Indian Origin Conviction: 'वो आदतन अपराधी है', 18 साल की हिरासत ही उसके गुनाह की है सजा
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Indian Origin Conviction: 'वो आदतन अपराधी है', 18 साल की हिरासत ही उसके गुनाह की है सजा

Sigapore Court Judgement:  सिंगापुर की एक अदालत ने भारतीय मूल के शख्स को 18 साल तक प्रिवेंटिव डिटेंशन में रखने का आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि कोई शख्स जो पहले से बलात्कार के जुर्म में सजा काट चुका हो वो दोबारा वही अपराध कैसे कर सकता है.

 Indian Origin Conviction:  'वो आदतन अपराधी है', 18 साल की हिरासत ही उसके गुनाह की है सजा

Mark Kalaivanan Tamilarasan Conviction: सिंगापुर में भारतीय मूल के एक शख्स मॉर्क कलाइवनन तमिलरासन को अदालत ने 18 साल की  प्रिवेंटिव हिरासत और 12 कोड़े मारने की सजा सुनाई है. सजा पाने वाले शख्स पर आरोप है कि उसने अपनी मेड का बार बार यौन शोषण किया था. बता दें कि  सिंगापुर में प्रिवेंटिव हिरासत के जरिए सजायाफ्ता शख्स से आम लोगों को सुरक्षित करना होता है. 44 साल के मॉर्क कलाइवनन तमिलरासन ने अपनी सजा के खिलाफ चुनौती दी थी. बता दें कि यौन छेड़छाड़ के चार मामलों में उसे सजा सुनाई गई थी. तनिलरासन के खिलाफ अभियोजन पक्ष ने 20 साल प्रिवेंटिव डिटेंशन की मांग की थी लेकिन उसके चाचा की अपील पर अदालत ने 2 साल की सजा कम कर दी.

बार बार गुनाह करने वाला शख्स

अदालत ने माना कि तमिलरासन बार बार गुनाह करने वाला शख्स है. 2017 के एक मामले का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि उसने पहले घर के दरवाजे को तोड़ा और बाद कपड़ों को आयरन कर रही मेड के साथ यौन हिंसा की और यह तब हुआ जब रेप के ही चार्ज में वो 16 साल जेल की सजा काट कर आया था. सरकारी पक्ष ने अधिकतम 20 साल के प्रिवेंटिव डिटेंशन की मांग की थी. हालांकि तमिलरासन के चाचा ने अदालत से भावुक अपील करते हुए अपने भतीजे की पहचान को सार्वजनिक नहीं करने की अपील की थी. यही नहीं उन्होंने अर्जी में जिक्र किया कि जेल में उसको देखा था और उसके चेहरे पर पछतावे का भाव था. उनकी इस अपील पर जज पैंग खैंग चाउ ने फैसला सुनाने से पहले प्रिवेंटिव डिटेंशन की अवधि पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए थे.

दलील नहीं आई काम

दूसरी रिपोर्ट में भी अभियोजन पक्ष ने 20 साल प्रिवेंटिव डिटेंशन की मांग की थी. इसके अलावा बचाव पक्ष की उस दलील पर भी आपत्ति उठाई जिसमें सजा देते वक्त 6 साल की रिमांड अवधि पर भी विचार करने के लिए कहा गया था. अभियोजन पक्ष ने कहा था कि प्रिवेंटिव डिटेंशन, रिमांड से अलग है. अभियोजन के तर्क के बाद बचाव पक्ष को बोलने के लिए मौका दिया गया था.  सोमवार को उसके वकील की तरफ से दलीलें पेश की गई थीं.

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