Nitin Desai: अमिताभ बच्चन की एक बात पर नितिन देसाई ने किया यह काम, बिग बी उन्हें आज भी करते हैं प्रणाम
Advertisement
trendingNow11807095

Nitin Desai: अमिताभ बच्चन की एक बात पर नितिन देसाई ने किया यह काम, बिग बी उन्हें आज भी करते हैं प्रणाम

Nitin Chandrakant Desai: नितिन देसाई की आत्महत्या ने मनोरंजन उद्योग को शोक में डुबा दिया. उनकी जीवनी में लेखक मंदार जोशी ने उन्हें आधुनिक युग का विश्वकर्मा कहा, तो वह गलत नहीं है. किताब की लॉन्चिंग के मौके पर कोई 12 साल पहले अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने कुछ इस अंदाज में नितिन देसाई की प्रशंसा की थी...

 

Nitin Desai: अमिताभ बच्चन की एक बात पर नितिन देसाई ने किया यह काम, बिग बी उन्हें आज भी करते हैं प्रणाम

Amitabh Bachchan And Nitin Desai: बॉलीवुड के सबसे बड़े आर्ट डायरेक्टर नितिन देसाई (Art Director Nitin Desai) की आत्महत्या की खबर ने आज हर किसी को हिला दिया. उनकी जीवनी कुछ साल पहले मराठी (Marathi) में आई थी, जिसका नाम थाः आधुनिक युगाचा विश्वकर्मा. अर्थात, आधुनिक युग का विश्वकर्मा. किताब मंदार जोशी (Mandar Joshi) ने लिखी थी. मुंबई (Mumbai) में अगस्त 2011 में इस किताब का विमोचन हुआ था, जिस अवसर पर अमिताभ बच्चन समेत विधु विनोद चोपड़ा (Vidhu Vinod Chopra), उद्धव ठाकरे (Uddhav Thakre), मनमोहन शेट्टी और केतन मेहता जैसी हस्तियां पहुंची थीं. इस मौके पर अमिताभ बच्चन ने नितिन देसाई की मां के पैर छूए थे. किताब के विमोचन के बाद अमिताभ ने नितिन देसाई की प्रशंसा तो की ही, एक राज भी सबके सामने खोला.

बहुत सुंदर मूर्तियां
अमिताभ ने कहा कि जब नितिन देसाई ने मुंबई के नजदीक कर्जत में अपना, एनडी स्टूडियो (ND Studio) बनाया तो उसके उद्घाटन पर वह भी पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि स्टूडियो में अंदर प्रवेश करने से पहले नितिन ने एक बहुत ही सुंदर मंदिर बनवाया हुआ था, जिसमें सभी प्रमुख देवी-देवताओं की बेहद आकर्षक-मोहक प्रतिमाएं रखी थीं. अंदर जाने से पहले सबने उस मंदिर में भगवानों की पूजा की. अमिताभ ने कहा कि पूजा के बाद वहां से जाते-जाते मैंने नितिन से कहा कि ये बहुत ही सुंदर मूर्तियां हैं. कहां से मंगवाई हैं. तब नितिन ने कहा कि मैंने स्वयं बनाई हैं और कल ये आपके घर पहुंच जाएंगी.

सुबह की शुरुआत
अमिताभ ने कहा कि मैं नितिन को बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं क्योंकि ईश्वर की वे सारी प्रतिमाएं आज मेरे घर में हैं. मेरे दफ्तर में एक जगह है, जहां ये मूर्तिया रखी हैं. इस दफ्तर में मैंने एक जिम खोला है, जहां मैं हर दिन सुबह पांच-छह बजे पहुंच कर अपने दिन की शुरूआत करता हूं. लेकिन अंदर जाने से पहले मैं इन मूर्तियों के आगे नत-मस्तक होता हूं. आशीर्वाद लेने के लिए. परंतु कई मायनों में लगता है कि मैं प्रतिदिन नितिन चंद्रकांत देसाई को नत-मस्तक करता हूं. एक महान कलाकार के आगे झुकता हूं.

 

Trending news