जानें कौन था भारत का सबसे पढ़ा लिखा इंसान, हासिल की 20 डिग्रियां, बनाए कई रिकॉर्ड, रहे चुके हैं IAS ऑफिसर
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जानें कौन था भारत का सबसे पढ़ा लिखा इंसान, हासिल की 20 डिग्रियां, बनाए कई रिकॉर्ड, रहे चुके हैं IAS ऑफिसर

Most Educated Person of India: भारत का सबसे पढ़ा-लिखा इंसान आज जीवित नहीं है, लेकिन उसके इस स्थान अब तक कोई हासिल नहीं कर पाया है. भारत के सबसे पढ़े-लिखे इंसान ने 42 यूनिवर्सिटीज से 20 डिग्रियां हासिल की है.

जानें कौन था भारत का सबसे पढ़ा लिखा इंसान, हासिल की 20 डिग्रियां, बनाए कई रिकॉर्ड, रहे चुके हैं IAS ऑफिसर

Shrikant Jichkar: आज हम सबसे पहले आपसे एक सवाल पूछते हैं. वो सवाल यह है कि क्या आप जानते हैं कि भारत का सबसे पढ़ा-लिखा इंसान कौन है? अगर नहीं, तो आपको इसके बारे जरूर पता होना चाहिए. दरअसल, भारत के सबसे पढ़े-लिखे इंसान ने 42 विश्वविद्यालय की परीक्षाएं दीं और उनमें से 20 उत्तीर्ण कीं. उन्होंने अपनी अधिकांश परीक्षाएं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कीं और कई स्वर्ण पदक भी जीते.

दरअसल हम बात कर रहे हैं श्रीकांत जिचकर की, जिन्हें आधिकारिक तौर पर भारत के सबसे पढ़े-लिखे व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. श्रीकांत जिचकर जब 25 साल के थे, तब तक उनके नाम पर पहले से ही 14 पोर्टफोलियो थे और उन्हें लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में लिस्ट भी किया जा चुका था. लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के मुताबिक, देश के सबसे योग्य व्यक्ति होने का खिताब आज भी जिचकर के नाम ही है.

बता दें कि जिचकर ने अपनी अधिकांश परीक्षाओं में न केवल फर्स्ट पोजीशन हासिल की है, बल्कि कई गोल्ड मेडल भी जीते हैं. साल 1973 और 1990 के बीच, श्रीकांत जिचकर विश्वविद्यालयों में 42 परीक्षाओं में शामिल हुए थे. यहां तक कि उन्होंने आईएएस (IAS) की परीक्षा में बैठने के लिए आईपीएस (IPS) बनने के तुरंत बाद जल्दी से इस्तीफा दे दिया था और उन्होंने IAS की परीक्षा भी पास कर ली था. वहीं IAS बनने के बाद IAS उन्होंने राष्ट्रीय चुनाव में भाग लेने के लिए चार महीने बाद ही अपने पद को छोड़ दिया था.

1980 में, उन्हें महाराष्ट्र विधान सभा में सेवा के लिए चुना गया, जिससे वे देश के सबसे युवा सांसद बन गए. उन्होंने राज्य मंत्री, राज्यसभा सदस्य और महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य के रूप में भी पद संभाला था.

डॉ. जिचकर ने 1999 में राज्यसभा जाने का फैसला किया, जिसमें वे हार गए. उनके पास हमेशा एक रचनात्मक भावना थी और उन्हें पेंटिंग करना, तस्वीरें लेना और नाटकों में अभिनय करना पसंद था. उन्होंने धर्म, स्वास्थ्य और शिक्षा पर भाषण देने के लिए देश भर में यात्राएं भी की. उन्होंने उसी समय यूनेस्को में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था. लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था, 2 जून 2004 को बस ने उनकी कार में टक्कर मार दी. उस रात महज 49 साल की उम्र में डॉ. जिचकर का निधन हो गया.

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