ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो खत्म कर रहीं वायुमंडल, क्यों सिकुड़ जाते हैं कुछ ग्रह? जानिए क्या कहता है साइंस
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ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो खत्म कर रहीं वायुमंडल, क्यों सिकुड़ जाते हैं कुछ ग्रह? जानिए क्या कहता है साइंस

Size Of Exoplanet: सौरमंडल में ग्रहों पर हुई स्टडी में से एक अजीब बात सामने आई कि बहुत से ग्रहों के आकार छोटे होते जा रहे हैं, इसकी वजह पता नहीं थी, लेकिन अब खोजकर्ताओं ने इसका कारण तलाश लिया है. 

ऐसी प्रक्रियाएं हैं जो खत्म कर रहीं वायुमंडल, क्यों सिकुड़ जाते हैं कुछ ग्रह? जानिए क्या कहता है साइंस

Exoplanet Shrinking: स्पेस साइंटिस्ट लगातार धरती के बाहर जीवन की संभावना तलाशने में जुटे हुए हैं. वैज्ञानिक अब तक 5 हजार से भी ज्यादा बाह्यग्रहों की खोज कर चुके हैं. खोजकर्ताओं के मुताबिक ये ग्रह हमारे सौरमंडल से दूर स्थित किसी तारे का चक्कर लगाते हैं. इन पर हुई स्टडी के दौरान हैरान कर देने वाले आंकड़े सामने आए, जो इन ग्रहों के बारे में दिलचस्प तथ्य बताते हैं और वह रोचक बात यह है कि ये ग्रह धीरे-धीरे सिकुड़ रहे हैं. आखिर इसकी वजह क्या है ? आइए जानते हैं क्या कहता है साइंस...

यूनिवर्स में ग्रहों की कमी
ब्रह्माण्ड में अनेक बाह्यग्रह मौजूद हैं, जिनमें छोटे पथरीले ग्रहों से लेकर विशालकाय गैस के ग्रह शामिल हैं. खगोलविदों ने पाया कि धरती से 1.5 या दो गुना बड़े ग्रह देखने को नहीं मिलते हैं, जिससे धरती और उप नेप्च्यून के आकार के बीच के ग्रहों की कमी दिखती है.

क्यों जाते हैं कई ग्रह सिकुड़? 
वैज्ञानिकों के लिए भी यह जानना बड़ी चुनौती थी कि ग्रहों का आकार छोटा क्यों होता जा रहा है, तो बता दें कि इस सवाल का जवाब भी सवाल में छिपा है. दरअसल, कैलटेक/आईपीएसी के वैज्ञानिक जैसी क्रिश्चियनसेन की अगुआई में हुए शोध ने यह जवाब तलाशने में अहम भूमिका निभाई है. जानकारी के मुताबिक नासा के केप्लर स्पेस टेलीस्कोप के फैक्ट्स के जरिए इस अनोखे रहस्य को सुलझाया जा सका है. 

ग्रहों पर बन रहा ज्यादा दबाव
इस रिसर्च में सामने आया कि कुछ उप नेप्च्यून ग्रहों के कोर अपने वायुमंडल को बाहर की तरफ धकेल रहे हैं, यहीं वजह है कि कई ग्रह सिकुड़ते जा रहे हैं. एक स्टडी में पाया गया है कि नेप्च्यून और धरती के बीच के ग्रहों का सिकुड़ना कोई इत्तेफाक नहीं है. ऐसा कम भार वाले उप नेप्च्यून ग्रहों के वायुमंडल के खत्म होने के कारण हो रहा है. 

वायुमंडल कायम ना रह पाना
क्रिश्चियनसेन के मुताबिक 5 हजार से भी ज्यादा बाह्यग्रहों की पुष्टि की जा चुकी है, बावजूद इसके हमने इस आकार के ग्रह उम्मीद से बहुत कम संख्या में देखे हैं. इसके पीछे वजह बताई जाती है कि अगर सब नेप्च्यून ग्रह में पर्याप्त भार ना हो तो उसका गुरुत्व बल बहुत कमजोर होगा, जिससे वह वायुमंडल को कायम नहीं रख सकेगा. ऐसे में वह छोटा होकर सुपरअर्थ के साइज का हो जाएगा. 

क्यों खत्म हो रहा वायुमंडल?
इसके पीछे दो प्रमुख कारक हैं, पहला ग्रह के क्रोड़ द्वारा भार हीनता की प्रक्रिया होना है, जिसमें ग्रह का गर्म क्रोड़ से होने वाला विकिरण वायुमंडल को बाहर धकेलता है. दूसरा कारक फोटोइवेपोरेशन है, जिसमें तारे के तीव्र विकिरण की वजह से ग्रह के वायुमंडल की गैसें आवेशित होकर ग्रह से बाहर निकल जाती हैं.

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