महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में भाजपा का क्या दांव पर है?
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महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में भाजपा का क्या दांव पर है?

BJP: हरियाणा में जीत और जम्मू-कश्मीर में सराहनीय प्रदर्शन के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए एक और चुनौती सामने आ गई है और उसका भविष्य महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे.

महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में भाजपा का क्या दांव पर है?

BJP Stake in Maharashtra and Jharkhand: लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन और पार्टी के पतन की धारणा के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के लिए हरियाणा में जीत और जम्मू-कश्मीर में सराहनीय प्रदर्शन ने राहत दी. लेकिन, अब बीजेपी के लिए एक और चुनौती सामने आ गई है और उसका भविष्य महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे तय करेंगे. बता दें कि महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव में आज (23 नवंबर) उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा. काउंटिंग शुरु होने के कुछ ही घंटों बाद ये पता चल जाएगा कि दोनों राज्यों में किसकी दावेदारी भारी है.

दांव पर बीजेपी का भविष्य?

अगर एनडीए दोनों राज्यों में जीत हासिल करती है या फिर सिर्फ महाराष्ट्र (महायुति) में जीतती है तो भारतीय जनता पार्टी (BJP) को एक नई ताकत मिलेगी. इसके साथ ही लोकसभा चुनाव के नतीजों को पिछले 10 सालों में बीजेपी के विजयी अभियान में एक अपवाद के तौर पर देखा जाएगा. साथ ही, अगर पार्टी की जीत की संभावना बनी रहती है तो सहयोगी दलों के साथ उसका समन्वय बेहतर होगा. क्योंकि, गठबंधन का मूल तर्क ऐसी जगहों पर सरकार बनाने की बेहतर संभावना रखना है, जहां कोई पार्टी अकेले नहीं जीत सकती.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नाम न बताने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने कहा, 'जहां तक ​​धारणा की लड़ाई का सवाल है, अगर हम यहां हरियाणा विधानसभा चुनाव जैसा प्रदर्शन दोहराते हैं तो राजनीति वहीं पहुंच जाएगी, जहां लोकसभा चुनाव से पहले थी.'

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महाराष्ट्र-झारखंड के चुनाव में भाजपा का क्या दांव पर?

हालांकि, महाराष्ट्र और झारखंड दोनों राज्यों में अगर बीजेपी हार जाती है या सिर्फ महाराष्ट्र में हार जाती है तो यह एक ऐसा झटका होगा, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. पार्टी की हार से यह धारणा मजबूत होगी कि लोकसभा के नतीजे वास्तव में एक ऐसे रुझान की शुरुआत थे जो मोटे तौर पर अब भी जारी हैं. महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मराठाओं में रोष, शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मतदाताओं में उद्धव ठाकरे के प्रति सहानुभूति और शरद पवार के प्रति वफादारी के संकेत को लोकसभा चुनावों में महायुति की सीटों की संख्या में गिरावट का कारण माना गया.

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार (25 नवंबर) से हो रही है, जिसके काफी तीखा होने की उम्मीद है. अगर बीजेपी महाराष्ट्र और झारखंड में जीत दर्ज करती है तो भाजपा और उसके सहयोगी दल संसद के शीतकालीन सत्र में अधिक आत्मविश्वास के साथ पहुंचेंगे. बता दें कि विपक्ष अमेरिका में बिजनेसमैन गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोप लगाने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.

महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का बड़ा दांव

एकनाथ शिंदे सरकार ने सत्तारूढ़ गठबंधन की चुनावी संभावनाओं को बढ़ाने के लिए महिलाओं के लिए माझी लड़की बहिन योजना (Majhi Ladki Bahin Yojana) शुरू की. इस योजना के तहत 18 से 60 वर्ष की आयु की उन महिलाओं के खातों में हर महीने 1500 रुपये भेजे जाते हैं, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है. महायुति ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में लौटती है तो इस राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये करेगी. देखने वाली बात यह होगी कि क्या यह कल्याणकारी योजना और महिला मतदाताओं का एक निर्वाचन क्षेत्र पार्टी को जीत दिलाने में मदद करता है.

भाजपा ने जातिगत विभाजन के पार हिंदू एकता का मौन संदेश देने के प्रयास में 'एक हैं तो सेफ हैं' और 'बंटेंगे तो कटेंगे' जैसे नारे भी लगाए, ताकि विपक्ष के इस आरोप का जवाब दिया जा सके कि वह आरक्षण खत्म करना चाहती है. नतीजों से यह स्पष्ट हो जाएगा कि मतदाताओं ने इस संदेश को किस तरह लिया.

बीजेपी के लिए झारखंड क्यों महत्वपूर्ण है?

महाराष्ट्र से छोटा होने के बावजूद झारखंड कई कारणों से भाजपा (BJP) के लिए महत्वपूर्ण है. इस साल लोकसभा चुनावों में झारखंड में बीजेपी ने विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन इसने सभी पांच आदिवासी सीटें खो दीं. इसलिए, पार्टी के लिए राज्य के आदिवासी इलाकों के बाहर अपने गढ़ों को बनाए रखना और आदिवासी सीटों पर अच्छा प्रदर्शन करना महत्वपूर्ण है, ताकि यह धारणा बदल सके कि उसने आदिवासी वोट खो दिए हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कुछ महीनों के लिए जेल भेज दिया गया था, हालांकि अब वो जमानत पर बाहर हैं. इस बात की चर्चा थी कि उन्हें इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वे आदिवासी समुदाय से हैं. इससे भाजपा को वह चर्चा नहीं मिल पाई जो उसे तब मिली थी जब उसने आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू को भारत का राष्ट्रपति बनाया था.

भाजपा आदिवासी नेता चंपई सोरेन को अपने साथ जोड़कर इस धारणा को खत्म करने की कोशिश कर रही है कि वह आदिवासियों के खिलाफ काम करती है. हेमंत के जेल में रहने के दौरान चंपई सोरेन अस्थायी तौर पर सीएम बने थे. बीजेपी ने तब एक अभियान चलाया कि जेएमएम सरकार ने बांग्लादेश से आए 'अवैध प्रवासियों' को राज्य के आदिवासी बहुल क्षेत्र संथाल परगना में बसने की अनुमति दी और उन्हें मतदाता बनने के लिए दस्तावेज दिए. पार्टी ने आरोप लगाया कि ये 'घुसपैठिए' आदिवासी लड़कियों से शादी कर रहे हैं और आदिवासियों की जमीन हड़प रहे हैं. पार्टी ने इसे संथाल परगना में आदिवासी आबादी में कमी से जोड़ा.

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