UP में थर्ड फ्रंट कितना कारगर.. पूर्वांचल में ओवैसी किसका वोट काटेंगे?
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UP में थर्ड फ्रंट कितना कारगर.. पूर्वांचल में ओवैसी किसका वोट काटेंगे?

Third Front: ओवैसी और पल्लवी पटेल के गठबंधन करने के बाद यूपी में तीसरा मोर्चा बन गया है, इस गठबंधन का असर पूर्वांचल की सीटों पर पड़ेगा. किन-किन सीटों पर PDM गठबंधन का असर होगा, किसको नुकसान होगा. इसको आंकड़ों से समझने की जरूरत है.

UP में थर्ड फ्रंट कितना कारगर.. पूर्वांचल में ओवैसी किसका वोट काटेंगे?

Loksabha Chunav: आज़मगढ़ से समाजवादी पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव ने यूपी में माफिया राज के मुख्तार की मज़ार पर अकीदत के फूल चढ़ाए. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव ने सिर्फ मुख्तार अंसारी की मज़ार पर फूल ही नहीं चढ़ाए बल्कि मुख्तार के परिवार से मिल कर शोक भी जताया. हालांकि मुख्तार की मौत के दो दिन बाद समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के गाज़ीपुर पहुंचने पर AIMIM ने इसे मुस्लिम वोट पाने की सियासी साज़िश बताया. 

जबकि धर्मेंद्र यादव से पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी रविवार रात को गाज़ीपुर पहुंचे थे. ओवैसी ने मुख्तार के घरवालों से मिलकर दुख तो जताया ही.जेल में उसकी अचानक हुई मौत पर सवाल भी उठाया. खास बात ये है कि कल ही यूपी में तीसरा मोर्चा बना है. अपना दल, कमेरावादी की नेता और समाजवादी पार्टी से विधायक रही पल्लवी पटेल ने AIMIM के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी के साथ मिलकर पीडीएम न्याय मोर्चा खड़ा किया है. जिसमें यूपी के कुछ छोटे दल भी साथ हैं.

ओवैसी और पल्लवी पटेल की PDM को समाजवादी पार्टी के PDA की काट माना जा रहा है. अखिलेश के PDA समीकरण का मतलब है पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक. जबकि ओवैसी और पल्लवी पटेल के गठबंधन PDM का फोकस भी पिछड़ा, दलित और मुसलमान पर है. यानी नाम में भले ही एक अक्षर का अंतर है. लेकिन मतलब और मकसद दोनों का एक ही है. दलितों के साथ-साथ अल्पसंख्यक यानी मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करना. 

पूर्वांचल की किन सीटों पर असर..
इतना ज़रूर है कि लोकसभा चुनाव से पहले यूपी में इस तीसरे मोर्चे के खुल जाने से पूर्वांचल के उन सीटों पर असर तो पड़ेगा, जहां मुस्लिम आबादी काफी है.और माना जा रहा है कि इसका सबसे ज़्यादा नुकसान I.N.D.I.A गठबंधन को होने वाला है. क्योंकि PDM गठबंधन की सियासी पार्टियां जिस पिछड़ा, दलित और मुस्लिम की बात कर रहे हैं. उस पर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव लंबे समय से काम कर रहे हैं.  

वहीं बीजेपी भी मुस्लिम बहुल सीटों के लिए खास रणनीति के साथ उतर रही है.दरअसल  पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मुस्लिम समाज का 10 प्रतिशत वोट हासिल हुआ था. इस बार बीजेपी ने मुस्लिम वोट को बढ़ाकर 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य बनाया है खासकर पसमांदा मुसलमानों को भी बीजेपी से जोड़ा जा रहा है

हालांकि बीजेपी ने इस बार भी किसी मुसलमान को लोकसभा का टिकट नहीं दिया है.जबकि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने सबसे ज़्यादा मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं. देखना होगा कि कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की इस गुणा-गणित से उनके खाते में कितनी सीटें जुड़ती है और हैदराबाद के भाईजान.यूपी के मुसलमान को साधने में कितना कामयाब हो पाते हैं.

पूर्वांचल में कहां मुस्लिम असरदार
9 लोकसभा सीट

बहराइच           BJP
  34%

श्रावस्ती             BSP
  31% 

डुमरियागंज        BJP     
   26%

संतकबीरनगर      BJP 
   23%

कैसरगंज         BJP
20%

अमेठी             BJP
20%

घोसी(मऊ)        BSP
19%

कुशीनगर           BJP
17%

आजमगढ़          SP         
16%

कहां-कहां कुर्मी असरदार  
मिर्जापुर        अपना दल(S)                         
प्रतापगढ़         BJP                            
अंबेडकरनगर    BSP                       
कौशांबी          BJP                               
बहराइच          BJP                              
श्रावस्ती          BSP                          
बाराबंकी          BJP
सोनभद्र          अपना दल(S)    
फतेहपुर           BJP
एटा               BJP
बरेली              BJP
लखीमपुर खीरी  BJP
जालौन           BJP

 
उत्तर प्रदेश में जो पूर्वांचल का हिस्सा है उसमें 28 जिलों की कुल 30 लोकसभा सीटें आती हैं.
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में वहां का सियासी हाल कैसा रहा.

लोकसभा सीट- 30
2014                               2019            

27                BJP                 22
02             अपना दल                       02
00                BSP                 05
01                SP                   01

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