Selfiee Review: इस फिल्म में दिखा बायकॉट का डर, औसत से आगे नहीं बढ़ा बॉलीवुड मगर
Advertisement

Selfiee Review: इस फिल्म में दिखा बायकॉट का डर, औसत से आगे नहीं बढ़ा बॉलीवुड मगर

Aksahy Kumar Film: अक्षय कुमार अपने फैन्स को जोड़े रखने की कोशिश में हैं. हालांकि वह रिस्क तो नहीं ले रहे परंतु ऐसा लगता है कि सेल्फी में कुछ सफाई पेश कर रहे हैं. वे बताना चाह रहे हैं कि सितारे दर्शकों और फैन्स की वजह से हैं, मगर उनकी भी एक पर्सनल लाइफ होती है.

 

Selfiee Review: इस फिल्म में दिखा बायकॉट का डर, औसत से आगे नहीं बढ़ा बॉलीवुड मगर

Emraan Hashmi Film: बायकॉट बॉलीवुड इंडस्ट्री को डराने लगा है. यह डर फिल्मों में दिख रहा है. एक के बाद एक फिल्में पिट रही हैं, तो सितारे दर्शकों का दिल जीतने की नए सिरे से कोशिश कर रहे हैं. वह अपने अहंकार के सिंहासन से नीचे उतरकर खुद को विनम्र बता रहे हैं. फैन्स और दर्शकों से कह रहे हैं कि आप हैं तो हम हैं. उनसे सवाल करने वाला, पोल-खोलने वाला मीडिया उनकी नजरों में अब असली खलनायक है. अक्षय कुमार और इमरान हाशमी की सेल्फी में ये बातें आप साफ देख सकते हैं. फिल्म शुरू होने से पहले अक्षय कुमार हाथ जोड़े पर्दे पर आते हैं और दर्शकों से कहते हैं कि हमें तो आपने बनाया है, आपकी वजह से हम हैं. सेल्फी उन सारे फैन्स को समर्पित है, जो दुनिया भर में फैले हैं. अपना प्यार हमेशा बनाए रखिए. अक्षय कुमार की ऐसी विनम्रता आपने पहले नहीं देखी होगी. हालांकि पर्दे की यह विनम्रता भी ओढ़ी हुई ही मालूम पड़ती है.

फैन बना दुश्मन
यह ऐसा विरोधाभासी दौर है, जिसमें सितारों को फॉलो करने वाले ही जब-तब उनकी क्लास लेने लगते हैं. अतः समझ नहीं आता कि फॉलोअर सचमुच फैन है या फिर क्रिटिक. दरअसल, फॉलो करने वाला समय के हिसाब से बदलता जाता है क्योंकि चीजें इस दौर में बहुत अस्थिर हैं. फैन ही सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है. अक्सर होता है कि जिससे सबसे ज्यादा प्यार होता है, वक्त या हालात बदलने पर उससे ही सबसे ज्यादा नफरत हो जाती है. 2016 में शाहरुख खान की फिल्म फैन में भी यही बात थी. बस, फैन की दुश्मनी का अंदाज अलग है. बॉलीवुड स्टार विजय कुमार (अक्षय कुमार) का सबसे बड़ा फैन ओम प्रकाश अग्रवाल (इमरान हाशमी) भोपाल, मध्यप्रदेश में रहता है. अग्रवाल और उसका किशोरवय की तरफ बढ़ता बेटा विजय कुमार को भगवान की तरह मानते हैं. एक दिन पता चलता है कि विजय कुमार की फिल्म भोपाल में शूट होने जा रही है.

चाहिए ड्राइविंग लाइसेंस
कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब विजय कुमार को कार ड्राइविंग के सीन शूट करने हैं और जिस मिलिट्री इलाके में शूट होना है, वहां एक्टर का ड्राइविंग लाइसेंस जरूर चाहिए. विजय का ड्राइविंग लाइससेंस खो चुका है. मुंबई आरटीओ में आग लगने से वहां सारे कागजात जल गए. अतः इमरजेंसी में उसे भोपाल में ही ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना पड़ेगा. यह संयोग है कि विजय का सबसे बड़ा फैन ओम प्रकाश अग्रवाल आरटीओ इंस्पेक्टर है. वही ड्राइविंग लाइसेंस बनाता है. अग्रवाल खुश है कि वह अपने भगवान के काम आ रहा है. वह सिर्फ एक इच्छा रखता है कि दफ्तर में आए विजय कुमार के साथ उसकी तथा उसके बेटे की एक सेल्फी हो जाए. तभी ऐसी स्थितियां बनती हैं कि विजय कुमार सबके सामने अग्रवाल को जलील करता है. तब अग्रवाल भी विजय कुमार को साफ कह देता है कि अब वह अपना ड्राइविंग तभी ले पाएगा, जब आम आदमी तरह पूरी प्रक्रिया से गुजर कर आएगा.

कौन बनेगा रोडपति
सेल्फी जल्द ही एक फिल्मी सितारे और उसके सबसे बड़े फैन की टक्कर में बदल जाती है. जिसका कुछ हिस्सा रोचक है. कुछ बोर करता है. एक मोड़ पर यहां फिल्म कौन बनेगा करोड़पति के रोड पर भी चल देती. कई बार फिर बातें दोहराई जाने लगती हैं. सेल्फी का अंत पूरी तरह से फिल्मी हो जाता है. हीरो आखिर में हीरो बना रहता है और फैन अंततः फैन ही रह जाता है. वह हीरो नहीं पता. सेल्फी 2019 की मलयालय फिल्म ड्राइविंग लाइसेंस का हिंदी रीमेक है. रीमेक में हल्के-फुल्के बदलाव किए गए हैं. खास तौर पर अक्षय और उनकी पत्नी बनी डायना पेंटी का ट्रेक. फिल्म एक बॉलीवुड स्टार के जीवन को बहुत विश्वसनीय ढंग से नहीं दिखाती. यहां आप वही सब देखते हैं, जो इन सितारों के बारे में जानते हैं. इस लिहाज से अक्षय का किरदार पुराने ढर्रे पर है. इमरान हाशमी ने जरूर कुछ दृश्यों में असर छोड़ा है, मगर सेल्फी अक्षय की तरफ झुकी नजर आती है.

गायब है अच्छा म्यूजिक
अक्षय की फैन फॉलोइंग बीते कुछ सालों में सिनेमघरों में नहीं उमड़ती है. इमरान हाशमी की स्थिति भी ऐसी ही है. सेल्फी बॉलीवुड का औसत सिनेमा है. अगर आपने ओरीजनल फिल्म नहीं देखी तो सेल्फी को एक बार देखा जा सकता है. दोनों लीड एक्टरों का काम ठीक है. हीरोइनों के हिस्से मुंह दिखाई से ज्यादा कुछ नहीं आया. विजय कुमार से जलने वाले को-स्टार के रूप में अभिमन्यु सिंह और पार्षद के रूप में मेघना मलिक के किरदार रोचक हैं, परंतु वह ज्यादातर हाशिये पर ही रह जाते हैं. फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा इसका म्यूजिक है. यह इन दिनों हर बॉलीवुड फिल्म में देखा सकता है. अक्षय फिल्म स्टार बने हैं और सेल्फी की कहानी फिल्म के अंदर एक अन्य फिल्म की शूटिंग से शुरू होती है. यह गाना किसी लिहाज से आकर्षित नहीं करता. न देखने में और न सुनने में. मृणाल ठाकुर गाने के गिने-चुने दृश्यों में हैं मगर उनका होना, न होना बराबर है. अच्छे गाने फिल्म के लिए दर्शक जुटाते हैं. सेल्फी को इस कमजोरी का खामियाजा उठाना पड़ेगा क्योंकि इस कहानी को अच्छे म्यूजिक का फायदा मिल सकता था. फिलहाल अगर आपने बहुत दिनों से फिल्म नहीं देखी, बहुत दिनों से इमरान हाशमी को पर्दे पर नहीं देखा, तो गाड़ी ड्राइव करके सिनेमाघरों तक जा सकते हैं.

निर्देशकः राज मेहता
सितारे : अक्षय कुमार, इमरान हाशमी, नुसरत भरूचा, डायना पेंटी, अभिमन्यु सिंह, मेघना मलिक
रेटिंग**1/2

हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे

Trending news