Congress Crisis: ये अंतरात्मा की आवाज है! लोकसभा से पहले राज्यसभा चुनाव ने हिलाया कांग्रेस का कॉन्फिडेंस
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Congress Crisis: ये अंतरात्मा की आवाज है! लोकसभा से पहले राज्यसभा चुनाव ने हिलाया कांग्रेस का कॉन्फिडेंस

Lok Sabha Chunav 2024: यूपी से हिमाचल तक जिस तरह क्रॉस वोटिंग हुई है, उसने लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी खेमे में बेचैनी बढ़ा दी है. सत्ता के करीब जाने की चाहत में कुछ विधायकों की चुनाव के समय अतंरात्मा जाग गई. अगर ऐसा ही रहा तो लोकसभा चुनाव में INDIA गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. 

Congress Crisis: ये अंतरात्मा की आवाज है! लोकसभा से पहले राज्यसभा चुनाव ने हिलाया कांग्रेस का कॉन्फिडेंस

NDA vs INDIA Alliance: जब से बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए से मुकाबले के लिए कांग्रेस ने INDIA गठबंधन खड़ा किया है, उसे एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. पहले नीतीश कुमार जैसे मजबूत सहयोगी टूटकर भाजपा के साथ खड़े हो गए, गठबंधन में तनातनी की खबरें आती रहीं. ऐसे में पिछला हफ्ता उसके लिए बेहतर रहा. कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी के साथ कई राज्यों में और यूपी में सपा के साथ लोकसभा चुनाव में सीटों को लेकर समझौता किया. महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) के साथ भी डील की घोषणा होनी बाकी है. उत्साहित कांग्रेस बंगाल में ममता बनर्जी को भी मनाने की कोशिश कर ही रही थी कि राज्यसभा चुनाव ने उसके कॉन्फिडेंस को एक बार फिर हिला दिया है. 

जी हां, मंगलवार को राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान शुरू होने से पहले तक कांग्रेस के लिए 'ऑल इज वेल' वाली स्थिति थी लेकिन नतीजे आने लगे तो बेचैनी बढ़ गई. हिमाचल प्रदेश में छह कांग्रेस विधायकों ने भाजपा के लिए वोट कर दिया. पार्टी राज्यसभा चुनाव तो हारी ही, अब सरकार भी गिर सकती है. उधर, यूपी में INDIA गठबंधन के मजबूत सहयोगी सपा के नेताओं ने भी क्रॉस वोटिंग कर भाजपा को एक्स्ट्रा सीट गिफ्ट में दे दी.

भाजपा ने जीता एक्स्ट्रा

इस तरह से देखें तो राज्यों में एक्स्ट्रा सीट पर भाजपा का दांव सफल रहा. लोकसभा चुनाव से पहले उसने अपनी बढ़त दिखाने की कोशिश की है. दूसरी तरफ यह विपक्षी दलों के भीतर की हलचल या कहें कि कलह को उजागर करता है. यह सवाल भी उठने लगे हैं कि जब पार्टी अंदरूनी रूप से मजबूत नहीं है तो वह भाजपा से चुनाव में कैसे मुकाबला करेगी? 

वैसे, क्रॉस वोटिंग करने वाले अंतरात्मा की आवाज सुनने का तर्क दे रहे हैं लेकिन जनता जानती है कि हर बार इसकी वजह क्या होती है. 

कांग्रेस का जोश यहां हाई

हां, कर्नाटक से कांग्रेस के लिए अच्छी खबर आई. उसने यहां राज्यसभा की तीन सीटें जीतीं. इसमें दो स्वतंत्र विधायकों, दो स्थानीय दलों के नेताओं और एक भाजपा विधायक ने क्रॉस वोटिंग की. यह भाजपा के लिए भी चौंकाने वाला था. अब भगवा दल इस विधायक के खिलाफ एक्शन की तैयारी कर रहा है. 

मुश्किल भी जान लीजिए

राज्यसभा चुनावों से एक तथ्य उभरकर सामने आया है कि भाजपा मजबूत स्थिति में है और वह INDIA गठबंधन को लगातार झटके देकर कमजोर कर रही है. जिस तरह से विपक्षी दलों और नेताओं को अपने साथ खींचा जा रहा है वह भाजपा के '400 पार' वाले लक्ष्य की राह आसान करेगा. इसका बैड इफेक्ट कांग्रेस के लिए यह होगा कि बचे हुए राज्यों में सीट शेयरिंग की डील मुश्किल हो सकती है. 

कांग्रेस अपने आप में प्रेशर में है. बंगाल में उसका ममता बनर्जी के साथ गतिरोध बरकरार है. यूपी हो या हिमाचल, दो एक्स्ट्रा कैंडिडेट जितवाकर भाजपा ने अपनी ताकत का एहसास कराया है. हिमाचल में दो साल के भीतर ही सरकार हिलने लगी है. कांग्रेस को 68 में से 40 सीटें मिली थीं और भाजपा को केवल 25 सीट मिली थी. फिर भी कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी हार गए. कांग्रेस के छह विधायक और तीन निर्दलीयों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. 

चुनाव के बाद कांग्रेस के छह विधायक भाजपा शासित हरियाणा के पंचकूला चले गए हैं. इसके बाद सुक्खू सरकार पर संकट के बादल छा गए. भाजपा दावा कर रही है कि हिमाचल में कांग्रेस सरकार अल्पमत में आ गई है. अगर सरकार गिरती है तो कांग्रेस नेताओं ही नहीं कार्यकर्ताओं का कॉन्फिडेंस भी काफी कमजोर हो जाएगा. 

यूपी में अखिलेश को झटका

यहां राज्यसभा की 10 सीटें थीं. भाजपा की सात और सपा की तीन सीटें लगभग पक्की थीं. हालांकि भाजपा ने 8वां कैंडिडेट उतारा और सपा के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर उसे जितवा दिया. 

कर्नाटक में क्या हुआ?

दक्षिणी राज्य में कांग्रेस की तरफ से अजय माकन, सईद नासिर हुसैन और जीसी चंद्रशेखर जीत गए. बीजेपी अपने एक उम्मीदवार को जिताने में सफल रही. बाकी राज्यों में 41 राज्यसभा सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध जीते. इसमें कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, पूर्व कांग्रेसी अशोक चव्हाण भी शामिल हैं.

अब कांग्रेस के लिए चुनौती यह है कि उसे लोकसभा चुनाव से पहले खुद को एकजुट, गठबंधन को एकसाथ और जनता की नजरों में मजबूत स्थिति में लाकर खड़ा करना है. 

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