Delhi NCR Pollution: जहरीली होती हवा के कारण बीमारों और बच्चों को बहुत परेशानी हो रही है. ऐसे में सरकार भी बेहद चिंतित नजर आ रही है. अगर- NCR का यही हाल रहा तो लोगों की सेहत पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा.
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Delhi NCR Poisonous Air: दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल होता जा रहा है, यहां की हवा जहरीली हो चुकी है. लोगों में अपनी और अपनों की सेहत को लेकर फिक्र बढ़ती जा रही है. सरकार ने इस दिशा में कुछ सख्त कदम उठाए हैं. सड़कों पर बीएस सिक्स वाहनों को छोड़कर डीजल गाड़ियों पर सख्ती कर दी गई है. वहीं, दिल्ली मेट्रो के फेरों में इजाफा कर दिया गया है. सरकार की ओर से किए जा रहे उपायों के साथ ही आम आदमी की जागरूकता बहुत जरूरी है.
सुबह से लेकर शाम तक धुंध छटने का नाम नहीं ले रही है. इन सबके बीच लोगों के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि हवा अचानक इतनी जहरीली क्यों हुई? यहां हम आपको इस सवाल का जवाब देंगे साथ ही ये भी जानेंगे कि इसे पता करने के उपाय और बचाव के रास्ते क्या हैं...
दिल्ली सरकार ने कक्षा 5वीं तक के स्कूल बंद रखने के आदेश दिए हैं. प्रदूषण के कारण लोगों ने मार्निंग वॉक करना बंद कर दिया है. लोगों को आंख-गले-सीने में जलन, सिरदर्द जैसे समस्याएं होने लगी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 3 नवंबर की शाम आनंद विहार की एयर क्वालिटी इंडेक्स अब तक के सर्वोच्च 865 अंकों तक पहुंच गई थी, जो बहुत बड़ी यह चेतावनी है.
प्रदुषण में लोगों का दम घुट रहा है. हर साल दिल्ली-एनसीआर के लोगों को यह परेशानी झेलनी पड़ती है. इससे बचने के सभी उपाय नाकाफी साबित होते हैं. हवा में यूं ही जहर कब तक फैलता रहेगा, इस बारे में तो किसी को भी कुछ नहीं पता, लेकिन यह तय है कि सेहत ठीक रखने को लोगों को जागरूक रहना बेहद जरूरी है.
हर घंटे हवा में बढ़ रहा जहर
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिगड़ते मौसम का आंकलन करने को एयर क्वालिटी इंडेक्स तैयार किया है. इस मानक के आधार पर दुनिया भर में तय किया जाता है कि मौसम इंसानों के अनुकूल है या प्रतिकूल? दिल्ली के संदर्भ में यह हर साल होता है. नवंबर शुरू होते ही मौसम ने अपना असर दिखाना शुरू किया और अब धीरे-धीरे हर घंटे दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो रही है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स के मानक
कैसे जहरीली हो जाती है हवा?
जब हवा में कॉर्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, अमोनिया, ग्राउंड लेवल ओजोन, लेड यानी सीसा, ऑरसेनिक निकल, बेन्जेन, बेन्जेन पायरिन, पीएम-10 और पीएम-2.5 की मात्रा अचानक बढ़ जाती है. इसमें पीएम 2.5 की भूमिका घातक है, जो विजिबिलिटी कम कर देती है. इसके बहुत छोटे-छोटे कण होते हैं, जो आसानी से हमारे खून में मिल जाते हैं. इससे अस्थमा और सांस के मरीजों की दिक्कत बढ़ जाती है.
अचानक क्यों बढ़ा प्रदूषण?
एक स्टडी के मुताबिक ठंड के मौसम में गाड़ियों से निकलने वाले धुएं के कारण पीएम-2.5 की मात्रा 25 फीसदी तक बढ़ जाती है, जबकि गर्मियों में यह 8-9 फीसदी रहती है. सड़कों पर जमी धूल भी इसमें बढ़ोत्तरी करती है. दिल्ली में रोज पांच हजार टन कूड़ा निकलता है और अलग-अलग इलाकों में डंप किया जाता है. अकस्र होने वाली आगजनी, पटाखे-पराली का भी योगदान इसमें है.