IAS-IPS Village: आईएएस-आईपीएस का वो गांव जहां केवल 75 घर हैं जिनसे बने 47 अफसर
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IAS-IPS Village: आईएएस-आईपीएस का वो गांव जहां केवल 75 घर हैं जिनसे बने 47 अफसर

47 IAS IPS in Village: आजादी के पहले से ही माधोपट्टी गांव के लोगों का प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सिलसिला शुरू हो गया था.

IAS-IPS Village: आईएएस-आईपीएस का वो गांव जहां केवल 75 घर हैं जिनसे बने 47 अफसर

UPSC Exam: जौनपुर जिले के गद्दीपुर के माधोपट्टी गांव की मिट्टी प्रशासनिक अधिकारी पैदा करती है. इस गांव में महज 75 घर हैं, जिनमें से अब तक 47 आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी निकले हैं. यह सभी सीएम, पीएमओ से लेकर विदेशों तक में कार्यरत हैं. इस गांव में एक परिवार ऐसा भी है, जिसके पांच भाइयों ने आईएएस की परीक्षा पास की है. ग्रामीणों के मुताबिक 1952 में इंदू प्रकाश सिंह ने यूपीएससी में दूसरी रैंक हासिल की थी. इंदू फ्रांस समेत दुनिया के कई देशों में भारत के राजदूत रहे हैं.

फिर इनके बड़े भाई विजय ने 1955 में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल की. दूसरे भाई छत्रपाल सिंह और अजय कुमार सिंह ने 1964 में सिविल सर्विस की परीक्षा में सफलता पाई. इन तीनों के बाद छोटे भाई शशिकांत सिंह ने 1968 में सिविल सर्विस की परीक्षा पास कर ली.

इस गांव के युवाओं में प्रशासनिक अधिकारी बनने की एक जिद है. दर्जनों युवा हैं, जो आईएएस की परीक्षा में किसी कारणवश सफल नहीं हुए, लेकिन पीसीएस अधिकारी के रूप में काम कर रहे हैं. इनमें राममूर्ति सिंह, विद्याप्रकाश सिंह, प्रेमचंद्र सिंह, महेंद्र प्रताप सिंह, जय सिंह, प्रवीण सिंह एवं इनकी पत्नी पारुस सिंह, रीतू सिंह, अशोक कुमार प्रजापति, प्रकाश सिंह, संजीव सिंह, आनंद सिंह, विशाल सिंह एवं इनके भाई विकास सिंह, वेदप्रकाश सिंह, नीरज सिंह आदि नाम शामिल हैं.

आजादी के पहले से ही माधोपट्टी गांव के लोगों का प्रशासनिक सेवाओं में जाने का सिलसिला शुरू हो गया था. 1914 में मोहम्मद मुस्तफा हुसैन डिप्टी कलेक्टर बने थे जो मशहूर शायर रहे वामिक जौनपुरी के पिता थे. यह गांव देश के दूसरे गांवों के लिए रोल मॉडल है। खास बात यह है कि इस गांव में कोई भी कोचिंग इंस्टीट्यूट नहीं है.

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