एक तरफ सरकारी स्कूलों के हाल ठीक नहीं, तो कुछ टॉप Govt Schools में दाखिला मुश्किल, लॉटरी-एंट्रेंस टेस्ट से मिलता है एडमिशन
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एक तरफ सरकारी स्कूलों के हाल ठीक नहीं, तो कुछ टॉप Govt Schools में दाखिला मुश्किल, लॉटरी-एंट्रेंस टेस्ट से मिलता है एडमिशन

Top Govt Schools: ज्यादातर पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चों को देश के टॉप सरकारी स्कूलों में दाखिला मिल जाए, क्योंकि यहां कम फीस में पढ़ाई हो जाती है. हालांकि, इन स्कूलों में दाखिले के लिए लॉटरी सिस्टम या एंट्रेंस टेस्ट के जरिए ही सीट पक्की हो पाती है. 

एक तरफ सरकारी स्कूलों के हाल ठीक नहीं, तो कुछ टॉप Govt Schools में दाखिला मुश्किल, लॉटरी-एंट्रेंस टेस्ट से मिलता है एडमिशन

Top Government Schools In India: हर माता-पिता चाहते हैं कि उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा हासिल हो, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल बने. इसके लिए वे अपने बजट से बाहर जाकर बच्चों के अच्छे प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाते हैं. निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने का चलन इसलिए बढ़ा है, क्योंकि देश के ज्यादातर सरकारी स्कूलों की हालत बेहद खराब है. ऐसे में लोगों को मजबूरी में ओवर बजट जाकर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पड़ता. वहीं, दूसरी तरफ भारत में कुछ ऐसे सरकारी स्कूल भी हैं, जहां एडमिशन के लिए मारामारी मची रहती है. देश के टॉप इन सरकारी स्कूलों में एडमिशन बहुत मुश्किल से मिलता है. एक बार इन स्कूलों में आपके बच्चों का दाखिला हो जाए तो न के बराबर फीस में उन्हें बेहतर शिक्षा मिलती है. 

केंद्रीय विद्यालय 
केंद्रीय विद्यालयों का संचालन भारत सरकार के केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा किया जाता है. पूरे देश में 1,250 केंद्रीय विद्यालय हैं. भारत में और किसी स्कूल की इतनी ब्रांचेस नहीं हैं. इसके अलावा मॉस्को, तेहरान और नेपाल के काठमांडू में भी इसकी ब्रांचेस हैं. यहां पहली क्लास  में लॉटरी सिस्टम के जरिए एडमिशन दिया जाता है. यहां पहली क्लास से ही एडमिशन की लाइन लंबी होती है.

सैनिक स्कूल
सैनिक स्कूल सोसाइटी ने रक्षा मंत्रालय (MoD) के तहत सैनिक स्कूल स्थापित किए थे. यहां टॉप स्टूडेंट्स को ही पढ़ने का मौका मिलता है. यहां 6वीं में एडमिशन खाली सीटों पर निर्भर करता है. पहले इन स्कूलों में केवल लड़कों को पढ़ाया जाता था, लेकिन 2021-2022 से लड़कियों के लिए भी क्लास 6 में एडमिशन लेने शुरू कर दिए गए.

राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालय
इन स्कूलों का संचालन दिल्ली शिक्षा निदेशालय करता है. 2021-22 में RPVVs का नाम बदलकर SoSE (स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस) कर दिया गया. दिल्ली सरकार के इन स्कूलों में एडमिशन के लिए एट्रेंस एग्जाम पास करना जरूरी है, जिसके जरिए 6वीं और 11वीं में प्रवेश मिलता है. 

जवाहर नवोदय विद्यालय
इन आवासीय और को-एजुकेशनल स्कूलों का संचालन नवोदय विद्यालय समिति करती है. ये केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) से संबद्ध हैं. नवोदय स्कूलों में 6वीं से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई होती है. जानकारी के मुताबकि यहां 6वीं से 8वीं तक कोई फीस नहीं लगती है. इसके बाद 9वीं से 600 रुपये महीने शुल्क लिया जाता है. तमिलनाडु को छोड़कर पूरे देश में जवाहर नवोदय स्कूल मौजूद हैं.

स्कूल ऑफ एक्सीलेंस
इस टॉप सरकारी को-एजुकेशनल स्कूल की शुरुआत दिल्ली सरकार ने की है.  यहां नर्सरी से 12वीं तक की पढ़ाई होती है, जिनमें योग्यता के आधार पर स्टूडेंट्स को एडमिशन मिलता है. दिल्ली एक्सीलेंस स्कूलों में इंग्लिश मीडियम में पढ़ाई होती है. यहां एडमिशन से जुड़ी जानकारी के लिए दिल्ली शिक्षा विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट edudel.nic.in पर विजिट करना होगा. 

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