Haryana Exit Poll Result 2024: फ्री की गारंटी अरविंद केजरीवाल को हरियाणा में ले डूबी? AAP हुई टांय-टांय फिस्स! ये हैं 5 बड़ी वजहें
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Haryana Exit Poll Result 2024: फ्री की गारंटी अरविंद केजरीवाल को हरियाणा में ले डूबी? AAP हुई टांय-टांय फिस्स! ये हैं 5 बड़ी वजहें

 AAP faces Setback In Haryana Exit Poll 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल में जो दावे किए गए हैं. वह आप पार्टी के लिए सबसे निराशाजनक रहे हैं. पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को भी अंदाजा नहीं रहा होगा कि आम आदमी पार्टी की हालात हरियाणा में इतनी खराब होगी. अपने चुनाव प्रचार में मतदताओं को फ्री की गार‌ंटी देने वाले केजरीवाल की नैय्या हरियाणा में इतनी कैसे डूब गई. आइए जानते हैं.

Haryana Exit Poll Result 2024: फ्री की गारंटी अरविंद केजरीवाल को हरियाणा में ले डूबी? AAP हुई टांय-टांय फिस्स! ये हैं 5 बड़ी वजहें

Haryana Exit Poll Result 2024: हरियाणा में 90 विधानसभा सीटों पर शनिवार को वोटिंग के बाद एग्जिट पोल के नतीजे आए. ज्यादातर एग्जिट पोल के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में हैं, तो वहीं बीजेपी की सीटें कम होती दिख रही हैं. सबसे बड़ी चिंता आप पार्टी के लिए है. अरविंद केजरीवाल की जमानत मिलने के बाद और भी यह कयास लगाया जा रहा था कि आप पार्टी हरियाणा में बीजेपी और कांग्रेस को टक्कर देगी और चुनाव में बड़ा उलटफेर करेगी, लेकिन एग्जिट पोल के मुताबिक अरविंद केजरीवाल की अगुआई वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को हरियाणा में एक भी सीट नहीं मिलने के अनुमान हैं. जबकि अरविंद केजरीवाल ने हरियाणा के मतदाताओं को करनाल में रैली के दौरान संबोधित करते हुए फ्री में बिजली, पानी, घर, इलाल, रोजगार सब देने का वादा भी किया था और गारंटी भी ली थी, लेकिन सीट मिल रही जीरो. तो आइए समझते हैं वह 5 बड़ी वजहें जिनकी वजह से केजरीवाल की नैय्या कैसे हरियाणा में डूब गई.

  1. अति आत्मविश्वास ले डूबा: हरियाणा में आप को हमेशा लगता रहा कि उनकी राज्य में बहुत मजबूत स्थिति है, बिना जमीनी स्तर पर जनाधार समझे हुए तभी तो AAP हरियाणा अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा था कि हम राज्य में हमारे कार्यकर्ता बहुत जोश में हैं और हम 90 सीटों पर चुनाव लड़ने की ताकत रखते हैं. आम आदमी पार्टी एक मजबूत पार्टी है, आम आदमी पार्टी हरियाणा में एक मजबूत विकल्प के रूप में उभरी है. सभी 90 सीटों पर हमारी तैयारी है हमारा एक-एक कार्यकर्त्ता हर विधानसभा में मजबूती से डटा हुआ है. वहीं बीजेपी और अन्य विपक्षी दलों के नेता भी मेरे संपर्क में हैं. उनमें से जो अच्छी छवि के नेता होंगे उन्हें इस चुनाव में हम अपने साथ ले सकते हैं. यह सब बोलने में बेहतर तो रहा, वोट में तब्दील नहीं हो पाया.
  2. कांग्रेस से गठबंधन न होना: हरियाणा में आज आप को एक भी सीट नहीं मिलती दिख रही, लेकिन अगर कांग्रेस से गठबंधन होता तो शायद दिल्ली और पंजाब से सटे इलाकों में आप कुछ अच्छा कर सकती थी. पार्टी कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट हारने के बाद भी 5 से 10 सीटों की मांग पर अड़ी रही.
  3. केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का जेल होन: हरियाणा चुनाव में बहुत असर इस बात का भी रहा कि पार्टी के दो बड़े नेताओं का जेल में रहना. जब जमानत मिली तो चुनाव प्रचार में काफी दिन बचे थे. दिल्ली के नेताओं और राज्यों के नेताओं में बराबर संवाद शायद उस स्तर पर हो ही नहीं पाया, और संदीप पाठक और सुशील गुप्ता मजबूत सीटें भी नहीं खोज पाए. किस उम्‍मीदवार को कहां से लड़ाना ठीक रहेगा, यह तय करने में बहुत मुश्‍किल रही. एक तरह से पार्टी के दूसरे नंबर के नेता लोग हरियाणा में सक्रिय रहे. सुशील गुप्ता ने आनन फानन में किसी को भी टिकट दे दिए. अरविंद केजरीवाल की गैरमौजूदगी में सुनीता केजरीवाल ने चुनाव प्रचार की कमान संभाली तो लेकिन उतना असरदार दिखा नहीं.
  4. पिछले चुनाव से नहीं लिया सबक: 2019 में AAP ने जिन 46 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उन सभी पर हार गई और उसे NOTA से भी कम वोट मिले थे. लेकिन इस बार उसे कई सीटों पर लोकसभा चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन के आधार पर विधानसभा चुनाव में बेहतर नतीजे की उम्मीद थी. लेकिन इस बार एग्जिट पोल में बहुत बुरा हाल है. पिछले चुनाव से सबक लिया होता तो पहले जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करके चुनाव लड़ते तो रिजल्ट कुछ और हो सकता था.
  5. वोट कटवा पार्टी: इस बार का हरियाणा चुनाव शुरू से बीजेपी और कांग्रेस के ‌इर्द-गिर्द रहा. मतदाताओं को आप पार्टी लुभा नहीं पाई अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली और पंजाब की तरह फ्री की गांरटी देने का वादा तो किया लेकिन मतदाताओं को लुभा नहीं पाए. सबको लगता रहा कि आप इस लिए चुनाव लड़ रही कि कांग्रेस का वोट काट सके और बीजेपी को फायदा मिले. कांग्रेस भी वोट बंटवारे के डर से आप से गठबंधन नहीं किया. राज्य में ज्यादातर कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई देखी गई है. जिस तरह एग्जिट पोल में कांग्रेस आगे है, उससे तो मतदाताओं को आप सिर्फ वोट काटने वाली पार्टी लगी, न कि एक विकल्प के तौर पर. असली रिजल्ट आना बाकी है. अभी तो एग्जिट पोल में कांग्रेस की सरकार बन रही है, बाकी 8 अक्टूबर को सही परिणाम पता चलेगा.

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