सेरेब्रल पाल्सी से जूझती केरल की 23 वर्षीय लड़की ने UPSC में हासिल की शानदार रैंक, अब बनेंगी ऑफिसर
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सेरेब्रल पाल्सी से जूझती केरल की 23 वर्षीय लड़की ने UPSC में हासिल की शानदार रैंक, अब बनेंगी ऑफिसर

UPSC Success Story: सारिका सेरेब्रल पाल्सी की बीमारी के जूझ रही हैं, लेकिन उन्होंने देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा देना का निर्णय लिया और अपने दूसरे ही प्रयास में शानदार रैंक के साथ परीक्षा भी पास कर डाली.

सेरेब्रल पाल्सी से जूझती केरल की 23 वर्षीय लड़की ने UPSC में हासिल की शानदार रैंक, अब बनेंगी ऑफिसर

Sarika A K UPSC Success Story: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 का फाइनल रिजल्ट जारी किया जा चुका है. जारी किए गए रिजल्ट के अनुसार, केरल के कोझिकोड की एक युवा महिला ने सेरेब्रल पाल्सी ( Cerebral Palsy) की चुनौतियों का सामना करते हुए सिविल सेवा परीक्षा पास कर एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं सारिका ए.के., जो सिर्फ अपने सीधे हाथ का ही उपयोग कर सकती है हैं, वह देश की सबसे कठिन यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2023 में अपने दूसरे प्रयास में 922 की सराहनीय रैंक हासिल करने में सफल रही हैं.

माता-पिता ने निभाई अहम भूमिका
रिजल्ट जारी होने पर उनका रिएक्शन काफी हैरान कर देने वाला था. सारिका ने इस उपलब्धि को हासिल करने पर अपनी गहरी खुशी व्यक्त की है. उन्होंने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार, दोस्तों और शिक्षकों के अटूट समर्थन को दिया है और साथ ही इस बात पर भी जोर दिया कि उनके माता-पिता ने उनकी इस यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

जेसिका कॉक्स से ली प्रेरणा
ग्रेजुएशन के बाद सिविल सेवा का चयन करने वाली सारिका के दृढ़ संकल्प और मेहनत ने उन्हें इस सफलता तक पहुंचाया है. जेसिका कॉक्स, बिना आर्म्ड वाली लाइसेंस प्राप्त पायलट जैसी हस्तियों से प्रेरणा लेते हुए, सारिका ने अपने सपनों को पूरा करने के निरंतर महत्व को रेखांकित किया है.

कई कठिनाईयों को पार कर यहां तक पहुंची
सिविल सेवा परीक्षा के विभिन्न चरणों से गुजरने वाली सारिका की यात्रा कठिनाइयों से भरी हुई थी. परीक्षा केंद्रों को नेविगेट करने से लेकर एक सप्ताह तक चलने वाली मुख्य परीक्षा की चुनौतियों का सामना करने तक, उन्होंने हर एक बाधा को बड़ी ही सहजता से पार किया है. कोझिकोड में परीक्षा केंद्र की पहुंच एक वरदान थी, जबकि तिरुवनंतपुरम में मुख्य परीक्षा के लिए उन्हें आवास की व्यवस्था करनी पड़ी.

दिल्ली में आयोजित इंटरव्यू राउंड के दौरान, सारिका के साथ उनके पिता भी थे, जो उनका समर्थन करने के लिए कतर से आए थे.

इंटरव्यू में इस विषय पर पूछे गए सवाल
सारिका ने कहा कि उनका इंटरव्यू मुख्य रूप से उनके ग्रेजुएशन विषय और उनके होम टाउन कोझिकोड के बारे में था. वह विकलांग छात्रों को मुफ्त सिविल सेवा कोचिंग प्रदान करने के लिए एब्सोल्यूट आईएएस अकादमी के संस्थापक, लेखक और प्रेरक वक्ता डॉ. जोबिन एस. कोट्टारम द्वारा शुरू किए गए एक ट्रेनिंग प्रोग्राम 'प्रोजेक्ट चित्रशालाभम' का हिस्सा थीं.

सारिका की उपलब्धि न केवल व्यक्तिगत बल्कि प्रेरणादायक भी है, जो शारीरिक सीमाओं पर मानवीय भावना की विजय को दर्शाती है. उनकी कहानी समान चुनौतियों का सामना करने वाले अन्य लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में काम करती है और यह दर्शाती है कि दृढ़ संकल्प और समर्थन के साथ कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.

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