NCRB Custodial Rape Cases: हिरासत में हुए रेप के मामलों को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं उन्होंने चौंका दिया है. 5 साल में ऐसे 270 से ज्यादा केस सामने आने की बात कही गई है.
Trending Photos
NCRB Data Crime: एनसीआरबी (NCRB) की रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा किया गया है. दरअसल, NCRB आंकड़ों के मुताबिक, 2017 से 2022 तक हिरासत में रेप के 270 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं. महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इन मामलों के लिए कानून लागू करने वाली संस्थाओं में संवेदनशीलता और जवाबदेही की कमी को जिम्मेदार बताया है. आइए जानते हैं कि किन लोगों के इस तरह के क्राइम में शामिल होने के बारे में बताया गया है. इतना ही नहीं कई एनजीओ ने हिरासत की व्यवस्था पर ही सवाल उठा दिए हैं.
कौन-कौन इस संगीन अपराध में शामिल?
एनसीआरबी के डेटा के मुताबिक, इस क्राइम में पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी, आर्म्ड फोर्सेस के जवान और जेलों, सुधार गृहों, डिंटेंशन साइट और अस्पतालों में काम करने वाला स्टाफ शामिल है. आंकड़ों के मुबातिक, 2017 में 89 में केस दर्ज किए गए थे, जो 2018 में घटकर 60, साल 2019 में 47, साल 2020 में 29, साल 2021 में 26 और साल 2022 में 24 रह गए, जिससे यह पता चलता है कि पिछले कुछ सालों में ऐसे मामलों में धीरे-धीरे कमी आई है.
हिरासत में रेप पर लगती है कौन सी धारा?
जान लें कि हिरासत में रेप के मामले भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(2) के तहत दर्ज किए जाते हैं. साल 2017 के बाद से हिरासत में रेप के दर्ज किए गए 275 मामलों में से, सबसे ज्यादा 92 केस उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. इसके बाद 43 केस के साथ मध्य प्रदेश दूसरे नंबर पर है.
हिरासत पर क्यों आपत्ति?
‘पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया’ की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर पूनम मुत्तरेजा ने कहा कि हिरासत का प्रावधान दुर्व्यवहार के लिए ऐसे मौके पैदा करता है, जहां सरकारी कर्मचारी अक्सर अपनी पावर का इस्तेमाल गलत कामों के लिए लिए करते हैं.
पावर का हो रहा गलत इस्तेमाल
उन्होंने आगे कहा कि ऐसे कई उदाहरण हैं जहां महिलाओं को उनके संरक्षण या उनकी कमजोर स्थिति, जैसे तस्करी या घरेलू हिंसा, की वजह से हिरासत में लिया गया और फिर उनके साथ रेप किया. ये प्रशासनिक संरक्षण की आड़ में पावर के गलत इस्तेमाल को दिखाता है.
(इनपुट- भाषा)