो गया.
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