Mahatma Gandhi: आज घोषित हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में गुजराती फिल्म गांधी एंड कंपनी (Gandhi & Co.) को बच्चों के लिए सर्वश्रेष्ठ फिल्म का अवार्ड मिला है. क्या कहती है यह फिल्म और क्या कहना है इसके निर्देशक काॽ जानिए...
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Gandhi & Co.: बीते कुछ वर्षों में लगातार इस बात पर बहस हुई है कि राष्ट्रपिता महात्मा आज कितने प्रासंगिक हैंॽ महात्मा गांधी के विचार, उनका दर्शन और आजादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व पर कई लोग सवाल उठाते हैं. मगर आज घोषित हुए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (National Film Awards 2021) में ऐसी फिल्म को बच्चों की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला है, जो गांधीजी पर उठने वाले कई सवालों का जवाब देने का प्रयास करती है. लेखक-निर्देशक मनीष सैनी (Manish Saini) की गुजराती फिल्म गांधी एंड कंपनी (Gandhi & Co.) को बेस्ट चिल्ड्रंस फिल्म (Best Children Film) का नेशनल फिल्म अवार्ड दिया गया है. यह फिल्म टोरंटो, यूके, शंघाई, मेलबर्न से लेकर अंतराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित होकर तारीफें बटोर चुकी है. मनीष इससे पहले 2018 में अपनी ढ (DHH) के लिए सर्वश्रेष्ठ गुजराती फिल्म (Best Gujrati Film) का नेशनल अवार्ड जीत चुके हैं. गांधी एंड कंपनी उनकी दूसरी फिल्म है.
क्या कहती है कहानी
गांधी एंड कंपनी दो बच्चों, मिंटू और मित्रा की कहानी है. दोनों 11 बरस हैं. दोनों खूब शैतान हैं. लेकिन उनकी बुजुर्ग भरत भाई से दोस्ती है. भरत भाई गांधीवादी हैं. एक अप्रत्याशित घटना के बाद मिंटू महात्मा गांधी को अपना आदर्श घोषित कर देता है. वह कहता है कि आज से सिर्फ गांधी के बताए रास्ते पर चलेगा. वह हर तरह से गांधी की नकल शुरू कर देता है. भरत भाई उसे गांधी के रास्ते पर बढ़ने और बदलने में उसकी मदद करते हैं. लेकिन मिंटू चोरीछुपे वह धोखेबाजी और जालसाजी से पुरस्कार जीत रहा है. वह समझ नहीं पाता कि उसकी चालाकी उसे किस बड़े संकट की तरफ धकेल रही है. धीरे-धीरे उसे अपनी अंतरआत्मा में गांधी की आवाज सुनाई देती है कि तुम सच्चाई की ताकत से ही दुनिया बदल सकते हो.
निर्देशक का कहना है
मनीष सैनी (Director Manish Saini) अपनी इस फिल्म के बारे में कहते हैं कि स्कूल में हर बच्चा अपनी किसी न किसी किताब में ‘हमारे राष्ट्रपिता’ पाठ पढ़ता है. निबंधों में ये बच्चे अहिंसा, सत्य और ईमानदारी, क्षमा और दृढ़ता जैसे शब्द लिखते हैं. लेकिन किताबों से बाहर उनके लिए इन शब्दों का क्या मतलब है? मनीष के अनुसार, ‘जीवन में बहुत बाद में, जब मैंने समाज को देखना-समझना शुरू किया, तो मुझे एहसास हुआ कि ये शिक्षाएं कितनी प्रासंगिक थीं. महात्मा गांधी किसी किताब का सिर्फ एक अध्याय नहीं हैं, वह एक विचारधारा और जीवन जीने का एक तरीका हैं. मैंने उन्हें सरल बनाकर किशोरों तथा युवाओं के लिए इस फिल्म में प्रस्तुत किया है.