Motivation: Covid में चली गई मम्मी की जॉब, घर के हालात थे खराब, CA 2022 टॉपर मिताली ने रच दिया इतिहास
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Motivation: Covid में चली गई मम्मी की जॉब, घर के हालात थे खराब, CA 2022 टॉपर मिताली ने रच दिया इतिहास

Success Story: अगर आप बुरी परिस्थितियों के आगे घुटने नहीं टेकते हैं, तो कामयाबी आपको हासिल होकर ही रहती है. ऐसी कहानियां न सिर्फ हमें कुछ बेहतर करने की प्रेरणा देती है, बल्कि हर हालात से लड़ने का हौसला भी देती हैं. 

Motivation: Covid में चली गई मम्मी की जॉब, घर के हालात थे खराब, CA 2022 टॉपर मिताली ने रच दिया इतिहास

ICAI CA 2022 Topper Mitali Khandelwal Success Story: युवाओं में चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का क्रेज लगातर बढ़ता जा रहा है. युवाओं का मानना है कि सीए का प्रोफेशन बहुत शानदार है. इस समय इस फील्ड में लगातार ग्रोथ हो रही है. इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने कुछ समय पहले ही नवंबर 2022 के फाइनल रिजल्ट ( ICAI CA Final Exam Result) की एनाउंसमेंट की है. इस बार आईसीएआई एग्जाम में टॉप-50 कैंडिडेट्स में जयपुर के 7 स्टूडेंट्स ने अपना दबदबा कायम किया है.

इन स्टूडेंट्स में मिताली खंडेलवाल ने ऑल इंडिया 18वीं रैंक हासिल की है. आज हम आपके लिए मिताली खंडेलवाल की सफलता की कहानी (Safalta Ki Kahani) लेकर आए हैं, जिन्होंने विषम परिस्थितियों में भी कड़ी मेहनत से खास मुकाम हासिल किया है. मिताली ने परीक्षा को लेकर अपनी तैयारी और अपनी परिस्थितियों को लेकर कई बातें शेयर की हैं. 

हर हाल में पाना था लक्ष्य 
मिताली का कहना है कि रेगुलर पढ़ाई और टारगेट सेट करना ही सफलता दिलाता है. उन्होंने परीक्षा को लेकर अपनी तैयारी के बारे में बताया. उन्होंने कहा "जैसे ही एग्जाम नजदीक आए मैंने 13 से 14 घंटे पढ़ाई शुरू कर दी थी. मैं सुबह के 3 से 4 बजे तक पढ़ती थी. मेरे साथ प्रॉब्लम यह थी कि अगर मैंने स्टडी के लिए जो टारगेट सेट किया है, वह कंप्लीट नहीं होता था तो मुझे नींद ही नहीं आती थी. फाइनल एग्जाम के फर्स्ट पेपर के दिन भी यही हुआ था, मुझे सुबह 7 बजे तक नींद नहीं आई थी. इसके बाद तब मम्मी ने समझाया और तब मैं थोड़ा सो पाई". मिताली बताती हैं कि पढ़ाई के प्रेशर के चलते ही वह एग्जाम के दौरान वह कई बार में डिप्रेशन में चली गई थीं. 

कठिन परिस्थितियों में मिताली ने पाई सफलता
ऑल इंडिया 18th रैंक हासिल करने वाली मिताली ने कहा कि रोज नई चीजों से जीतना और उनसे लड़ना पड़ता है. कोरोना संक्रमण के दौरान हुए लॉक डाउन में उनके परिवार को भी बुरे दौर से गुजरना पड़ा था. उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पूरी तरह बिगड़ गई थी. मिताली के पिता सब-शेयर ब्रोकर थे और मां प्राइवेट स्कूल में टीचर थीं, लेकिन कोरोना काल में उनकी जॉब चली गई.  मिताली का कहना है कि मम्मी की नौकरी जाने के बाद घर के हालात और भी खराब हो गए थे. 

पढ़ाई में परिवार का मिला पूरा सपोर्ट
सीए टॉपर मिताली खंडेलवाल की कहानी सभी युवाओं को यह महत्वपूर्ण सीख देती है. खंडेलवाल परिवार इतनी मुसीबतों से जूझ रहा था, लेकिन मिताली की पढ़ाई पर उनके पापा ने आंच भी नहीं आने दी. मिलाती ने बताया कि उनके परिवार ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया, जिसके कारण उन्होंने यह सफलता हासिल की. अब वह नौकरी करके फैमिली की आर्थिक जिम्मेदारियों को बांटना चाहती हैं. अब मिलाती अपने मम्मी-पापा को सारी खुशियां और सुख-सुविधाएं देना चाहती हैं. अब वह ऐसा कर भी पाएंगी.

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