Govinda Naam Mera Review: नाम बड़े और दर्शन छोटे, फिल्म देखकर अंत में इतना ही रहता है याद
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Govinda Naam Mera Review: नाम बड़े और दर्शन छोटे, फिल्म देखकर अंत में इतना ही रहता है याद

Vickey Kaushal Movie: फिल्म में हीरो का नाम है, गोविंदा वाघमारे. वाघमारे का मतलब होता है, जिसने बाघ का शिकार किया. परंतु यहां हीरो ने कभी चूहा भी नहीं मारा. यही हाल इस फिल्म का है. गोविंदा का नाम इस्तेमाल करने वाली इस फिल्म में कहीं उनके सिनेमा जैसे कॉमिक मोमेंट नजर नहीं आते.

 

Govinda Naam Mera Review: नाम बड़े और दर्शन छोटे, फिल्म देखकर अंत में इतना ही रहता है याद

Kiara Advani And Bhumi Pednekar Film: गोविंद ए वाघमारे या गोविंदा वाघमारे! निर्देशक शशांक खेतान फिल्म में गुदगुदाने की पहली कोशिश इसी बात से करते हैं कि हीरो के नाम में कनफ्यूजन है। असल में बर्थ सर्टिफिकेट पर गोविंदा का ए एक स्पेस के बाद लिखा गया और हीरो गोविंदा की जगह ‘गोविंद ए’ बन गया. वाघमारे का अर्थ होता है, टाइगर हंटर. जबकि हीरो यहां इतना कमजोर दिल है कि आज तक उसने चूहा नहीं मारा. इस पर उसकी शादी इतनी धूमधाम से हुई कि ससुर ने दो करोड़ रुपया खर्च किया. गोविंदा की बीवी अब उससे तलाक चाहती है और साथ में दो करोड़ रुपये. गोविंदा के पास पैसा है नहीं. हो भी कैसे, वह फिल्म इंडस्ट्री में स्ट्रगलिंग कोरियोग्राफर है. एक लड़की से प्यार भी करता है. लड़की चाहती है शादी करे, लेकिन बीवी को तलाक दिए बिना गोविंदा कैसे दूसरी बार सात फेरे लेॽ इन सारी बातों के बीच है एक बंगला, जिसे लेकर केस चल रहा है. गोविंदा का एक सौतेला भाई है. गोविंदा की मां फिल्मों में बैकग्राउंड में खड़ी होने वाली डांसर थी और पिता एक्शन-फाइट मास्टर. इन तमाम बातों के बीच फिल्म गोविंदा नाम मेरा कॉमेडी और थ्रिल के बीच झूलती है.

गोविंदा नहीं आला रे
हिंदी सिनेमा में 1990 का दौर था, जिसमें गोविंदा नाम के साथ होठों पर मुस्कान आ जाती थी. इस नाम पर लोगों को भरोसा था और वह गोविंदा की फिल्में देखने थियेटरों में जाया करते थे. परंतु आज 2022 खत्म होने को है. गोविंदा का दौर बीत चुका है. गुरुदत्त जैसे फिल्ममेकर को श्रद्धांजलि देने वाली फिल्म चुप जब दर्शकों का दिल नहीं लूट सकी तो गोविंदा के नाम पर आज कोई फिल्म देखेगा, इसकी गारंटी कैसे हो सकती हैॽ वास्तव में शशांक खेतान गोविंदा के अंदाज वाली फिल्म का फ्रेम खींचने की कोशिश करते हैं और विक्की कौशल भी कुछ कुछ वैसा कॉमिक बनने का प्रयास करते हैं. मगर दोनों ही बातें नहीं हो पातीं. कियारा आडवाणी भी रवीना टंडन नहीं बन पातीं और भूमि पेडनेकर कहीं से करिश्मा कपूर के बराबर नहीं दिखतीं. अमय वाघ कादर खान वाली जगह नहीं ले पाते. कुल जमा डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर रिलीज हुई गोविंदा नाम मेरा खास असर नहीं छोड़ पाती.

लंबी छलांग में नाकाम
फिल्म न तो कॉमेडी है और न थ्रिलर. निर्देशक ने दोनों को थोड़ा-थोड़ा मिलाकर फिल्म बनाने की कोशिश की, लेकिन स्क्रिप्ट औंधे मुंह गिरती है. बात कॉमेडी से शुरू होती है और थ्रिल तक पहुंचती है. यह थ्रिल मर्डर मिस्ट्री का होता है. तलाक और पैसों की बात को लेकर जब गोविंदा (विक्की कौशल) और गौरी (भूमि पेडनेकर) के बीच खींचतान चलती है, तभी गौरी का मर्डर हो जाता है. गोविंदा और सुकु (कियारा आडवाणी) मिलकर लाश को ठिकाने लगा देते हैं, परंतु मौका आने पर पता चलता है कि लाश गायब हो गई! दो सवाल एक साथ खड़े होते हैं. किसने और क्यों गौरी का मर्डर किया तथा लाश कहां गायब हो गईॽ वास्तव में फिल्म के बीच में आने वाला यह एक छोटा-सा हिस्सा ही थोड़ा रोचक मालूम पड़ता है. लगता है कि इस जगह से फिल्म शानदार छलांग लगाएगी, मगर यह नहीं होता. निर्देशक जिन सवालों को खड़ा करते हैं, खूबसूरती से उनका जवाब देने में बुरी तरह नाकाम होते हैं. साथ ही वह थ्रिल से पैदा होने वाले सवालों के जवाब आखिरी में बोल-बोल कर बताते हैं कि क्या हुआ, कैसे हुआ. फिल्म का मजा खत्म हो जाता है.

और अंत में कहावत
गोविंदा नाम मेरा की कहानी सपाट है तो पटकथा उससे ज्यादा सतही. इनमें संवादों की तो गिनती ही नहीं. विक्की कौशल कई दृश्यों में ऐसे एक्टिंग करते नजर आते हैं, जैसे रंगमंच पर हैं. भूमि पेडनेकर रोल में फिट नहीं होतीं, जबकि कियारा एक्टिंग की जगह ओवर एक्टिंग करती नजर आती हैं. सयाजी शिंदे का किरदार रोचक है और वह जब स्क्रीन पर आते हैं, तो कहानी में कुछ एनर्जी आती हैं. मगर उनका रोल बहुत छोटा और बिखरा है. फिल्म में दो-तीन गाने हैं, लेकिन वे खास असर नहीं छोड़ते. अंततः गोविंदा नाम मेरा देख कर आपको यही कहावत याद आती है, नाम बड़े और दर्शन छोटे.

निर्देशकः शशांक खेतान
सितारेः विक्की कौशल, कियारा आडवाणी, भूमि पेडनेकर, रेणुका शहाणे, सयाजी शिंदे, अमय वाघ
रेटिंग **

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